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'''मवारिदुल-कलम''' [[मुग़ल काल|मुग़ल कालीन]] एक कृति है, जिसकी रचना [[फ़ैज़ी]] ने की थी। फ़ैज़ी [[मध्यकालीन भारत]] का एक विद्वान साहित्यकार और प्रसिद्ध [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] [[कवि]] था, जो [[अकबर|बादशाह अकबर]] के दरबार में था।
'''मवारिदुल कलम''' [[मुग़ल काल|मुग़ल कालीन]] एक कृति है, जिसकी रचना [[फ़ैज़ी]] ने की थी। फ़ैज़ी [[मध्यकालीन भारत]] का एक विद्वान साहित्यकार और प्रसिद्ध [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] [[कवि]] था, जो [[अकबर|बादशाह अकबर]] के दरबार में था।


*फ़ैज़ी शेख़ मुबारक़ नागौरी का पुत्र और [[अबुल फ़ज़ल]] का बड़ा भाई था।
*फ़ैज़ी शेख़ मुबारक़ नागौरी का पुत्र और [[अबुल फ़ज़ल]] का बड़ा भाई था।

06:08, 24 अप्रैल 2013 का अवतरण

मवारिदुल कलम मुग़ल कालीन एक कृति है, जिसकी रचना फ़ैज़ी ने की थी। फ़ैज़ी मध्यकालीन भारत का एक विद्वान साहित्यकार और प्रसिद्ध फ़ारसी कवि था, जो बादशाह अकबर के दरबार में था।

  • फ़ैज़ी शेख़ मुबारक़ नागौरी का पुत्र और अबुल फ़ज़ल का बड़ा भाई था।
  • वह अकबर के नवरत्नों में से एक था, जिसका मुग़ल साम्राज्य में बहुत मान-सम्मान था।
  • अपनी कृति 'मवारिदुल-कलम' में फ़ैज़ी ने तफसीर सवातिउल्-अलहाम की तरह पर छोटे-छोटे सरल वाक्यों में शिक्षाप्रद बातें लिखी हैं।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अकबर |लेखक: राहुल सांकृत्यायन |प्रकाशक: किताब महल, इलाहाबाद |पृष्ठ संख्या: 295 |

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