"बाघंबर ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और खेत वाले की कहानी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) छो (बाघंबर ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और खेतवाले की कहानी का नाम बदलकर [[बाघंबर ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और खे...) |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
'''बाघंबर ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और खेत वाले की कहानी''' [[हितोपदेश]] की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है जिसके रचयिता [[नारायण पंडित]] हैं। | |||
==कहानी== | |||
<poem style="background:#fbf8df; padding:15px; border:1px solid #003333; border-radius:5px"> | |||
हस्तिनापुर में एक विलास नामक धोबी रहता था। उसका गधा अधिक बोझ ढ़ोने से दुबला मरासू- सा हो गया था। फिर उस धोबी ने इसे बाघ की खाल ओढ़ा कर वन के पास नाज के खेत में रख दिया। | [[हस्तिनापुर]] में एक विलास नामक धोबी रहता था। उसका गधा अधिक बोझ ढ़ोने से दुबला मरासू- सा हो गया था। फिर उस धोबी ने इसे बाघ की खाल ओढ़ा कर वन के पास नाज के खेत में रख दिया। | ||
फिर दूर से उसे देख कर और बाघ समझ, खेत वाले शीघ्र भाग जाते थे। इसके अनन्तर एक दिन कोई खेत का रखवाला धूसर रंग का कंबल ओढ़े हुए धनुष बाण चढ़ा कर शरीर को ओढ़ कर एकांत में बैठ गया। | फिर दूर से उसे देख कर और बाघ समझ, खेत वाले शीघ्र भाग जाते थे। इसके अनन्तर एक दिन कोई खेत का रखवाला धूसर रंग का कंबल ओढ़े हुए धनुष बाण चढ़ा कर शरीर को ओढ़ कर एकांत में बैठ गया। | ||
उधर मन माना अन्न चरने से बलवान हुआ गधा, उसे देखकर गधा जान कर ढ़ेंचू- ढ़ेंचू स्वर में रेंकता हुआ उसके सामने दौड़ा। तब खेतवाले ने, रेंकने के शब्द से इसको गधा निश्चय करके सहज में ही मार डाला। | उधर मन माना अन्न चरने से बलवान हुआ गधा, उसे देखकर गधा जान कर ढ़ेंचू- ढ़ेंचू स्वर में रेंकता हुआ उसके सामने दौड़ा। तब खेतवाले ने, रेंकने के शब्द से इसको गधा निश्चय करके सहज में ही मार डाला। | ||
</poem> | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{हितोपदेश की कहानियाँ}} | |||
[[Category: | [[Category:कहानी]][[Category:संस्कृत साहित्य]] | ||
[[Category:गद्य साहित्य]][[Category:कथा साहित्य]] | |||
[[Category:हितोपदेश की कहानियाँ]] | |||
[[Category:साहित्य कोश]] | |||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
14:24, 9 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
बाघंबर ओढ़ा हुआ धोबी का गधा और खेत वाले की कहानी हितोपदेश की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है जिसके रचयिता नारायण पंडित हैं।
कहानी
हस्तिनापुर में एक विलास नामक धोबी रहता था। उसका गधा अधिक बोझ ढ़ोने से दुबला मरासू- सा हो गया था। फिर उस धोबी ने इसे बाघ की खाल ओढ़ा कर वन के पास नाज के खेत में रख दिया।
फिर दूर से उसे देख कर और बाघ समझ, खेत वाले शीघ्र भाग जाते थे। इसके अनन्तर एक दिन कोई खेत का रखवाला धूसर रंग का कंबल ओढ़े हुए धनुष बाण चढ़ा कर शरीर को ओढ़ कर एकांत में बैठ गया।
उधर मन माना अन्न चरने से बलवान हुआ गधा, उसे देखकर गधा जान कर ढ़ेंचू- ढ़ेंचू स्वर में रेंकता हुआ उसके सामने दौड़ा। तब खेतवाले ने, रेंकने के शब्द से इसको गधा निश्चय करके सहज में ही मार डाला।