"जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन -रसखान": अवतरणों में अंतर
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जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन, कानि तजी घर बन्धन | जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन, कानि तजी घर बन्धन छूट्यो। | ||
चारु बिलोकनिकी निसि मार, सँभार गयी मन मारने लूट्यो॥ | चारु बिलोकनिकी निसि मार, सँभार गयी मन मारने लूट्यो॥ | ||
सागरकौं सरिता जिमि धावति रोकि रहे कुलकौ पुल टूट्यो। | सागरकौं सरिता जिमि धावति रोकि रहे कुलकौ पुल टूट्यो। | ||
मत्त भयो मन संग फिरै, रसखानि सुरूप सुधा-रस घूट्यो॥ | मत्त भयो मन संग फिरै, रसखानि सुरूप सुधा-रस घूट्यो॥ | ||
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==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
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जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन, कानि तजी घर बन्धन छूट्यो। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |