"संकर से सुर जाहिं जपैं -रसखान": अवतरणों में अंतर

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संकर से सुर जाहिं जपैं चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावैं।
संकर से सुर जाहिं जपैं चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावैं।
नेक हिये में जो आवत ही जड़ मूढ़ महा रसखान कहावै।।
नेक हिये में जो आवत ही जड़ मूढ़ महा रसखान कहावै।।


जा पर देव अदेव भुअंगन वारत प्रानन प्रानन पावैं।
जा पर देव अदेव भुअंगन वारत प्रानन प्रानन पावैं।
ताहिं अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पे नाच नचावैं।।  
ताहिं अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पे नाच नचावैं।।  
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==संबंधित लेख==
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09:54, 14 दिसम्बर 2013 का अवतरण

संकर से सुर जाहिं जपैं -रसखान
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
कवि रसखान
जन्म सन् 1533 से 1558 बीच (लगभग)
जन्म स्थान पिहानी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु प्रामाणिक तथ्य अनुपलब्ध
मुख्य रचनाएँ 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रसखान की रचनाएँ

संकर से सुर जाहिं जपैं चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावैं।
नेक हिये में जो आवत ही जड़ मूढ़ महा रसखान कहावै।।

जा पर देव अदेव भुअंगन वारत प्रानन प्रानन पावैं।
ताहिं अहीर की छोहरियाँ छछिया भरि छाछ पे नाच नचावैं।।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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