"पहेली 30 जुलाई 2014": अवतरणों में अंतर

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{'कलाधर' उपनाम से [[कविता]] कौन लिखते थे?
{[[अपभ्रंश]] के योग से [[राजस्थानी भाषा]] का जो साहित्यिक रूप बना, उसे क्या कहा जाता है?
|type="()"}
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-[[माखनलाल चतुर्वेदी]]
-[[पिंगल|पिंगल भाषा]]
-[[मैथिलीशरण गुप्त]]
+[[डिंगल|डिंगल भाषा]]  
+[[जयशंकर प्रसाद]]
-[[मारवाड़ी भाषा|मेवाड़ी भाषा]]  
-[[भगवतीचरण वर्मा]]
-बाँगरु भाषा
||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|80px|right|जयशंकर प्रसाद]] कहा जाता है कि नौ वर्ष की अवस्था में ही जयशंकर प्रसाद ने 'कलाधर' उपनाम से ब्रजभाषा में एक [[सवैया]] लिखकर अपने गुरु रसमयसिद्ध को दिखाया था। उनकी आरम्भिक रचनाएँ यद्यपि [[ब्रजभाषा]] में मिलती हैं पर क्रमश: वे [[खड़ी बोली]] को अपनाते गये। {{point}}अधिक जानकरी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]]
||'डिंगल' [[राजस्थानी भाषा|राजस्थानी]] की प्रमुख बोली '[[मारवाड़ी बोली|मारवाड़ी]]' का साहित्यिक रूप है। कुछ लोग [[डिंगल]] को मारवाड़ी से भिन्न चारणों की एक अलग [[भाषा]] बतलाते हैं, किंतु ऐसा मानना निराधार है। डिंगल को 'भाटभाषा' भी कहा गया है। मारवाड़ी के साहित्यिक रूप का नाम डिंगल क्यों पड़ा, इस प्रश्न पर बहुत मत-वैभिन्न्य है। [[डॉ. श्यामसुन्दर दास]] के अनुसार- "पिंगल के सादृश्य पर यह एक गढ़ा हुआ शब्द है।" [[चन्द्रधर शर्मा गुलेरी]] के अनुसार- "डिंगल यादृच्छात्मक अनुकरण शब्द है।" [[साहित्य]] में डिंगल का प्रयोग 13वीं सदी के मध्य से लेकर आज तक मिलता है। डॉ. तेस्सितोरी ने 'डिंगल' के प्राचीन और अर्वाचीन दो भेद किए हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[डिंगल]]
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{{पहेली क्रम |पिछली=[[पहेली 29 जुलाई 2014]] |अगली=[[पहेली 31 जुलाई 2014]]}}
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06:18, 29 जुलाई 2014 का अवतरण