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'''अशोक वृक्ष''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Saraca asoca'') [[हिन्दू]] समाज में काफ़ी लोकप्रिय एवं लाभकारी है। अशोक का शब्दिक अर्थ है, किसी प्रकार का शोक न होना। अशोक का पेड़ जिस स्थान पर होता है। वहां पर किसी प्रकार शोक व अशान्ति नहीं रहती है। मांगलिक एवं धार्मिक कार्यो में अशोक के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। इस वृक्ष पर प्राकृतिक शक्तियों का विशेष प्रभाव रहता है। जिस कारण यह वृक्ष जिस जगह पर लगा होता है। वहां पर सभी कार्य पूर्णतः निर्बाध रूप से सम्पन्न होते है। इसी कारण अशोक वृक्ष भारतीय समाज में काफ़ी प्रासंगिक है।  
 
'''अशोक वृक्ष''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Saraca asoca'') को [[हिन्दू धर्म]] में काफ़ी पवित्र, लाभकारी और विभिन्न मनोरथों को पूर्ण करने वाला माना गया है। अशोक का शब्दिक अर्थ होता है- "किसी भी प्रकार का शोक न होना"। यह पवित्र वृक्ष जिस स्थान पर होता है, वहाँ पर किसी प्रकार का शोक व अशान्ति नहीं रहती। मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में अशोक के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। इस वृक्ष पर प्राकृतिक शक्तियों का विशेष प्रभाव माना गया है, जिस कारण यह वृक्ष जिस जगह पर भी उगता है, वहाँ पर सभी कार्य पूर्णतः निर्बाध रूप से सम्पन्न होते चले जाते हैं। इसी कारण अशोक का वृक्ष भारतीय समाज में काफ़ी प्रासंगिक है। भगवान [[श्रीराम]] ने भी स्वयं ही इसे शोक दूर करने वाले पेड़ की उपमा दी थी। [[कामदेव]] के पंच पुष्प बाणों में एक अशोक भी है। ऐसा कहा जाता है कि जिस पेड़ के नीचे बैठने से शोक नहीं होता, उसे 'अशोक' कहते हैं, अर्थात जो स्त्रियों के सारे शोकों को दूर करने की शक्ति रखता है, वही अशोक है।
==प्रकार==
अशोक का वृक्ष दो प्रकार का होता है- एक तो असली अशोक वृक्ष और दूसरा उससे मिलता-जुलता नकली अशोक वृक्ष।
====असली अशोक वृक्ष====
असली अशोक के वृक्ष को लैटिन भाषा में 'जोनेसिया अशोका' कहते हैं। यह [[आम]] के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है। इसके पत्ते 8-9 इंच लम्बे और दो-ढाई इंच चौड़े होते हैं। इसके पत्ते शुरू में [[तांबा|तांबे]] जैसे [[रंग]] के होते हैं, इसीलिए इसे 'ताम्रपल्लव' भी कहते हैं। इसके [[नारंगी रंग]] के फूल [[वसंत ऋतु]] में आते हैं, जो बाद में [[लाल रंग]] के हो जाते हैं। सुनहरी लाल रंग के फूलों वाला होने से इसे 'हेमपुष्पा' भी कहा जाता है।
====नकली अशोक वृक्ष====
नकली अशोक वृक्ष के पत्ते आम के पत्तों जैसे होते हैं। इसके फूल [[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]], [[पीला रंग|पीले रंग]] के और फल लाल रंग के होते हैं। यह देवदार जाति का वृक्ष होता है। यह दवाई के काम का नहीं होता।<ref name="वेबदुनिया हिन्दी"/>
==विभिन्न नाम==
==विभिन्न नाम==
अशोक वृक्ष के विभिन्न भाषाओं में नाम भिन्न हैं जो निम्नवत हैं-  
अशोक वृक्ष के विभिन्न भाषाओं में नाम भिन्न हैं जो निम्नवत हैं-  
* [[संस्कृत]]- अशोक।
* [[संस्कृत]]- अशोक
* [[हिन्दी]]- अशोक।
* [[हिन्दी]]- अशोक
* [[मराठी भाषा|मराठी]]- अशोपक।
* [[मराठी भाषा|मराठी]]- अशोपक
* [[गुजराती भाषा|गुजराती]]- आसोपालव।
* [[गुजराती भाषा|गुजराती]]- आसोपालव
* [[बंगाली भाषा|बंगाली]]- अस्पाल, अशोक।
* [[बंगाली भाषा|बंगाली]]- अस्पाल, अशोक
* [[तेलुगू भाषा|तेलुगू]]- अशोकम्‌।
* [[तेलुगू भाषा|तेलुगू]]- अशोकम्‌
* [[तमिल भाषा|तमिल]]- अशोघम।
* [[तमिल भाषा|तमिल]]- अशोघम
* [[अंग्रेज़ी]]- Saraca asoca (सराका असोक)
* [[अंग्रेज़ी]]- Saraca asoca (सराका असोक)
* लैटिन- जोनेसिया अशोका।<ref name="वेबदुनिया हिन्दी">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/ayurvedic/0907/14/1090714080_1.htm |title=अशोक एवं अशोकारिष्ट |accessmonthday=19 मई |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=वेबदुनिया हिन्दी |language=हिन्दी }}</ref>
* लैटिन- जोनेसिया अशोका।<ref name="वेबदुनिया हिन्दी">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/miscellaneous/health/ayurvedic/0907/14/1090714080_1.htm |title=अशोक एवं अशोकारिष्ट |accessmonthday=19 मई |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=वेबदुनिया हिन्दी |language=हिन्दी }}</ref>
==अशोक वृक्ष के गुण==
==औषधीय व धार्मिक गुण==
अशोक का वृक्ष शीतल, कड़वा, ग्राही, वर्ण को उत्तम करने वाला, कसैला और वात-पित्त आदि दोष, अपच, तृषा, दाह, कृमि, शोथ, विष तथा रक्त विकार नष्ट करने वाला है। यह रसायन और उत्तेजक है। इसका क्वाथ गर्भाशय के रोगों का नाश करता है, विशेषकर रजोविकार को नष्ट करता है। इसकी छाल रक्त प्रदर रोग को नष्ट करने में उपयोगी होती है।<ref name="वेबदुनिया हिन्दी"/>
अशोक का वृक्ष अपने विशेष गुणों के लिए भी जाना जाता है। इसके कुछ गुण निम्नलिखित हैं-
==नकली और असली==
#अशोक का वृक्ष शीतल, कड़वा, ग्राही, वर्ण को उत्तम करने वाला, कसैला और वात-पित्त आदि दोष, अपच, तृषा, दाह, कृमि, शोथ, विष तथा रक्त विकार नष्ट करने वाला है। यह रसायन और उत्तेजक है।
अशोक का वृक्ष दो प्रकार का होता है, एक तो असली अशोक वृक्ष और दूसरा उससे मिलता-जुलता नकली अशोक वृक्ष।
#इस वृक्ष का क्वाथ गर्भाशय के रोगों का नाश करता है, विशेषकर रजोविकार को नष्ट करता है। इसकी छाल रक्त प्रदर रोग को नष्ट करने में उपयोगी होती है।
====असली अशोक वृक्ष====
#माना जाता है कि अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को शुभ मुहूर्त में धारण करने से मनुष्य को सभी शोकों से मुक्ति मिल जाती है।
असली अशोक के वृक्ष को लैटिन भाषा में 'जोनेसिया अशोका' कहते हैं। यह आम के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है। इसके पत्ते 8-9 इंच लम्बे और दो-ढाई इंच चौड़े होते हैं। इसके पत्ते शुरू में [[तांबा|तांबे]] जैसे [[रंग]] के होते हैं, इसीलिए इसे 'ताम्रपल्लव' भी कहते हैं। इसके [[नारंगी रंग]] के फूल [[वसंत ऋतु]] में आते हैं जो बाद में [[लाल रंग]] के हो जाते हैं। सुनहरी [[लाल रंग]] के फूलों वाला होने से इसे 'हेमपुष्पा' भी कहा जाता है।  
#अशोक के [[फल]] एवं छाल को उबालकर पीने से स्त्रियों को कई रोगों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही यह सौंदर्य में भी वृद्धि करता है।
====नकली अशोक वृक्ष====
#इसकी छाल को उबालकर पीने से कई तरह के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है।
नकली अशोक वृक्ष के पत्ते आम के पत्तों जैसे होते हैं। इसके फूल सफेद [[पीला रंग|पीले रंग]] के और फल लाल रंग के होते हैं। यह देवदार जाति का वृक्ष होता है, यह दवाई के काम का नहीं होता।<ref name="वेबदुनिया हिन्दी"/>
#यदि व्यक्ति किसी महत्वपूर्ण कार्य से जा रहा है तो अशोक वृक्ष का एक पत्ता अपने सिर पर धारण करके जाए, इससे कार्य में अवश्य सफलता मिलेगी।
