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        आज़ादी के वक़्त साढ़े तीन सौ से अधिक छोटी-बड़ी रियासतों में भारत बंटा हुआ था। इन रियासतों के रहनुमा अंग्रेज़ों के आगे जिस द्रुत गति से अपनी दुम हिलाते थे उससे उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा से भारत की विद्युत आपूर्ति हो सकती थी। इन रियासतों के सरमायेदारों के नाम, आज जनता में कोई नहीं जानता। इसी समय ही अनेक व्यापारी-व्यवसायी भी थे, उन्हें भी कोई नहीं जानता। [[भारतकोश सम्पादकीय 27 मई 2014|...पूरा पढ़ें]]
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12:55, 27 मई 2014 का अवतरण

भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
असंसदीय संसद

         आज़ादी के वक़्त साढ़े तीन सौ से अधिक छोटी-बड़ी रियासतों में भारत बंटा हुआ था। इन रियासतों के रहनुमा अंग्रेज़ों के आगे जिस द्रुत गति से अपनी दुम हिलाते थे उससे उत्सर्जित होने वाली ऊर्जा से भारत की विद्युत आपूर्ति हो सकती थी। इन रियासतों के सरमायेदारों के नाम, आज जनता में कोई नहीं जानता। इसी समय ही अनेक व्यापारी-व्यवसायी भी थे, उन्हें भी कोई नहीं जानता। ...पूरा पढ़ें

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