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'''तारीख़ कश्मीर''' नामक पुस्तक [[मुग़ल काल]] में लिखी गई थी। इसे [[हिजरी]] 919 (1588-89 ई.) में [[मुल्ला बदायूँनी]] ने दो महीने में लिखकर समाप्त किया था। | '''तारीख़ कश्मीर''' नामक पुस्तक [[मुग़ल काल]] में लिखी गई थी। इसे [[हिजरी]] 919 (1588-89 ई.) में [[मुल्ला बदायूँनी]] ने दो महीने में लिखकर समाप्त किया था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= अकबर|लेखक= राहुल सांकृत्यायन|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= किताब महल, इलाहाबाद|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=297|url=}}</ref> | ||
*[[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] ने पहले शाह मुहम्मद शाहाबादी (कश्मीरी) से [[कश्मीर]] के इतिहास '[[राजतरंगिणी]]' को [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में अनुवाद करने को कहा गया था। | *[[मुग़ल]] [[अकबर|बादशाह अकबर]] ने पहले शाह मुहम्मद शाहाबादी (कश्मीरी) से [[कश्मीर]] के इतिहास '[[राजतरंगिणी]]' को [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में अनुवाद करने को कहा गया था। |
12:00, 29 अप्रैल 2013 का अवतरण
तारीख़ कश्मीर नामक पुस्तक मुग़ल काल में लिखी गई थी। इसे हिजरी 919 (1588-89 ई.) में मुल्ला बदायूँनी ने दो महीने में लिखकर समाप्त किया था।[1]
- मुग़ल बादशाह अकबर ने पहले शाह मुहम्मद शाहाबादी (कश्मीरी) से कश्मीर के इतिहास 'राजतरंगिणी' को फ़ारसी में अनुवाद करने को कहा गया था।
- जब 'राजतरंगिणी' का फ़ारसी अनुवाद अकबर को दिखाया गया तो उसे भाषा पसन्द नहीं आई और उसने बदायूँनी को उसे फिर से ठीक करने के लिए कहा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अकबर |लेखक: राहुल सांकृत्यायन |प्रकाशक: किताब महल, इलाहाबाद |पृष्ठ संख्या: 297 |