#अशोक के वृक्ष की जड़ शुभ मुहूर्त में लाकर विधिपूर्वक पूजन कर धारण करें या [[पूजा]] स्थल में रखें, तो धन की कमी नहीं होती।
#इस वृक्ष को लगाने और उसको सींचने से धन में वृद्धि होती है।
#यदि अशोक वृक्ष की जड़ को तांबे के ताबीज में भरकर विधिपूर्वक धारण किया जाए, तो हर असंभव कार्य पूर्ण होने की संभावना बढ़ जाएगी।
#इस वृक्ष को प्रतिदिन [[जल]] देने से मनुष्य की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।  
#इस वृक्ष के बीज, पत्ते एवं छाल को पीसकर लेप लगाने से सौंदर्य वृद्धि होती है।  
#इसके बीज या [[फूल]] को शहद के साथ मिलाकर खाया जाए, तो कई व्याधियाँ दूर होती हैं।
==रासायनिक गुण==  
==रासायनिक गुण==  
अशोक वृक्ष की छाल में हीमैटाक्सिलिन, टेनिन, केटोस्टेरॉल, ग्लाइकोसाइड, सैपोनिन, कार्बनिक कैल्शियम तथा लौह के यौगिक पाए गए हैं, पर अल्कलॉइड और एसेन्शियल ऑइल की मात्रा बिलकुल नहीं पाई गई। टेनिन एसिड के कारण इसकी छाल सख्त ग्राही होती है, बहुत तेज और संकोचक प्रभाव करने वाली होती है अतः रक्त प्रदर में होने वाले अत्यधिक रजस्राव पर बहुत अच्छा नियन्त्रण होता है।<ref name="वेबदुनिया हिन्दी"/>
अशोक वृक्ष की छाल में हीमैटाक्सिलिन, टेनिन, केटोस्टेरॉल, ग्लाइकोसाइड, सैपोनिन, कार्बनिक कैल्शियम तथा लौह के यौगिक पाए गए हैं, पर अल्कलॉइड और एसेन्शियल ऑइल की मात्रा बिलकुल नहीं पाई गई। टेनिन एसिड के कारण इसकी छाल सख्त ग्राही होती है, बहुत तेज और संकोचक प्रभाव करने वाली होती है, अतः रक्त प्रदर में होने वाले अत्यधिक रजस्राव पर बहुत अच्छा नियन्त्रण होता है।<ref name="वेबदुनिया हिन्दी"/>
==वास्तुशास्त्र में उपयोग==
==वास्तुशास्त्र में उपयोग==
* अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए। जिससे गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचारण बना रहता है। घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख, शान्ति एवं समृद्धि बनी रहती है एंव अकाल मृत्यु नहीं होती है।
*अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए, जिससे गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचारण बना रहता है। घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख, शान्ति एवं समृद्धि बनी रहती है एंव अकाल मृत्यु नहीं होती।
* परिवार की महिलाओं को शारीरिक व मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। यदि महिलायें अशोक के वृक्ष पर प्रतिदिन [[जल]] अर्पित करती रहे तो उनकी इच्छाएँ एवं वैवाहिक जीवन में सुखद वातावरण बना रहता है।
*परिवार की महिलाओं को शारीरिक व मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। यदि महिलायें अशोक के वृक्ष पर प्रतिदिन [[जल]] अर्पित करती रहें तो उनकी इच्छाएँ एवं वैवाहिक जीवन में सुखद वातावरण बना रहता है।
* छात्रों की स्मरण शक्ति के लिए अशोक की छाल तथा ब्रहमी समान मात्रा में सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह शाम एक गिलास हल्के गर्म [[दूध]] के साथ सेवन करने से शीघ्र ही लाभ मिलेगा।<ref>{{cite web |url=http://hindi.oneindia.in/astrology/2012/ashok-tree-astology-use-vastu-217791.html |title=वास्तु के अनुसार अशोक का पेड़ प्रतीक है सकारात्मक उर्जा का |accessmonthday=19 मई |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format=एच.टी.एम.एल |publisher=वनइंडिया हिन्दी |language=हिन्दी }}</ref>
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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06:03, 24 मई 2013 का अवतरण

