"देवसूरि": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी==" to "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
No edit summary |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==सम्बंधित लिंक== | |||
{{जैन धर्म2}} | |||
{{जैन धर्म}} | |||
[[Category:दर्शन कोश]] | [[Category:दर्शन कोश]] | ||
[[Category:जैन_दर्शन]] | [[Category:जैन_दर्शन]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
12:25, 14 जुलाई 2010 का अवतरण
आचार्य देवसूरि
- देवसूरि 'वादि' उपाधि से विभूषित अभिहित हैं।
- इनके 'प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार' और उसकी व्याख्या 'स्याद्वादरत्नाकर' ये दो तर्कग्रंथ प्रसिद्ध हैं।
- इन दोनों पर आचार्य माणिक्यनन्दि के 'परीक्षामुख' का शब्दश: और अर्थश: पूरा प्रभाव है।
- इसके 6 परिच्छेद तो 'परीक्षामुख' की तरह ही हैं और अन्तिम दो परिच्छेद (नयपरिच्छेद तथा वादपरिच्छेद) परीक्षामुख से ज़्यादा हैं।
- पर उन पर भी परीक्षामुख[1] के सूत्रों का प्रभाव लक्षित होता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ परि0 6/73, 74