"जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन -रसखान": अवतरणों में अंतर

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जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन, कानि तजी घर बन्धन छूट्यो॥
जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन, कानि तजी घर बन्धन छूट्यो।
चारु बिलोकनिकी निसि मार, सँभार गयी मन मारने लूट्यो॥
चारु बिलोकनिकी निसि मार, सँभार गयी मन मारने लूट्यो॥
सागरकौं सरिता जिमि धावति रोकि रहे कुलकौ पुल टूट्यो।
सागरकौं सरिता जिमि धावति रोकि रहे कुलकौ पुल टूट्यो।
मत्त भयो मन संग फिरै, रसखानि सुरूप सुधा-रस घूट्यो॥  
मत्त भयो मन संग फिरै, रसखानि सुरूप सुधा-रस घूट्यो॥  
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जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन -रसखान
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
कवि रसखान
जन्म सन् 1533 से 1558 बीच (लगभग)
जन्म स्थान पिहानी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु प्रामाणिक तथ्य अनुपलब्ध
मुख्य रचनाएँ 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रसखान की रचनाएँ

जा दिनतें निरख्यौ नँद-नंदन, कानि तजी घर बन्धन छूट्यो।
चारु बिलोकनिकी निसि मार, सँभार गयी मन मारने लूट्यो॥

सागरकौं सरिता जिमि धावति रोकि रहे कुलकौ पुल टूट्यो।
मत्त भयो मन संग फिरै, रसखानि सुरूप सुधा-रस घूट्यो॥

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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