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बुराक़ इस्लामी इतिहास में एक जंतु, जिसने पैग़ंबर मुहम्मद को जन्नत तक पहुँचाया था। 'सफ़ेद रंग का जानवर, आधा खच्चर, आधा गधा, जिसकी बग़लों में पंख थे...', बुराक़ का मूल वर्णन मक्का से येरुशलम तक मुहम्मद साहब की रात्रि-यात्रा (इस्रा) की कहानी में है, जो यह बताता है कि किस प्रकार नगरों के मध्य यात्रा को एक ही रात में पूरा कर लिया जाता था। कुछ परंपराओं में यह औरत के सिर और मोर की पूंछ वाला घोड़ा बन गया। जब रात्रि-यात्रा (इस्रा) की कहानी मुहम्मद साहब के जन्नत की सैर (मैराज) से जुड़ गई, तो बुराक़ ने जन्नत तक पहुँचने के माध्यम के रूप में सीढ़ी का स्थान ले लिया।

कम से कम 14वीं शताब्दी से बुराक़ की किंवदंती, जिसकी कल्पना ग्रिफ़िन (गिद्ध), स्फ़िंक्स (रहस्यमय व्यक्ति) और किन्नरों के प्राचीन चित्रों के आधार पर की गई है। ईरानी लघु चित्रकला का पसंदीदा विषय है।


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