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*महाभारत काल की स्मृतियों से जुडा होने के कारण ही पूजम गाँव के मंदिर में स्थापित [[शिवलिंग]] के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। | *महाभारत काल की स्मृतियों से जुडा होने के कारण ही पूजम गाँव के मंदिर में स्थापित [[शिवलिंग]] के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। | ||
*यहाँ पर एक प्राचीन तालाब भी है, जिसने अब आधुनिक रूप ले लिया है। | *यहाँ पर एक प्राचीन तालाब भी है, जिसने अब आधुनिक रूप ले लिया है।<ref name="aa">{{cite web |url=https://sites.google.com/site/pandavbuiltreligeousplace/poojam|title=महाभारत कालीन पौराणिक स्थान|accessmonthday=08 अगस्त|accessyear= 2013|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=हिन्दी}}</ref> | ||
*गाँव के ग्रामीणों का कहना है कि इस गाँव की धरती पर [[कुरुक्षेत्र]] में कौरवों और पांडवों का युद्ध शुरू होने से पहले पांडवों ने शस्त्रों की पूजा की थी। | *गाँव के ग्रामीणों का कहना है कि इस गाँव की धरती पर [[कुरुक्षेत्र]] में कौरवों और पांडवों का युद्ध शुरू होने से पहले पांडवों ने शस्त्रों की पूजा की थी। | ||
*पूजम गाँव के बाहर एक शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। बाद में शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश की गई तो यह अपने स्थान से हिला ही नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि प्राचीन काल में यहाँ कुम्हार [[मिट्टी]] लेने आया करते थे। एक दिन मिट्टी निकालते समय यहाँ शिवलिंग निकल आया था। किसी ने कस्सी व कुल्हाडी से शिवलिंग को काटने का प्रयास किया, किंतु विफल रहा। इन औजारों के लगने के निशान आज भी शिवलिंग पर दिखाई देते हैं। | *पूजम गाँव के बाहर एक शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। बाद में शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश की गई तो यह अपने स्थान से हिला ही नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि प्राचीन काल में यहाँ कुम्हार [[मिट्टी]] लेने आया करते थे। एक दिन मिट्टी निकालते समय यहाँ शिवलिंग निकल आया था। किसी ने कस्सी व कुल्हाडी से शिवलिंग को काटने का प्रयास किया, किंतु विफल रहा। इन औजारों के लगने के निशान आज भी शिवलिंग पर दिखाई देते हैं। | ||
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*इस स्थान पर कई [[वर्ष]] पूर्व बाबा राम गिर आकर रहने लगे थे। बाबा राम गिर सर्दियों में तालाब में [[पूजा]] करते थे और गर्मियों में अपने चारों ओर धुना लगाकर तपस्या करते थे। बाद में ग्रामीणों ने इस स्थान पर एक मंदिर बनवाया। | *इस स्थान पर कई [[वर्ष]] पूर्व बाबा राम गिर आकर रहने लगे थे। बाबा राम गिर सर्दियों में तालाब में [[पूजा]] करते थे और गर्मियों में अपने चारों ओर धुना लगाकर तपस्या करते थे। बाद में ग्रामीणों ने इस स्थान पर एक मंदिर बनवाया।<ref name="aa"/> | ||
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*बाबा रामगिर की याद में [[अप्रैल]] महीने में तथा [[शिवरात्रि|शिवरात्रि पर्व]] पर यहाँ विशाल मेला लगता है। | *बाबा रामगिर की याद में [[अप्रैल]] महीने में तथा [[शिवरात्रि|शिवरात्रि पर्व]] पर यहाँ विशाल मेला लगता है। |
10:54, 8 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
पूजम नीलाखेड़ी, करनाल में स्थित एक गाँव का नाम है, जो महाभारत की यादें समेटे हुए है। यह वह ऐतिहासिक गाँव है, जहाँ महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने कौरवों पर विजय प्राप्त करने के लिए अस्त्र-शस्त्र की पूजा की थी। इस पूजा से ही इस स्थान का नामकरण 'पूजम' हुआ।
- महाभारत काल की स्मृतियों से जुडा होने के कारण ही पूजम गाँव के मंदिर में स्थापित शिवलिंग के प्रति लोगों की गहरी आस्था है।
- यहाँ पर एक प्राचीन तालाब भी है, जिसने अब आधुनिक रूप ले लिया है।[1]
- गाँव के ग्रामीणों का कहना है कि इस गाँव की धरती पर कुरुक्षेत्र में कौरवों और पांडवों का युद्ध शुरू होने से पहले पांडवों ने शस्त्रों की पूजा की थी।
- पूजम गाँव के बाहर एक शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। बाद में शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश की गई तो यह अपने स्थान से हिला ही नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि प्राचीन काल में यहाँ कुम्हार मिट्टी लेने आया करते थे। एक दिन मिट्टी निकालते समय यहाँ शिवलिंग निकल आया था। किसी ने कस्सी व कुल्हाडी से शिवलिंग को काटने का प्रयास किया, किंतु विफल रहा। इन औजारों के लगने के निशान आज भी शिवलिंग पर दिखाई देते हैं।
- यह माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण ने चरण रखे थे।
- इस स्थान पर कई वर्ष पूर्व बाबा राम गिर आकर रहने लगे थे। बाबा राम गिर सर्दियों में तालाब में पूजा करते थे और गर्मियों में अपने चारों ओर धुना लगाकर तपस्या करते थे। बाद में ग्रामीणों ने इस स्थान पर एक मंदिर बनवाया।[1]
- मंदिर के साथ ही महाभारत कालीन प्राचीन तालाब है। तालाब का जीर्णोद्धार करके इसे आधुनिक रूप दिया गया है।
- बाबा रामगिर की याद में अप्रैल महीने में तथा शिवरात्रि पर्व पर यहाँ विशाल मेला लगता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 महाभारत कालीन पौराणिक स्थान (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 08 अगस्त, 2013।