"मोरपखा मुरली बनमाल -रसखान": अवतरणों में अंतर

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मोरपखा मुरली बनमाल, लख्यौ हिय मै हियरा उमह्यो री।
मोरपखा मुरली बनमाल, लख्यौ हिय मै हियरा उमह्यो री।
ता दिन तें इन बैरिन कों, कहि कौन न बोलकुबोल सह्यो री॥
ता दिन तें इन बैरिन कों, कहि कौन न बोलकुबोल सह्यो री॥


अब तौ रसखान सनेह लग्यौ, कौउ एक कह्यो कोउ लाख कह्यो री।
अब तौ रसखान सनेह लग्यौ, कौउ एक कह्यो कोउ लाख कह्यो री।
और सो रंग रह्यो न रह्यो, इक रंग रंगीले सो रंग रह्यो री।
और सो रंग रह्यो न रह्यो, इक रंग रंगीले सो रंग रह्यो री।


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==संबंधित लेख==
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मोरपखा मुरली बनमाल -रसखान
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
रसखान की समाधि, महावन, मथुरा
कवि रसखान
जन्म सन् 1533 से 1558 बीच (लगभग)
जन्म स्थान पिहानी, उत्तर प्रदेश
मृत्यु प्रामाणिक तथ्य अनुपलब्ध
मुख्य रचनाएँ 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
रसखान की रचनाएँ

मोरपखा मुरली बनमाल, लख्यौ हिय मै हियरा उमह्यो री।
ता दिन तें इन बैरिन कों, कहि कौन न बोलकुबोल सह्यो री॥

अब तौ रसखान सनेह लग्यौ, कौउ एक कह्यो कोउ लाख कह्यो री।
और सो रंग रह्यो न रह्यो, इक रंग रंगीले सो रंग रह्यो री।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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