"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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-[[उत्तर काण्ड वा. रा.|उत्तरकांड]] | -[[उत्तर काण्ड वा. रा.|उत्तरकांड]] | ||
{[[लंका]] का राजा [[रावण]] किस वाद्य को बजाने में निपुण था? | {[[लंका]] का राजा [[रावण]] किस [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] को बजाने में निपुण था? | ||
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||[[चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-2.jpg|thumb|120px|रामलीला में रावण]]'रावण' [[रामायण]] का एक विशेष पात्र है। वह स्वर्ण नगरी [[लंका]] का राजा था। [[रावण]] अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिस कारण उसका एक अन्य नाम 'दशानन' अर्थात 'दस मुख वाला' भी था। किसी भी कृति के लिये अच्छे पात्रों के साथ ही साथ बुरे पात्रों का होना अति आवश्यक है। किन्तु रावण में अवगुण की अपेक्षा गुण अधिक थे। जीतने वाला हमेशा अपने को उत्तम लिखता है, अतः [[रावण]] को बुरा कहा गया है। रावण को चारों [[वेद|वेदों]] का ज्ञाता कहा गया है। [[संगीत]] के क्षेत्र में भी रावण की विद्वता अपने समय में अद्वितीय मानी जाती थी। [[वीणा]] बजाने में रावण सिद्धहस्त था। उसने एक [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] भी बनाया था, जो आज के 'बेला' या 'वायलिन' का ही मूल और प्रारम्भिक रूप है। इस वाद्य को 'रावणहत्था' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रावण]] | |||
{निम्न में से कौन '[[कवितावली]]' के रचनाकार हैं? | {निम्न में से कौन '[[कवितावली]]' के रचनाकार हैं? |
06:44, 3 जून 2013 का अवतरण
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