"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||ब्रह्मतेज के मूर्तिमान स्वरूप महामुनि [[अगस्त्य]] का पावन चरित्र अत्यन्त उदात्त तथा दिव्य है। [[वेद|वेदों]] में इनका वर्णन कई स्थानों पर आया है। [[ऋग्वेद]] का कथन है कि 'मित्र' तथा '[[वरुण देवता|वरुण]]' नामक [[देवता|देवताओं]] का अमोघ तेज एक दिव्य यज्ञिय कलश में पुंजीभूत हुआ और उसी कलश के मध्य भाग से दिव्य तेज:सम्पन्न [[अगस्त्य|महर्षि अगस्त्य]] का प्रादुर्भाव हुआ। महर्षि अगस्त्य महातेजा तथा महातपा [[ऋषि]] थे। समुद्रस्थ राक्षसों के अत्याचार से घबराकर देवता लोग इनकी शरण में गये और अपना दु:ख कह सुनाया। फल यह हुआ कि अगस्त्य सारा [[समुद्र]] पी गये, जिससे सभी राक्षसों का विनाश हो गया। सारा समुद्र पी जाने से ही इन्हें 'समुद्रचुलुक' भी कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अगस्त्य]] | ||ब्रह्मतेज के मूर्तिमान स्वरूप महामुनि [[अगस्त्य]] का पावन चरित्र अत्यन्त उदात्त तथा दिव्य है। [[वेद|वेदों]] में इनका वर्णन कई स्थानों पर आया है। [[ऋग्वेद]] का कथन है कि 'मित्र' तथा '[[वरुण देवता|वरुण]]' नामक [[देवता|देवताओं]] का अमोघ तेज एक दिव्य यज्ञिय कलश में पुंजीभूत हुआ और उसी कलश के मध्य भाग से दिव्य तेज:सम्पन्न [[अगस्त्य|महर्षि अगस्त्य]] का प्रादुर्भाव हुआ। महर्षि अगस्त्य महातेजा तथा महातपा [[ऋषि]] थे। समुद्रस्थ राक्षसों के अत्याचार से घबराकर देवता लोग इनकी शरण में गये और अपना दु:ख कह सुनाया। फल यह हुआ कि अगस्त्य सारा [[समुद्र]] पी गये, जिससे सभी राक्षसों का विनाश हो गया। सारा समुद्र पी जाने से ही इन्हें 'समुद्रचुलुक' भी कहा गया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अगस्त्य]] | ||
{ | {[[शबरी]] को किस [[ऋषि]] ने अपने [[आश्रम]] में स्थान दिया था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +मतंग | ||
- | -[[भारद्वाज]] | ||
- | -[[विश्वामित्र]] | ||
-[[ | -[[परशुराम]] | ||
{निम्नलिखित में से किसने [[राम]]-[[लक्ष्मण]] को नागपाश से मुक्ति दिलाई थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[काकभुशुंडी]] | |||
+[[गरुड़]] | |||
-[[जटायु]] | |||
-[[सम्पाती]] | |||
||[[चित्र:Garuda.jpg|right|100px|गरुड़]]'गरुड़' पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू धर्म]] की मान्यताओं के अनुसार पक्षियों के राजा और भगवान [[विष्णु]] के वाहन हैं। ये [[कश्यप|कश्यप ऋषि]] और [[विनता]] के पुत्र तथा [[अरुण देवता|अरुण]] के भ्राता हैं। [[लंका]] के राजा [[रावण]] के पुत्र [[इन्द्रजित]] ने जब युद्ध में [[राम]] और [[लक्ष्मण]] को नागपाश से बाँध लिया, तब [[गरुड़]] ने ही उन्हें इस बंधन से मुक्त किया था। हिन्दू धर्म तथा [[पुराण|पुराणों]] में गरुड़ से सम्बन्धित कई प्रसंग मिलते हैं। [[काकभुशुंडी]] नामक एक कौए ने गरुड़ को श्रीराम कथा सुनाई थी। [[महाभारत]] काल में [[कालिय नाग]] भी इनसे भय खाकर [[यमुना नदी|यमुना]] में [[कालियदह]] में छिप गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गरुड़]] | |||
{[[निमि|राजा निमि]] की राजधानी का नाम क्या था?(पृ.सं.-16 | {[[निमि|राजा निमि]] की राजधानी का नाम क्या था?(पृ.सं.-16 |
07:39, 4 जून 2013 का अवतरण
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