"पहेली 12 अगस्त 2013": अवतरणों में अंतर
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{[[ | {[[गुप्तकाल]] के सिक्कों का सबसे बड़ा ढेर कहाँ से प्राप्त हुआ है? | ||
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- [[ | +'[[बयाना]]' ([[भरतपुर]]) से | ||
-'[[देवगढ़]]' ([[झाँसी]]) से | |||
- [[ | -'[[भूमरा]]' ([[मध्य प्रदेश]]) से | ||
- [[ | -'[[तिगवा]]' (मध्य प्रदेश) से | ||
|| | ||[[चित्र:Chandragupt-Maurya-Stamp.jpg|100px|right|चन्द्रगुप्त मौर्य]]'बयाना' [[राजस्थान]] के [[भरतपुर ज़िला|भरतपुर ज़िले]] में स्थित एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस स्थान का प्राचीन नाम 'बाणपुर' कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इसके अन्य नाम 'वाराणसी', 'श्रीप्रस्थ' या 'श्रीपुर' भी उपलब्ध हैं। 'ऊखा मन्दिर' से प्राप्त 956 ई. के एक [[अभिलेख]] से ज्ञात होता है कि यहाँ का राजा उस समय लक्ष्मण सेन था। [[बयाना]] से 1821 ई. में [[सोना|सोने]] के सिक्कों का भारी ढेर प्राप्त हुआ है, जो [[गुप्तकाल|गुप्तकालीन]] हैं। इससे [[गुप्त]] शासकों की आर्थिक समृद्धि का प्रमाण मिलता है। इनमें अधिक सिक्के [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] के हैं। इन सिक्कों में कई नये प्रकार के सिक्के हैं, जो गुप्त शासकों की विविधता प्रमाणित करते हैं। इन सिक्कों से [[गुप्त वंश|गुप्तवंशीय]] [[कुमारगुप्त द्वितीय]] के इतिहास पर नया प्रकाश पड़ता है। अनुमान लगाया है कि लगभग 540 ई. के आस-पास [[हूण|हूणों]] के आक्रमण के समय इस खज़ाने को ज़मीन में गाड़ दिया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बयाना]] | ||
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{{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 11 अगस्त 2013]] |अगली=[[पहेली 13 अगस्त 2013]]}} | {{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 11 अगस्त 2013]] |अगली=[[पहेली 13 अगस्त 2013]]}} |
09:47, 12 अगस्त 2013 का अवतरण
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