"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर

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{[[शबरी]] को किस [[ऋषि]] ने अपने [[आश्रम]] में स्थान दिया था?
{[[शबरी]] को किस [[ऋषि]] ने अपने [[आश्रम]] में स्थान दिया था?
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+मतंग
+[[मतंग]]
-[[भारद्वाज]]
-[[भारद्वाज]]
-[[विश्वामित्र]]
-[[विश्वामित्र]]
-[[परशुराम]]
-[[परशुराम]]
||'मतंग' [[रामायण]] कालीन एक [[ऋषि]] थे, जो [[शबरी]] के गुरु थे। यह एक ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न एक नापित के पुत्र थे। ब्राह्मणी के पति ने इन्हें अपने पुत्र के समान ही पाला था। गर्दभी के साथ संवाद से जब इन्हें यह विदित हुआ कि मैं [[ब्राह्मण]] पुत्र नहीं हूँ, तब इन्होंने ब्राह्मणत्व प्राप्त करने के लिए घोर तप किया। देवराज [[इन्द्र]] के वरदान से [[मतंग]] 'छन्दोदेव' के नाम से प्रसिद्ध हुए। रामायण के अनुसार [[ऋष्यमूक पर्वत]] के निकट इनका [[आश्रम]] था, जहाँ [[श्रीराम]] गए थे। जब [[बालि]] ने [[दुन्दुभी दैत्य|दुन्दुभी]] का वध किया तो उसके शव को उठाकर बहुत दूर फेंक दिया। दुन्दुभी के शव से [[रक्त]] की बूँदें मतंग ऋषि के [[आश्रम]] में भी गिरीं। इस पर मतंग ने बालि को शाप दिया कि यदि वह ऋष्यमूक पर्वत के निकट भी आयेगा तो मर जायेगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मतंग]]


{निम्नलिखित में से किसने [[राम]]-[[लक्ष्मण]] को नागपाश से मुक्ति दिलाई थी?
{निम्नलिखित में से किसने [[राम]]-[[लक्ष्मण]] को नागपाश से मुक्ति दिलाई थी?
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-[[काकभुशुंडी]]
-[[काकभुशुंडी]]
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-[[सुन्दर काण्ड वा. रा.|सुन्दरकांड]]
-[[सुन्दर काण्ड वा. रा.|सुन्दरकांड]]
-[[उत्तर काण्ड वा. रा.|उत्तरकांड]]
-[[उत्तर काण्ड वा. रा.|उत्तरकांड]]
||[[चित्र:Valmiki-Ramayan.jpg|right|80px|रामायण लिखते हुए वाल्मीकि]][[रामायण]] के 'अरण्यकांड' में [[श्रीराम]], [[सीता]] तथा [[लक्ष्मण]] [[दंडकारण्य]] में प्रवेश करते हैं। जंगल में तपस्वी जनों, [[मुनि|मुनियों]] तथा [[ऋषि|ऋषियों]] के [[आश्रम]] में विचरण करते हुए राम उनकी करुण-गाथा सुनते हैं। मुनियों आदि को [[राक्षस|राक्षसों]] का भी भीषण भय रहता है। इसके पश्चात राम [[पंचवटी]] में आकर आश्रम में रहते हैं। वहीं [[शूर्पणखा]] से मिलन होता है। शूर्पणखा के प्रसंग में उसका नाक-कान विहीन करना तथा उसके भाई [[खर दूषण]] तथा [[त्रिशिरा]] से युद्ध और उनका संहार वर्णित है। 'बृहद्धर्मपुराण' के अनुसार इस काण्ड का पाठ उसे करना चाहिए, जो वन, राजकुल, [[अग्नि]] तथा जलपीड़ा से युक्त हो। इसके पाठ से अवश्य मंगल प्राप्ति होती है। अरण्यकांड में 75 सर्ग हैं, जिनमें 2,440 [[श्लोक]] गणना से प्राप्त होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अरण्य काण्ड वा. रा.|अरण्यकांड]]


{[[लंका]] का राजा [[रावण]] किस [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] को बजाने में निपुण था?
{[[लंका]] का राजा [[रावण]] किस [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] को बजाने में निपुण था?

09:08, 4 जून 2013 का अवतरण

1 रामायण कालीन सरयू नदी को वर्तमान में क्या कहते हैं?(पृ.सं.-12

यमुना
घाघरा
गोमती
गंगा

2 समुद्र में रहने वाली उस नाग माता का क्या नाम था, जिसने समुद्र लाँघते हुए हनुमान को रोका और उन्हें खा जाने को उद्यत हुई थी?(पृ.सं.-12

त्रिजटा
मंथरा
बलंधरा
सुरसा

3 राजा दशरथ ने पुत्रोत्पत्ति हेतु जो यज्ञ किया था, उसका नाम क्या था?(पृ.सं.-13

राजसूय
पुत्र कामेष्टि यज्ञ
अश्वमेध
इनमें से कोई नहीं

4 महर्षि विश्वामित्र की तपस्या जिस अप्सरा ने भंग की थी, उसका नाम क्या था?(पृ.सं.-13

उर्वशी
रम्भा
घृताची
मेनका

5 राजा जनक के छोटे भाई का क्या नाम था?(पृ.सं.-13

कुशनाभ
कुश
कुशध्वज
सिरध्वज

6 शत्रुघ्न के पुरोहित का क्या नाम था?(पृ.सं.-13

शतानीक
उपमन्यु
आरुणि
कांचन

7 किस देवता का एक नाम 'सर्पमाली' है?(पृ.सं.-16

विष्णु
इन्द्र
वरुण
शिव

8 किस ऋषि को 'समुद्रचुलुक' कहा जाता है?(पृ.सं.-16

भारद्वाज
अगस्त्य
याज्ञवल्क्य
वाल्मीकि

9 शबरी को किस ऋषि ने अपने आश्रम में स्थान दिया था?

मतंग
भारद्वाज
विश्वामित्र
परशुराम

10 निम्नलिखित में से किसने राम-लक्ष्मण को नागपाश से मुक्ति दिलाई थी?

काकभुशुंडी
गरुड़
जटायु
सम्पाती

11 राजा निमि की राजधानी का नाम क्या था?(पृ.सं.-16

वैजयंत
कुशस्थली
अहिच्छत्र
चित्रकूट

12 किस देवता का एक नाम 'स्थाणु' है?(पृ.सं.-16

विष्णु
गणेश
इन्द्र
शिव

13 रामायण के सबसे छोटे कांड का क्या नाम है?(पृ.सं.-18

बालकांड
अरण्यकांड
सुन्दरकांड
उत्तरकांड

14 लंका का राजा रावण किस वाद्य को बजाने में निपुण था?

सितार
सारंगी
वीणा
बाँसुरी

15 निम्न में से कौन 'कवितावली' के रचनाकार हैं?

तुलसीदास
चैतन्य महाप्रभु
सूरदास
कबीरदास