"रामायण सामान्य ज्ञान 56": अवतरणों में अंतर
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|| ययाति महाराज [[नहुष]] के द्वितीय पुत्र थे। पत्नी [[देवयानी]] के दो पुत्र यदु और [[तुर्वसु]] और [[शर्मिष्ठा]] के तीन पुत्र द्रुह्यु, अनु और पुरु हुये। [[शुक्राचार्य]] जी के श्राप से वृद्धावस्था आ जाने पर भी विषयों को भोगने की इच्छा बनी हुई थी इसलिये शुक्राचार्य जी ने कहा अगर पुत्र अपनी जवानी दे दें तो विषय सुख भोग सकते हैं। यदु ने जब जबाब दे दिया तो पिता ने श्राप दिया कि लोग पैतृक राज्याधिकार से वंचित रहोगे। सबसे छोटे पुत्र पुरु ने पिता की आज्ञा का पालन किया जिससे उसे राज्याधिकार दिया गया। '''अधिक जानकारी के लिए देखें''':- {{point}}[[ययाति]] | |||
{[[सीता]] का एक नाम ‘वैदेही’ क्यों था? | {[[सीता]] का एक नाम ‘वैदेही’ क्यों था? |
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