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         '''[[देवकीनन्दन खत्री]]''' [[हिन्दी]] के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे। उन्होंने '[[चन्द्रकान्ता (उपन्यास)|चन्द्रकान्ता ]]', '[[चंद्रकांता संतति]]', 'काजर की कोठरी', 'नरेंद्र-मोहिनी', 'कुसुम कुमारी', 'वीरेंद्र वीर', 'गुप्त गोंडा', 'कटोरा भर' और '[[भूतनाथ -देवकीनन्दन खत्री|भूतनाथ]]' जैसी रचनाएँ कीं। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में उनके उपन्यास 'चंद्रकांता' का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस उपन्यास ने सबका मन मोह लिया था। इस किताब का रसास्वादन करने के लिए कई गैर-हिन्दीभाषियों ने हिन्दी भाषा सीखी। बाबू देवकीनंदन खत्री ने 'तिलिस्म', 'ऐय्यार' और 'ऐय्यारी' जैसे शब्दों को हिन्दीभाषियों के बीच लोकप्रिय बना दिया। [[देवकीनन्दन खत्री|... और पढ़ें]]
         '''[[देवकीनन्दन खत्री]]''' [[हिन्दी]] के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे। उन्होंने '[[चन्द्रकान्ता (उपन्यास)|चन्द्रकान्ता ]]', '[[चंद्रकांता संतति]]', 'काजर की कोठरी', 'नरेंद्र-मोहिनी', 'कुसुम कुमारी', 'वीरेंद्र वीर', 'गुप्त गोंडा', 'कटोरा भर' और '[[भूतनाथ -देवकीनन्दन खत्री|भूतनाथ]]' जैसी रचनाएँ कीं। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में उनके उपन्यास 'चन्द्रकान्ता' का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस उपन्यास का रसास्वादन करने के लिए कई गैर-हिन्दीभाषियों ने हिन्दी भाषा सीखी। बाबू देवकीनन्दन खत्री ने 'तिलिस्म', 'ऐय्यार' और 'ऐय्यारी' जैसे शब्दों को हिन्दीभाषियों के बीच लोकप्रिय बना दिया। [[देवकीनन्दन खत्री|... और पढ़ें]]
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14:25, 7 नवम्बर 2013 का अवतरण

एक व्यक्तित्व

        देवकीनन्दन खत्री हिन्दी के प्रथम तिलिस्मी लेखक थे। उन्होंने 'चन्द्रकान्ता ', 'चंद्रकांता संतति', 'काजर की कोठरी', 'नरेंद्र-मोहिनी', 'कुसुम कुमारी', 'वीरेंद्र वीर', 'गुप्त गोंडा', 'कटोरा भर' और 'भूतनाथ' जैसी रचनाएँ कीं। हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में उनके उपन्यास 'चन्द्रकान्ता' का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस उपन्यास का रसास्वादन करने के लिए कई गैर-हिन्दीभाषियों ने हिन्दी भाषा सीखी। बाबू देवकीनन्दन खत्री ने 'तिलिस्म', 'ऐय्यार' और 'ऐय्यारी' जैसे शब्दों को हिन्दीभाषियों के बीच लोकप्रिय बना दिया। ... और पढ़ें


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