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'''नरेश मेहता''' [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] से सम्मानित [[हिन्दी]] के यशस्वी कवि एवं उन शीर्षस्थ लेखकों में से हैं जो भारतीयता की अपनी गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। नरेश मेहता ने आधुनिक कविता को नयी व्यंजना के साथ नया आयाम दिया। रागात्मकता, संवेदना और उदात्तता उनकी सर्जना के मूल तत्त्व है, जो उन्हें प्रकृति और समूची सृष्टि के प्रति पर्युत्सुक बनाते हैं। आर्य परम्परा और साहित्य को नरेश मेहता के काव्य में नयी दृष्टि मिली। साथ ही, प्रचलित साहित्यिक रुझानों से एक तरह की दूरी ने उनकी काव्य-शैली और संरचना को विशिष्टता दी। | '''नरेश मेहता''' [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] से सम्मानित [[हिन्दी]] के यशस्वी कवि एवं उन शीर्षस्थ लेखकों में से हैं जो भारतीयता की अपनी गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। नरेश मेहता ने आधुनिक [[कविता]] को नयी व्यंजना के साथ नया आयाम दिया। नरेश मेहता ने [[इन्दौर]] से प्रकाशित 'चौथा संसार' हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया। | ||
==जीवन परिचय== | |||
नरेश मेहता का जन्म सन् [[15 फ़रवरी]] [[1922]] ई. में [[मध्य प्रदेश]] के [[मालवा]] क्षेत्र के [[शाजापुर]] कस्बे में हुआ। [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] से आपने एम.ए. किया। आपने आल इण्डिया रेडियो इलाहाबाद में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में कार्य किया। नरेश मेहता दूसरा [[सप्तक]] के प्रमुख कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। सन् 2000 ई. में इनका निधन हो गया। | |||
==साहित्यिक परिचय== | |||
नरेश मेहता की भाषा संस्कृतनिष्ठ [[खड़ीबोली]] है। शिल्प और अभिव्यंजना के स्तर पर उसमें ताजगी और नयापन है। उन्होंने सीधे, सरल बिम्बों का प्रयोग भी किया है। नरेश मेहता की भाषा विषयानुकूल, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी है। उनके काव्य में [[रूपक अलंकार|रूपक]], मानवीकरण, [[उपमा अलंकार|उपमा]], [[उत्प्रेक्षा अलंकार|उत्प्रेक्षा]], [[अनुप्रास अलंकार|अनुप्रास]] आदि [[अलंकार|अलंकारों]] का प्रयोग हुआ है। नवीन उपमानों के साथ-साथ परंपरागत और नवीन [[छंद|छंदों]] का प्रयोग किया है। रागात्मकता, संवेदना और उदात्तता उनकी सर्जना के मूल तत्त्व है, जो उन्हें प्रकृति और समूची सृष्टि के प्रति पर्युत्सुक बनाते हैं। आर्य परम्परा और साहित्य को नरेश मेहता के काव्य में नयी दृष्टि मिली। साथ ही, प्रचलित साहित्यिक रुझानों से एक तरह की दूरी ने उनकी काव्य-शैली और संरचना को विशिष्टता दी। | |||
==कृतियाँ== | |||
* अरण्या | |||
* उत्तर कथा | |||
* एक समर्पित महिला | |||
* कितना अकेला आकाश | |||
* चैत्या | |||
* दो एकान्त | |||
* धूमकेतुः एक श्रुति | |||
* पुरुष | |||
* प्रति श्रुति | |||
* प्रवाद पर्व | |||
* बोलने दो चीड़ को | |||
* यह पथ बन्धु था | |||
* हम अनिकेतन | |||
==सम्मान और पुरस्कार== | |||
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12:59, 21 जून 2014 का अवतरण
नरेश मेहता ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिन्दी के यशस्वी कवि एवं उन शीर्षस्थ लेखकों में से हैं जो भारतीयता की अपनी गहरी दृष्टि के लिए जाने जाते हैं। नरेश मेहता ने आधुनिक कविता को नयी व्यंजना के साथ नया आयाम दिया। नरेश मेहता ने इन्दौर से प्रकाशित 'चौथा संसार' हिन्दी दैनिक का सम्पादन भी किया।
जीवन परिचय
नरेश मेहता का जन्म सन् 15 फ़रवरी 1922 ई. में मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के शाजापुर कस्बे में हुआ। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से आपने एम.ए. किया। आपने आल इण्डिया रेडियो इलाहाबाद में कार्यक्रम अधिकारी के रूप में कार्य किया। नरेश मेहता दूसरा सप्तक के प्रमुख कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। सन् 2000 ई. में इनका निधन हो गया।
साहित्यिक परिचय
नरेश मेहता की भाषा संस्कृतनिष्ठ खड़ीबोली है। शिल्प और अभिव्यंजना के स्तर पर उसमें ताजगी और नयापन है। उन्होंने सीधे, सरल बिम्बों का प्रयोग भी किया है। नरेश मेहता की भाषा विषयानुकूल, भावपूर्ण तथा प्रवाहमयी है। उनके काव्य में रूपक, मानवीकरण, उपमा, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास आदि अलंकारों का प्रयोग हुआ है। नवीन उपमानों के साथ-साथ परंपरागत और नवीन छंदों का प्रयोग किया है। रागात्मकता, संवेदना और उदात्तता उनकी सर्जना के मूल तत्त्व है, जो उन्हें प्रकृति और समूची सृष्टि के प्रति पर्युत्सुक बनाते हैं। आर्य परम्परा और साहित्य को नरेश मेहता के काव्य में नयी दृष्टि मिली। साथ ही, प्रचलित साहित्यिक रुझानों से एक तरह की दूरी ने उनकी काव्य-शैली और संरचना को विशिष्टता दी।
कृतियाँ
- अरण्या
- उत्तर कथा
- एक समर्पित महिला
- कितना अकेला आकाश
- चैत्या
- दो एकान्त
- धूमकेतुः एक श्रुति
- पुरुष
- प्रति श्रुति
- प्रवाद पर्व
- बोलने दो चीड़ को
- यह पथ बन्धु था
- हम अनिकेतन
सम्मान और पुरस्कार
- ज्ञानपीठ पुरस्कार (1992)
- साहित्य अकादमी पुरस्कार (1988)
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख