"हिन्दी सामान्य ज्ञान 27": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Subhadra-Kumari-Chauhan.jpg|सुभद्रा कुमारी चौहान|100px|right]]सुभद्रा कुमारी चौहान की श्रेष्ठतम कविताओं में "बुँदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी", बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। [[वीर रस]] से ओत-प्रोत इन पंक्तियों की रचयिता [[सुभद्रा कुमारी चौहान]] को 'राष्ट्रीय वसंत की प्रथम कोकिला' का विरुद प्रदान किया गया था। यह वह कविता है, जो जन-जन का कंठहार बनी। कविता में [[भाषा]] का ऐसा ऋजु-प्रवाह मिलता है कि वह बालकों-किशोरों को सहज ही कंठस्थ हो जाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुभद्रा कुमारी चौहान]] | ||[[चित्र:Subhadra-Kumari-Chauhan.jpg|सुभद्रा कुमारी चौहान|100px|right]]सुभद्रा कुमारी चौहान की श्रेष्ठतम कविताओं में "बुँदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी", बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। [[वीर रस]] से ओत-प्रोत इन पंक्तियों की रचयिता [[सुभद्रा कुमारी चौहान]] को 'राष्ट्रीय वसंत की प्रथम कोकिला' का विरुद प्रदान किया गया था। यह वह कविता है, जो जन-जन का कंठहार बनी। कविता में [[भाषा]] का ऐसा ऋजु-प्रवाह मिलता है कि वह बालकों-किशोरों को सहज ही कंठस्थ हो जाती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुभद्रा कुमारी चौहान]] | ||
{नीलगाय में कौन-सा समास है? | {नीलगाय में कौन-सा [[समास]] है? | ||
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-तत्पुरुष | -तत्पुरुष | ||
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-[[कबीरदास]] | -[[कबीरदास]] | ||
-[[केशवदास]] | -[[केशवदास]] | ||
||[[चित्र:Tulsidas.jpg|तुलसीदास|100px|right]][[हिन्दी साहित्य]] के [[आकाश तत्त्व|आकाश]] के परम [[नक्षत्र]] | ||[[चित्र:Tulsidas.jpg|तुलसीदास|100px|right]][[हिन्दी साहित्य]] के [[आकाश तत्त्व|आकाश]] के परम [[नक्षत्र]] गोस्वामी तुलसीदास जी [[भक्तिकाल]] की सगुण धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि है। तुलसीदास एक साथ [[कवि]], [[भक्त]] तथा समाज सुधारक इन तीनों रूपों में मान्य है। तुलसीदास द्वारा रचित [[ग्रंथ|ग्रंथों]] की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें [[रामचरितमानस]], [[कवितावली]], [[विनयपत्रिका]], [[दोहावली]], [[गीतावली]], [[जानकी मंगल]], [[हनुमान चालीसा]], [[बरवै रामायण]] आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]] | ||
{प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता कौन हैं? | {प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता कौन हैं? | ||
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-[[कुतबन]] | -[[कुतबन]] | ||
{निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द 'तत्सम' है? | {निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द '[[तत्सम]]' है? | ||
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-काज | -काज | ||
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+काल | +काल | ||
{चौपाई के चारों चरणों में कितनी मात्राएँ होती हैं? | {[[चौपाई]] के चारों चरणों में कितनी मात्राएँ होती हैं? | ||
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-तेरह | -तेरह | ||
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-[[रामचन्द्र शुक्ल]] | -[[रामचन्द्र शुक्ल]] | ||
+[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] | +[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]] | ||
||[[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|द्विवेदी|100px|right]]हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के व्यक्तित्व में 'विद्वत्ता और सरसता' तथा 'गम्भीरता और विनोदमयता' का, जो अदभुत संयोग मिलता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। इन विरोधाभासी तत्वों से निर्मित उनका व्यक्तित्व ही उनके निर्बन्ध निबन्धों में प्रतिफलित हुआ है। अपने निबन्धों में | ||[[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|द्विवेदी|100px|right]]हज़ारी प्रसाद द्विवेदी के व्यक्तित्व में 'विद्वत्ता और सरसता' तथा 'गम्भीरता और विनोदमयता' का, जो अदभुत संयोग मिलता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। इन विरोधाभासी तत्वों से निर्मित उनका व्यक्तित्व ही उनके निर्बन्ध निबन्धों में प्रतिफलित हुआ है। अपने निबन्धों में हज़ारी प्रसाद द्विवेदी बहुत ही सहज ढंग से अनौपचारिक रूप में, 'नाख़ून क्यों बढ़ते हैं', 'आम फिर बौरा गए', 'अशोक के फूल' तथा 'एक कुत्ता और एक मैना' आदि की चर्चा करते हैं, जिससे पाठकों का आनुकूल्य प्राप्त करने में उन्हें कोई कठिनाई नहीं होती।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]] | ||
{[[हिन्दी साहित्य]] के आधुनिक काल को इस नाम से भी अभिहित किया जाता है- | {[[हिन्दी साहित्य]] के आधुनिक काल को इस नाम से भी अभिहित किया जाता है- | ||
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- भाषा प्रांगण, हिन्दी भाषा
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