"जहाँआरा": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "शौक " to "शौक़ ") |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''जहाँआरा''' ( | {{सूचना बक्सा ऐतिहासिक पात्र | ||
|चित्र=Jahanara.jpg | |||
|चित्र का नाम=जहाँआरा | |||
|पूरा नाम=जहाँआरा बेगम | |||
|अन्य नाम=पादशाह बेगम, बेगम साहब | |||
|जन्म=23 मार्च, 1614 ई.<ref name="bck"/> | |||
|जन्म भूमि=[[अजमेर]], [[राजस्थान]] | |||
|मृत्यु तिथि=6 सितम्बर, 1681 ई.<ref name="bck"/> | |||
|मृत्यु स्थान= | |||
|पिता/माता=[[शाहजहाँ]] और अर्जुमन्द बानो ([[मुमताज़ महल]]) | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान= | |||
|उपाधि= | |||
|शासन= | |||
|धार्मिक मान्यता=[[इस्लाम धर्म|इस्लाम]] | |||
|राज्याभिषेक= | |||
|युद्ध= | |||
|प्रसिद्धि= | |||
|निर्माण= | |||
|सुधार-परिवर्तन= | |||
|राजधानी= | |||
|पूर्वाधिकारी= | |||
|राजघराना= | |||
|वंश=[[मुग़ल काल|मुग़ल]] | |||
|शासन काल= | |||
|स्मारक= | |||
|मक़बरा= | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी=[[औरंगज़ेब]] ने जब शाहजहाँ को [[आगरा का किला|आगरा के क़िले]] में क़ैद कर लिया तो उसकी मृत्यु तक जहाँआरा ने [[पिता]] के साथ रहकर उसकी सेवा की। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
'''जहाँआरा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jahanara'', जन्म: 23 मार्च, 1614 ई. - मृत्यु: 6 सितम्बर, 1681 ई.) [[मुग़ल]] बादशाह [[शाहजहाँ]] और '[[मुमताज़ महल]]' की सबसे बड़ी पुत्री थी। | |||
* जहाँआरा का जन्म [[अजमेर]] में [[23 मार्च]],1614 ई. में हुआ था। जब यह चौदह वर्ष की थी, तभी से अपने [[पिता]] के राजकार्यों में उसका हाथ बंटाती थी। जहाँआरा 'पादशाह बेगम' या 'बेगम साहब' के नाम से भी प्रसिद्ध रही। | |||
*जहाँआरा [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के पद्य और गद्य की अच्छी ज्ञाता थी, और साथ ही इसे वेद्यक का भी ज्ञान था। | *जहाँआरा [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के पद्य और गद्य की अच्छी ज्ञाता थी, और साथ ही इसे वेद्यक का भी ज्ञान था। | ||
*इसे शेरों-शायरी की भी शौक़ था, उसके लिखे हुए बहुत से शेर मिलते हैं। | *इसे शेरों-शायरी की भी शौक़ था, उसके लिखे हुए बहुत से शेर मिलते हैं। | ||
*अपनी मां मुमताज़ महल की मृत्यु के बाद शाहजहाँ के जीवनभर जहाँआरा उसकी सबसे विश्वासपात्र रही। | *अपनी मां [[मुमताज़ महल]] की मृत्यु के बाद शाहजहाँ के जीवनभर जहाँआरा उसकी सबसे विश्वासपात्र रही। | ||
*एक बार बुरी तरह जल जाने के कारण इसे चार महीने तक जीवन-मरण के बीच संघर्ष करना पड़ा था। | *एक बार बुरी तरह जल जाने के कारण इसे चार महीने तक जीवन-मरण के बीच संघर्ष करना पड़ा था। | ||
*सबकी सम्मान-भाजन होने के कारण सभी जहाँआरा से परामर्श लिया करते थे। | *सबकी सम्मान-भाजन होने के कारण सभी जहाँआरा से परामर्श लिया करते थे। | ||
पंक्ति 10: | पंक्ति 46: | ||