अशोक वृक्ष
जगत पादप
संघ मैग्नोलियोफाइटा (Magnoliophyta)
वर्ग मैग्नोलियोप्सिडा (Magnoliopsida)
गण फ़ेबेल्स (Fabales)
कुल फ़ेबेसी (Fabaceae)
जाति एस. असोक (S. asoca)
प्रजाति सराका (Saraca)
द्विपद नाम सराका असोक (Saraca asoca)

अशोक वृक्ष (अंग्रेज़ी: Saraca asoca) को हिन्दू धर्म में काफ़ी पवित्र, लाभकारी और विभिन्न मनोरथों को पूर्ण करने वाला माना गया है। अशोक का शब्दिक अर्थ होता है- "किसी भी प्रकार का शोक न होना"। यह पवित्र वृक्ष जिस स्थान पर होता है, वहाँ पर किसी प्रकार का शोक व अशान्ति नहीं रहती। मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में अशोक के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। इस वृक्ष पर प्राकृतिक शक्तियों का विशेष प्रभाव माना गया है, जिस कारण यह वृक्ष जिस जगह पर भी उगता है, वहाँ पर सभी कार्य पूर्णतः निर्बाध रूप से सम्पन्न होते चले जाते हैं। इसी कारण अशोक का वृक्ष भारतीय समाज में काफ़ी प्रासंगिक है। भगवान श्रीराम ने भी स्वयं ही इसे शोक दूर करने वाले पेड़ की उपमा दी थी। कामदेव के पंच पुष्प बाणों में एक अशोक भी है। ऐसा कहा जाता है कि जिस पेड़ के नीचे बैठने से शोक नहीं होता, उसे 'अशोक' कहते हैं, अर्थात जो स्त्रियों के सारे शोकों को दूर करने की शक्ति रखता है, वही अशोक है।

प्रकार

अशोक का वृक्ष दो प्रकार का होता है- एक तो असली अशोक वृक्ष और दूसरा उससे मिलता-जुलता नकली अशोक वृक्ष।

असली अशोक वृक्ष

असली अशोक के वृक्ष को लैटिन भाषा में 'जोनेसिया अशोका' कहते हैं। यह आम के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है। इसके पत्ते 8-9 इंच लम्बे और दो-ढाई इंच चौड़े होते हैं। इसके पत्ते शुरू में तांबे जैसे रंग के होते हैं, इसीलिए इसे 'ताम्रपल्लव' भी कहते हैं। इसके नारंगी रंग के फूल वसंत ऋतु में आते हैं, जो बाद में लाल रंग के हो जाते हैं। सुनहरी लाल रंग के फूलों वाला होने से इसे 'हेमपुष्पा' भी कहा जाता है।

नकली अशोक वृक्ष

नकली अशोक वृक्ष के पत्ते आम के पत्तों जैसे होते हैं। इसके फूल सफ़ेद, पीले रंग के और फल लाल रंग के होते हैं। यह देवदार जाति का वृक्ष होता है। यह दवाई के काम का नहीं होता।[1]

विभिन्न नाम

अशोक वृक्ष के विभिन्न भाषाओं में नाम भिन्न हैं जो निम्नवत हैं-

औषधीय व धार्मिक गुण

अशोक का वृक्ष अपने विशेष गुणों के लिए भी जाना जाता है। इसके कुछ गुण निम्नलिखित हैं-

