"अल्मोड़ा की लोककथा": अवतरणों में अंतर
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"छह सौ साल पुरानी बात है। उत्तराखण्ड में [[कुमाऊँ]] का एक राजा था। वह एक बार शिकार खेलने अल्मोडा की घाटी में गया। वहाँ घना जंगल था। शिकार की टोह लेने के दौरान वहीं झाडियों में से एक खरगोश निकला। राजा ने उसका पीछा किया। अचानक वह खरगोश चीते में बदल गया और फिर दृष्टि से ओझल हो गया। इस घटना से स्तब्ध हुये राजा ने पंडितों की एक सभा बुलाई और उनसे इसका अर्थ पूछा। | "छह सौ साल पुरानी बात है। उत्तराखण्ड में [[कुमाऊँ]] का एक राजा था। वह एक बार शिकार खेलने अल्मोडा की घाटी में गया। वहाँ घना जंगल था। शिकार की टोह लेने के दौरान वहीं झाडियों में से एक खरगोश निकला। राजा ने उसका पीछा किया। अचानक वह खरगोश चीते में बदल गया और फिर दृष्टि से ओझल हो गया। इस घटना से स्तब्ध हुये राजा ने पंडितों की एक सभा बुलाई और उनसे इसका अर्थ पूछा। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== |
16:50, 7 अक्टूबर 2013 का अवतरण
अल्मोड़ा से जुड़ी एक लोककथा भी है जिसके अनुसार-
"छह सौ साल पुरानी बात है। उत्तराखण्ड में कुमाऊँ का एक राजा था। वह एक बार शिकार खेलने अल्मोडा की घाटी में गया। वहाँ घना जंगल था। शिकार की टोह लेने के दौरान वहीं झाडियों में से एक खरगोश निकला। राजा ने उसका पीछा किया। अचानक वह खरगोश चीते में बदल गया और फिर दृष्टि से ओझल हो गया। इस घटना से स्तब्ध हुये राजा ने पंडितों की एक सभा बुलाई और उनसे इसका अर्थ पूछा।
पंडितों ने कहा इसका अर्थ है कि जहाँ चीता दृष्टि से ओझल हो जाय, वहाँ एक नया नगर बसना चाहिऐ, क्योंकि चीते केवल उसी स्थान से भाग जाते हैं, जहाँ मनुष्यों को एक बडी संख्या में बसना हो।
नया शहर बसाने का काम शुरू हुआ और इस प्रकार छह सौ साल पहले अल्मोडा नगर की नींव पडी।
इन्हें भी देखें: लोककथा संग्रहालय, मैसूर
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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