*औरंगज़ेब ने जब शाहजहाँ को [[आगरा का किला|आगरा के क़िले]] में क़ैद कर लिया तो उसकी मृत्यु ([[जनवरी]], 1666 ई.) तक जहाँआरा ने [[पिता]] के साथ रहकर उसकी सेवा की। | *औरंगज़ेब ने जब शाहजहाँ को [[आगरा का किला|आगरा के क़िले]] में क़ैद कर लिया तो उसकी मृत्यु ([[जनवरी]], 1666 ई.) तक जहाँआरा ने [[पिता]] के साथ रहकर उसकी सेवा की। | ||
*अपने अंतिम दिनों में यह [[लाहौर]] के संत मियाँ पीर की शिष्या बन गई थी। | *अपने अंतिम दिनों में यह [[लाहौर]] के संत मियाँ पीर की शिष्या बन गई थी। | ||
*[[6 सितम्बर]], 1681 ई. को जहाँआरा की मृत्यु हुई। | *[[6 सितम्बर]], 1681 ई. को जहाँआरा की मृत्यु हुई।<ref name="bck">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन= |संपादन=|पृष्ठ संख्या=317|url=}}</ref> | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
पंक्ति 20: | पंक्ति 55: | ||
[[Category:इतिहास कोश]][[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:मध्य काल]] | [[Category:इतिहास कोश]][[Category:मुग़ल साम्राज्य]][[Category:चरित कोश]][[Category:मध्य काल]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
15:18, 1 सितम्बर 2014 का अवतरण
जहाँआरा
| |
पूरा नाम | जहाँआरा बेगम |
अन्य नाम | पादशाह बेगम, बेगम साहब |
जन्म | 23 मार्च, 1614 ई.[1] |
जन्म भूमि | अजमेर, राजस्थान |
मृत्यु तिथि | 6 सितम्बर, 1681 ई.[1] |
पिता/माता | शाहजहाँ और अर्जुमन्द बानो (मुमताज़ महल) |
धार्मिक मान्यता | इस्लाम |
वंश | मुग़ल |
अन्य जानकारी | औरंगज़ेब ने जब शाहजहाँ को आगरा के क़िले में क़ैद कर लिया तो उसकी मृत्यु तक जहाँआरा ने पिता के साथ रहकर उसकी सेवा की। |
जहाँआरा (अंग्रेज़ी: Jahanara, जन्म: 23 मार्च, 1614 ई. - मृत्यु: 6 सितम्बर, 1681 ई.) मुग़ल बादशाह शाहजहाँ और 'मुमताज़ महल' की सबसे बड़ी पुत्री थी।
- जहाँआरा का जन्म अजमेर में 23 मार्च,1614 ई. में हुआ था। जब यह चौदह वर्ष की थी, तभी से अपने पिता के राजकार्यों में उसका हाथ बंटाती थी। जहाँआरा 'पादशाह बेगम' या 'बेगम साहब' के नाम से भी प्रसिद्ध रही।
- जहाँआरा फ़ारसी के पद्य और गद्य की अच्छी ज्ञाता थी, और साथ ही इसे वेद्यक का भी ज्ञान था।
- इसे शेरों-शायरी की भी शौक़ था, उसके लिखे हुए बहुत से शेर मिलते हैं।
- अपनी मां मुमताज़ महल की मृत्यु के बाद शाहजहाँ के जीवनभर जहाँआरा उसकी सबसे विश्वासपात्र रही।
- एक बार बुरी तरह जल जाने के कारण इसे चार महीने तक जीवन-मरण के बीच संघर्ष करना पड़ा था।
- सबकी सम्मान-भाजन होने के कारण सभी जहाँआरा से परामर्श लिया करते थे।
- भाइयों में सत्ता संघर्ष को टालने की जहाँआरा ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाई।
- इसकी सहानुभूति दारा शिकोह के प्रति थी, फिर भी इसने विजयी औरंगज़ेब और मुराद से भेंट की और प्रस्ताव रखा कि चारों भाई साम्राज्य को परस्पर बांटकर शांतिपूर्वक रहें। लेकिन यह सम्भव नहीं हो पाया।
- औरंगज़ेब ने जब शाहजहाँ को आगरा के क़िले में क़ैद कर लिया तो उसकी मृत्यु (जनवरी, 1666 ई.) तक जहाँआरा ने पिता के साथ रहकर उसकी सेवा की।
- अपने अंतिम दिनों में यह लाहौर के संत मियाँ पीर की शिष्या बन गई थी।
- 6 सितम्बर, 1681 ई. को जहाँआरा की मृत्यु हुई।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख