"बल्लभगढ़": अवतरणों में अंतर
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'''बल्लभगढ़''' [[भारत]] के [[हरियाणा]] राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। यह राजधानी [[दिल्ली]] से लगभग 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। बल्लभगढ़ [[फ़रीदाबाद|फ़रीदाबाद ज़िले]] का प्रमुख शहर और तहसील है, जो दिल्ली-[[मथुरा]] रेलमार्ग पर स्थित है। यह भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। [[भारतीय इतिहास]] में बल्लभगढ़ की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यह क्षेत्र 18वीं शती में [[जाट|जाटों]] की | '''बल्लभगढ़''' [[भारत]] के [[हरियाणा]] राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। यह राजधानी [[दिल्ली]] से लगभग 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। बल्लभगढ़ [[फ़रीदाबाद|फ़रीदाबाद ज़िले]] का प्रमुख शहर और तहसील है, जो दिल्ली-[[मथुरा]] रेलमार्ग पर स्थित है। यह भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। [[भारतीय इतिहास]] में बल्लभगढ़ की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यह क्षेत्र 18वीं शती में [[जाट|जाटों]] की राजनीतिक शक्ति का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=613|url=}}</ref> | ||
*यह माना जाता है कि 1705 ई. के लगभग गोपाल सिंह जाट ने बल्लभगढ़ के निकट सीही ग्राम में बस कर अपनी शक्ति का संचय किया था। | *यह माना जाता है कि 1705 ई. के लगभग गोपाल सिंह जाट ने बल्लभगढ़ के निकट सीही ग्राम में बस कर अपनी शक्ति का संचय किया था। |
12:26, 2 सितम्बर 2013 का अवतरण
बल्लभगढ़ भारत के हरियाणा राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है। यह राजधानी दिल्ली से लगभग 30 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। बल्लभगढ़ फ़रीदाबाद ज़िले का प्रमुख शहर और तहसील है, जो दिल्ली-मथुरा रेलमार्ग पर स्थित है। यह भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। भारतीय इतिहास में बल्लभगढ़ की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यह क्षेत्र 18वीं शती में जाटों की राजनीतिक शक्ति का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।[1]
- यह माना जाता है कि 1705 ई. के लगभग गोपाल सिंह जाट ने बल्लभगढ़ के निकट सीही ग्राम में बस कर अपनी शक्ति का संचय किया था।
- गोपाल सिंह के के प्रभाव के कारण ही फ़रीदाबाद के मुग़ल अधिकारी मुर्तजा ख़ाँ ने उसे फ़रीदाबाद परगना का चौधरी नियुक्त किया था।
- बल्लभगढ़ का नामकरण गोपाल सिंह के पौत्र बलराम के नाम पर हुआ था। यहाँ के जाटों ने एक दुर्ग का निर्माण भी यहाँ किया था।
- भरतपुर नरेश सूरजमल ने बल्लभगढ़ के जाटों की मुग़ल सेनाओं के विरुद्ध सहायता की थी।
- 1757 ई. में अहमदशाह अब्दाली ने बल्लभगढ़ का घेरा डालकर भरतपुर नरेश जवाहर सिंह को गढ़ छोड़कर भाग जाने पर विवश कर दिया।
- बल्लभगढ़ से एक मील की दूरी पर सीही ग्राम स्थित है, जिसे महाकवि सूरदास का जन्म-स्थान माना जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 613 |