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[[चित्र:Phansi.jpg|border|right|100px|link=भारतकोश सम्पादकीय 21 सितम्बर 2013]]
<center>[[भारतकोश सम्पादकीय 21 सितम्बर 2013|समाज का ऑपरेटिंग सिस्टम]]</center>
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        "सचमुच यार! ... बंडा काका तो गया काम से... बेचारे ने हमको कितना कुछ सिखाया... कि ए.के. फ़ॉट्टी सेवन में और ए.के. फ़िफ़्टी सिक्स में क्या फ़र्क है... नहीं तो हमको कौन बताता...एकदम सॉलिड कोच है बॉस..."
"अबे! तुझे तो ये भी पता नहीं था कि हॅन्ड ग्रेनेड का पिन खींचने के बाद सात तक गिनती गिननी होती है या बारह तक... और बंडे ने तुझे रॉकेट लॉन्चर चलाना भी सिखा दिया... सच में यार बंडा सचमुच ग्रेट है।" [[भारतकोश सम्पादकीय 21 सितम्बर 2013|...पूरा पढ़ें]]
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| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 11 अगस्त 2013|ग़रीबी का दिमाग़]]  ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 9 जुलाई 2013|कल आज और कल]]  ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 3 जून 2013|घूँघट से मरघट तक]] 
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13:40, 21 सितम्बर 2013 का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
समाज का ऑपरेटिंग सिस्टम

        "सचमुच यार! ... बंडा काका तो गया काम से... बेचारे ने हमको कितना कुछ सिखाया... कि ए.के. फ़ॉट्टी सेवन में और ए.के. फ़िफ़्टी सिक्स में क्या फ़र्क है... नहीं तो हमको कौन बताता...एकदम सॉलिड कोच है बॉस..."
"अबे! तुझे तो ये भी पता नहीं था कि हॅन्ड ग्रेनेड का पिन खींचने के बाद सात तक गिनती गिननी होती है या बारह तक... और बंडे ने तुझे रॉकेट लॉन्चर चलाना भी सिखा दिया... सच में यार बंडा सचमुच ग्रेट है।" ...पूरा पढ़ें

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