  1. अशोक का वृक्ष शीतल, कड़वा, ग्राही, वर्ण को उत्तम करने वाला, कसैला और वात-पित्त आदि दोष, अपच, तृषा, दाह, कृमि, शोथ, विष तथा रक्त विकार नष्ट करने वाला है। यह रसायन और उत्तेजक है।
  2. इस वृक्ष का क्वाथ गर्भाशय के रोगों का नाश करता है, विशेषकर रजोविकार को नष्ट करता है। इसकी छाल रक्त प्रदर रोग को नष्ट करने में उपयोगी होती है।
  3. माना जाता है कि अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को शुभ मुहूर्त में धारण करने से मनुष्य को सभी शोकों से मुक्ति मिल जाती है।
  4. अशोक के फल एवं छाल को उबालकर पीने से स्त्रियों को कई रोगों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही यह सौंदर्य में भी वृद्धि करता है।
  5. इसकी छाल को उबालकर पीने से कई तरह के चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है।
  6. यदि व्यक्ति किसी महत्वपूर्ण कार्य से जा रहा है तो अशोक वृक्ष का एक पत्ता अपने सिर पर धारण करके जाए, इससे कार्य में अवश्य सफलता मिलेगी।
  7. अशोक के वृक्ष की जड़ शुभ मुहूर्त में लाकर विधिपूर्वक पूजन कर धारण करें या पूजा स्थल में रखें, तो धन की कमी नहीं होती।
  8. इस वृक्ष को लगाने और उसको सींचने से धन में वृद्धि होती है।
  9. यदि अशोक वृक्ष की जड़ को तांबे के ताबीज में भरकर विधिपूर्वक धारण किया जाए, तो हर असंभव कार्य पूर्ण होने की संभावना बढ़ जाएगी।
  10. इस वृक्ष को प्रतिदिन जल देने से मनुष्य की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं।
  11. इस वृक्ष के बीज, पत्ते एवं छाल को पीसकर लेप लगाने से सौंदर्य वृद्धि होती है।
  12. इसके बीज या फूल को शहद के साथ मिलाकर खाया जाए, तो कई व्याधियाँ दूर होती हैं।

रासायनिक गुण

अशोक वृक्ष की छाल में हीमैटाक्सिलिन, टेनिन, केटोस्टेरॉल, ग्लाइकोसाइड, सैपोनिन, कार्बनिक कैल्शियम तथा लौह के यौगिक पाए गए हैं, पर अल्कलॉइड और एसेन्शियल ऑइल की मात्रा बिलकुल नहीं पाई गई। टेनिन एसिड के कारण इसकी छाल सख्त ग्राही होती है, बहुत तेज और संकोचक प्रभाव करने वाली होती है, अतः रक्त प्रदर में होने वाले अत्यधिक रजस्राव पर बहुत अच्छा नियन्त्रण होता है।[1]

वास्तुशास्त्र में उपयोग

  • अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए, जिससे गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचारण बना रहता है। घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख, शान्ति एवं समृद्धि बनी रहती है एंव अकाल मृत्यु नहीं होती।
  • परिवार की महिलाओं को शारीरिक व मानसिक ऊर्जा में वृद्धि होती है। यदि महिलायें अशोक के वृक्ष पर प्रतिदिन जल अर्पित करती रहें तो उनकी इच्छाएँ एवं वैवाहिक जीवन में सुखद वातावरण बना रहता है।
  • छात्रों की स्मरण शक्ति के लिए अशोक की छाल तथा ब्रहमी समान मात्रा में सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबह शाम एक गिलास हल्के गर्म दूध के साथ सेवन करने से शीघ्र ही लाभ मिलेगा।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 अशोक एवं अशोकारिष्ट (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) वेबदुनिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 19 मई, 2012।
  2. वास्तु के अनुसार अशोक का पेड़ प्रतीक है सकारात्मक उर्जा का (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल) वनइंडिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 19 मई, 2012।

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