"कू कू करती काली कोयल -दिनेश सिंह": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<!-- सबसे पहले इस पन्ने को संजोएँ (सेव करें) जिससे आपको यह दिखेगा कि लेख बनकर कैसा लगेगा -->===={{PAGENAME}}====
{{स्वतंत्र लेखन नोट}}
{| style="background:transparent; font-size:larger; color:#990099"
{{Poemopen}}
|
<poem>
[[चित्र:{{PAGENAME}}|thumb|{{PAGENAME}} लिंक पर क्लिक करके चित्र अपलोड करें]]
कू कू करती काली कोयल  
{{पुनरीक्षण}}<!-- कृपया इस साँचे को हटाएँ नहीं (डिलीट न करें)। इसके नीचे से ही सम्पादन कार्य करें। -->
<poem>कू कू करती काली कोयल  
ड़ाल पे बैठी गाती कोयल  
ड़ाल पे बैठी गाती कोयल  
मीठा मीठा राग सुनाती  
मीठा मीठा राग सुनाती  
जीने का वो डंग सिखाती  
जीने का वो डंग सिखाती  


जो कुछ बोलो सोंच के बोलो  
          जो कुछ बोलो सोंच के बोलो  
जो कुछ बोलो मीठा बोलो  
          जो कुछ बोलो मीठा बोलो  
मीठी वाणी सब सुनते है  
          मीठी वाणी सब सुनते है  
कागा देख उड़ा देते है  
          कागा देख उड़ा देते है  


काली कितनी वो उपर से  
काली कितनी वो उपर से  
पंक्ति 19: पंक्ति 17:
किस काम जो काला मन हो  
किस काम जो काला मन हो  


चाहे कितना भेद हो मत का
          चाहे कितना भेद हो मत का
मत करना तुम भेद मन का  
          मत करना तुम भेद मन का  
मत का भेद तो फिर मिल जावे  
          मत का भेद तो फिर मिल जावे  
मन का भेद नहीं मिट पावे</poem>  
          मन का भेद नहीं मिट पावे
</poem>
{{Poemclose}}


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==



07:28, 8 दिसम्बर 2013 का अवतरण

यह लेख स्वतंत्र लेखन श्रेणी का लेख है। इस लेख में प्रयुक्त सामग्री, जैसे कि तथ्य, आँकड़े, विचार, चित्र आदि का, संपूर्ण उत्तरदायित्व इस लेख के लेखक/लेखकों का है भारतकोश का नहीं।

कू कू करती काली कोयल
ड़ाल पे बैठी गाती कोयल
मीठा मीठा राग सुनाती
जीने का वो डंग सिखाती

          जो कुछ बोलो सोंच के बोलो
          जो कुछ बोलो मीठा बोलो
          मीठी वाणी सब सुनते है
          कागा देख उड़ा देते है

काली कितनी वो उपर से
कितना म्रदु मन अंदर से
कितना गोरा उपर तन हो
किस काम जो काला मन हो

          चाहे कितना भेद हो मत का
          मत करना तुम भेद मन का
          मत का भेद तो फिर मिल जावे
          मन का भेद नहीं मिट पावे

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख