"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Vishwamitra-Menaka.jpg|right|90px|मेनका और विश्वामित्र]]'मेनका' स्वर्ग की सर्वसुन्दर [[अप्सरा]] थी। देवराज [[इन्द्र]] ने [[विश्वामित्र|महर्षि विश्वामित्र]] के नये सृष्टि के निर्माण के तप से डर कर उनकी तपस्या भंग करने के लिए [[मेनका]] को [[पृथ्वी]] पर भेजा था। मेनका ने अपने रूप और सौन्दर्य से तपस्या में लीन विश्वामित्र का तप भंग कर दिया। विश्वामित्र ने मेनका से [[विवाह]] कर लिया और वन में रहने लगे। विश्वामित्र सब कुछ छोड़कर मेनका के ही प्रेम में डूब गये थे। मेनका से विश्वामित्र ने एक सुन्दर कन्या प्राप्त की, जिसका नाम [[शकुंतला]] रखा गया। जब शकुंतला छोटी थी, तभी एक दिन मेनका उसे और विश्वामित्र को वन में छोड़कर स्वर्ग चली गई। विश्वामित्र का तप भंग करने में सफल होकर मेनका देवलोक लौटी तो वहाँ उसकी कामोद्दीपक शक्ति और कलात्मक सामर्थ्य की भूरि-भूरि प्रशंसा हुई और देवसभा में उसका आदर बहुत बढ़ गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ | ||[[चित्र:Vishwamitra-Menaka.jpg|right|90px|मेनका और विश्वामित्र]]'मेनका' स्वर्ग की सर्वसुन्दर [[अप्सरा]] थी। देवराज [[इन्द्र]] ने [[विश्वामित्र|महर्षि विश्वामित्र]] के नये सृष्टि के निर्माण के तप से डर कर उनकी तपस्या भंग करने के लिए [[मेनका]] को [[पृथ्वी]] पर भेजा था। मेनका ने अपने रूप और सौन्दर्य से तपस्या में लीन विश्वामित्र का तप भंग कर दिया। विश्वामित्र ने मेनका से [[विवाह]] कर लिया और वन में रहने लगे। विश्वामित्र सब कुछ छोड़कर मेनका के ही प्रेम में डूब गये थे। मेनका से विश्वामित्र ने एक सुन्दर कन्या प्राप्त की, जिसका नाम [[शकुंतला]] रखा गया। जब शकुंतला छोटी थी, तभी एक दिन मेनका उसे और विश्वामित्र को वन में छोड़कर स्वर्ग चली गई। विश्वामित्र का तप भंग करने में सफल होकर मेनका देवलोक लौटी तो वहाँ उसकी कामोद्दीपक शक्ति और कलात्मक सामर्थ्य की भूरि-भूरि प्रशंसा हुई और देवसभा में उसका आदर बहुत बढ़ गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मेनका]] | ||
{[[जनक|राजा जनक]] के छोटे भाई का क्या नाम था?(पृ.सं.-13 | {[[जनक|राजा जनक]] के छोटे भाई का क्या नाम था?(पृ.सं.-13 | ||
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-[[वरुण देवता|वरुण]] | -[[वरुण देवता|वरुण]] | ||
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||[[चित्र:Nageshwar-Mahadev-Gujarat-1.jpg|right| | ||[[चित्र:Nageshwar-Mahadev-Gujarat-1.jpg|right|90px|नंगेश्वर महादेव, द्वारका]]'[[शिव]]' [[हिन्दू धर्म]] [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार समस्त सृष्टि के आदि कारण हैं। उन्हीं से [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]] सहित समस्त सृष्टि का उद्भव होता हैं। भगवान [[शिव]] का परिवार बहुत बड़ा है। एकादश रुद्राणियाँ, चौंसठ योगिनियाँ तथा भैरवादि इनके सहचर और सहचरी हैं। [[पार्वती|माता पार्वती]] की सखियों में [[विजया]] आदि प्रसिद्ध हैं। यद्यपि शिव सर्वत्र व्याप्त हैं, तथापि [[काशी]] और [[कैलास पर्वत|कैलास]], ये दो उनके मुख्य निवास स्थान कहे गये हैं। भगवान शिव [[देवता|देवताओं]] के उपास्य तो हैं ही, साथ ही उन्होंने अनेक [[असुर|असुरों]]- [[अंधक (दैत्य)|अन्धक]], [[दुन्दुभी दैत्य|दुन्दुभी]], महिष, त्रिपुर, [[रावण]], निवात-कवच आदि को भी अतुल ऐश्वर्य प्रदान किया। [[कुबेर]] आदि लोकपालों को उनकी कृपा से [[यक्ष|यक्षों]] का स्वामित्व प्राप्त हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शिव]] | ||
{किस [[ऋषि]] को 'समुद्रचुलुक' कहा जाता है?(पृ.सं.-16 | {किस [[ऋषि]] को 'समुद्रचुलुक' कहा जाता है?(पृ.सं.-16 | ||
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||[[चित्र:Statue-Shiva-Bangalore.jpg|right| | ||[[चित्र:Statue-Shiva-Bangalore.jpg|right|90px|शिव की मूर्ति, बैंगलूर]]भगवान [[शिव]] [[हिन्दू धर्म]] के प्रमुख [[देवता|देवताओं]] में से हैं। [[वेद]] में इनका नाम [[रुद्र]] है। शिव व्यक्ति की चेतना के अर्न्तयामी हैं। इनकी अर्ध्दांगिनी (शक्ति) का नाम [[पार्वती]] और इनके पुत्र '[[स्कन्द]]' और '[[गणेश]]' हैं। शिव योगी के रूप में माने जाते हैं और उनकी [[पूजा]] '[[शिवलिंग|लिंग]]' के रूप में होती है। भगवान शिव सौम्य एवं रौद्र रूप दोनों के लिए जाने जाते हैं। सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के वे अधिपति हैं। त्रिदेवों में भगवान [[शिव]] संहार के [[देवता]] माने जाते हैं। शिव का अर्थ कल्याणकारी माना गया है, लेकिन उनका लय और प्रलय दोनों पर समान अधिकार है। इनके अन्य [[भक्त|भक्तों]] में '[[त्रिहारिणी]]' भी थे और शिव त्रिहारिणी को अपने पुत्रों से भी अधिक प्यार करते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शिव]] | ||
{[[रामायण]] के सबसे छोटे कांड का क्या नाम है?(पृ.सं.-18 | {[[रामायण]] के सबसे छोटे कांड का क्या नाम है?(पृ.सं.-18 |
07:42, 4 जून 2013 का अवतरण
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