"तेनज़िंग नोर्गे": अवतरणों में अंतर
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विश्व के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर [[माउंट एवरेस्ट]] ([[हिमालय]]) पर पहुँचने वाले सर्वप्रथम व्यक्ति | |चित्र=Tenzing Norgay.gif | ||
|चित्र का नाम=तेनज़िंग नोर्गे | |||
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|अन्य नाम=नामग्याल बांगडी, खुमजुंग भूटिया | |||
|जन्म=[[मई]], [[1914]] | |||
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|नागरिकता=नेपाली, भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1=धर्म | |||
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'''तेनज़िंग नोर्गे''' एक पर्वतारोही थे। विश्व के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर [[माउंट एवरेस्ट]] ([[हिमालय]]) पर पहुँचने वाले सर्वप्रथम व्यक्ति 'तेनज़िंग नोर्गे' का जन्म [[1914]] में [[नेपाल]] के एक निर्धन [[परिवार]] में हुआ था। | |||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
तेनज़िंग की इस महान विजय यात्रा में सर एडमंड हिलेरी उनके सहयोगी थे। तेनज़िंग कर्नल जान हण्ट के नेतृत्व में एक ब्रिटिश पर्वतारोही दल के सदस्य के रूप में हिमालय की यात्रा पर गये थे और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते हुए [[29 मई]], [[1953]] को उन्होंने एवरेस्ट के शिखर को स्पर्श किया। तेनज़िंग की इस ऐतिहासिक सफलता ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया है। [[भारत]] के अतिरिक्त [[इंग्लैंड]] एवं [[नेपाल]] की सरकारों ने भी उन्हें सम्मानित किया था। 1959 में उन्हें '[[पद्मभूषण]]' से अलंकृत किया गया। वास्तव में [[1936]]-[[1953|53]] तक के सभी एवरेस्ट अभियानों में उनका सक्रिय सहयोग रहा था। | तेनज़िंग की इस महान विजय यात्रा में सर एडमंड हिलेरी उनके सहयोगी थे। तेनज़िंग कर्नल जान हण्ट के नेतृत्व में एक ब्रिटिश पर्वतारोही दल के सदस्य के रूप में हिमालय की यात्रा पर गये थे और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते हुए [[29 मई]], [[1953]] को उन्होंने एवरेस्ट के शिखर को स्पर्श किया। तेनज़िंग की इस ऐतिहासिक सफलता ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया है। [[भारत]] के अतिरिक्त [[इंग्लैंड]] एवं [[नेपाल]] की सरकारों ने भी उन्हें सम्मानित किया था। 1959 में उन्हें '[[पद्मभूषण]]' से अलंकृत किया गया। वास्तव में [[1936]]-[[1953|53]] तक के सभी एवरेस्ट अभियानों में उनका सक्रिय सहयोग रहा था। | ||
तेनज़िंग [[बौद्ध धर्म]] के अनुयायी थे और [[1933]] में वे भारतीय नागरिक बन गये थे। | तेनज़िंग [[बौद्ध धर्म]] के अनुयायी थे और [[1933]] में वे भारतीय नागरिक बन गये थे। [[कॉफ़ी]] उनका प्रिय पेय और कुत्ते पालना उनका मुख्य शौक़ था। बचपन से ही पर्वतारोहण में रुचि होने के कारण वे एक अच्छे एवं कुशल पर्वतारोही बन गये। उनका प्रारम्भिक नाम नामग्याल बांगडी था। वे तेनज़िंग खुमजुंग भूटिया भी कहलाते थे। तेनज़िंग को अपनी सफलताओं के लिए जार्ज मैडल भी प्राप्त हुआ था। [[1954]] में [[दार्जिलिंग]] में 'हिमालय पर्वतारोहण संस्थान' की स्थापना के समय उन्हें इसका प्रशिक्षण निर्देशक बना दिया गया था। तेनज़िंग ने अपने अपूर्व साहस से भारत का नाम हिमालय की ऊँचाइयों पर लिख दिया है, जिसके लिय वे सदैव याद किए जाएंगे। | ||
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08:56, 2 मई 2013 का अवतरण
तेनज़िंग नोर्गे
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पूरा नाम | तेनज़िंग नोर्गे |
अन्य नाम | नामग्याल बांगडी, खुमजुंग भूटिया |
जन्म | मई, 1914 |
जन्म भूमि | नेपाल |
मृत्यु | 9 मई, 1986 |
कर्म-क्षेत्र | भारत |
पुरस्कार-उपाधि | 1959 में 'पद्मभूषण' |
नागरिकता | नेपाली, भारतीय |
धर्म | बौद्ध धर्म |
अन्य जानकारी | कॉफ़ी उनका प्रिय पेय और कुत्ते पालना इनका मुख्य शौक़ था। |
तेनज़िंग नोर्गे एक पर्वतारोही थे। विश्व के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट (हिमालय) पर पहुँचने वाले सर्वप्रथम व्यक्ति 'तेनज़िंग नोर्गे' का जन्म 1914 में नेपाल के एक निर्धन परिवार में हुआ था।
जीवन परिचय
तेनज़िंग की इस महान विजय यात्रा में सर एडमंड हिलेरी उनके सहयोगी थे। तेनज़िंग कर्नल जान हण्ट के नेतृत्व में एक ब्रिटिश पर्वतारोही दल के सदस्य के रूप में हिमालय की यात्रा पर गये थे और दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़ते हुए 29 मई, 1953 को उन्होंने एवरेस्ट के शिखर को स्पर्श किया। तेनज़िंग की इस ऐतिहासिक सफलता ने उन्हें इतिहास में अमर कर दिया है। भारत के अतिरिक्त इंग्लैंड एवं नेपाल की सरकारों ने भी उन्हें सम्मानित किया था। 1959 में उन्हें 'पद्मभूषण' से अलंकृत किया गया। वास्तव में 1936-53 तक के सभी एवरेस्ट अभियानों में उनका सक्रिय सहयोग रहा था।
तेनज़िंग बौद्ध धर्म के अनुयायी थे और 1933 में वे भारतीय नागरिक बन गये थे। कॉफ़ी उनका प्रिय पेय और कुत्ते पालना उनका मुख्य शौक़ था। बचपन से ही पर्वतारोहण में रुचि होने के कारण वे एक अच्छे एवं कुशल पर्वतारोही बन गये। उनका प्रारम्भिक नाम नामग्याल बांगडी था। वे तेनज़िंग खुमजुंग भूटिया भी कहलाते थे। तेनज़िंग को अपनी सफलताओं के लिए जार्ज मैडल भी प्राप्त हुआ था। 1954 में दार्जिलिंग में 'हिमालय पर्वतारोहण संस्थान' की स्थापना के समय उन्हें इसका प्रशिक्षण निर्देशक बना दिया गया था। तेनज़िंग ने अपने अपूर्व साहस से भारत का नाम हिमालय की ऊँचाइयों पर लिख दिया है, जिसके लिय वे सदैव याद किए जाएंगे।
मृत्यु
9 मई, 1986 को इनकी मृत्यु हो गई।
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