"पात्रस्वामी": अवतरणों में अंतर
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*ये विक्रम की छठीं, 7वीं शती के [[जैन]] नैयायिक हैं। | *ये विक्रम की छठीं, 7वीं शती के [[जैन]] नैयायिक हैं। | ||
*इनका एकमात्र ग्रन्थ 'त्रिलक्षणकदर्थन' प्रसिद्ध है। पर यह अनुपलब्ध है। | *इनका एकमात्र ग्रन्थ 'त्रिलक्षणकदर्थन' प्रसिद्ध है। पर यह अनुपलब्ध है। | ||
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*बौद्ध तार्किक तत्त्वसंग्रहकार शान्तरक्षित (ई॰ 8वीं शती) ने तो इनके नामोल्लेख के साथ इनकी अनेक कारिकाएँ भी उद्धृत की हैं और उनका खण्डन किया है। | *बौद्ध तार्किक तत्त्वसंग्रहकार शान्तरक्षित (ई॰ 8वीं शती) ने तो इनके नामोल्लेख के साथ इनकी अनेक कारिकाएँ भी उद्धृत की हैं और उनका खण्डन किया है। | ||
*सम्भव है ये कारिकाएँ उनके उसी 'त्रिलक्षणकदर्थन' ग्रन्थ की हों। | *सम्भव है ये कारिकाएँ उनके उसी 'त्रिलक्षणकदर्थन' ग्रन्थ की हों। | ||
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13:02, 14 जुलाई 2010 का अवतरण
- ये विक्रम की छठीं, 7वीं शती के जैन नैयायिक हैं।
- इनका एकमात्र ग्रन्थ 'त्रिलक्षणकदर्थन' प्रसिद्ध है। पर यह अनुपलब्ध है।
- अकलंकदेव, अनन्तवीर्य, वादिराज आदि उत्तरकालीन तार्किकों ने इसका उल्लेख किया है।
- बौद्ध तार्किक तत्त्वसंग्रहकार शान्तरक्षित (ई॰ 8वीं शती) ने तो इनके नामोल्लेख के साथ इनकी अनेक कारिकाएँ भी उद्धृत की हैं और उनका खण्डन किया है।
- सम्भव है ये कारिकाएँ उनके उसी 'त्रिलक्षणकदर्थन' ग्रन्थ की हों।