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*पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर
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06:40, 16 जून 2013 का अवतरण

पूर्वाराम अथवा 'पुब्बाराम' बौद्ध साहित्य में वर्णित श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश का एक विहार था। इसका निर्माण नगर के एक धनी सेठ मिगार (मृगधर) की स्त्री विशाखा ने करवाया था।

  • पूर्वाराम के निर्माण में अपार धनराशि व्यय हुई थी।
  • यह विहार नगर के पूर्वी द्वार के पास स्थित था।[1]
  • पूर्वी द्वार के निकट होने के कारण ही संभवत: इसका नाम पूर्वाराम पड़ा।
  • इसके निर्माण तथा समर्पण में लगभग 27 करोड़ मुद्राओं का व्यय करना पड़ा था।
  • यह लकड़ी (रुक्ख) तथा पत्थर द्वारा निर्मित था, जिसमें दो मंजिलें थीं।[2]
  • पूर्वाराम विहार की आधुनिक स्थिति सहेत-महेत के पास उनके पूर्व का हनुमनवा स्थान है।
  • इस विहार के खंडहर सहेत-महेत में जेतवन के अवशेषों से एक मील दक्षिण की ओर एक ढूह के रूप में पड़े हुए हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 576 |

  1. 'धम्मपदटीका', भाग 1, पृष्ठ 384; 'अंगुत्तरनिकाय', प्रथम भाग (हिन्दी अनुवाद, भदंत आनंद कौसल्यायन, महाबोधि सभा, कलकत्ता 1957, पृष्ठ 212 मेमायर्स आदि 'दि आर्कियोलाजिक सर्वे आफ इंडिया', भाग 50, पृष्ठ 25
  2. राहुल सांकृत्यायन, पुरातत्त्व निबंधावली, पृष्ठ 79
  • पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अकादमी जयपुर

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