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         '''[[गजानन माधव 'मुक्तिबोध']]''' की प्रसिद्धि प्रगतिशील कवि के रूप में है। मुक्तिबोध [[हिन्दी साहित्य]] की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व थे। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है। मुक्तिबोध हिन्दी संसार की एक घटना बन गए। कुछ ऐसी घटना जिसकी ओर से आँखें मूंद लेना असम्भव था। उनका एकनिष्ठ संघर्ष, उनकी अटूट सच्चाई, उनका पूरा जीवन, सभी एक साथ हमारी भावनाओं के केंद्रीय मंच पर सामने आए और सभी ने उनके कवि होने को नई दृष्टि से देखा। कैसा जीवन था वह और ऐसे उसका अंत क्यों हुआ। और वह समुचित ख्याति से अब तक वंचित क्यों रहा? [[गजानन माधव 'मुक्तिबोध'|... और पढ़ें]]
         '''[[गजानन माधव 'मुक्तिबोध']]''' की प्रसिद्धि प्रगतिशील कवि के रूप में है। मुक्तिबोध [[हिन्दी साहित्य]] की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व थे। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है। मुक्तिबोध हिन्दी संसार की एक घटना बन गए। कुछ ऐसी घटना जिसकी ओर से आँखें मूंद लेना असम्भव था। उनका एकनिष्ठ संघर्ष, उनकी अटूट सच्चाई, उनका पूरा जीवन, सभी एक साथ हमारी भावनाओं के केंद्रीय मंच पर सामने आए और सभी ने उनके कवि होने को नई दृष्टि से देखा। कैसा जीवन था वह और ऐसे उसका अंत क्यों हुआ। और वह समुचित ख्याति से अब तक वंचित क्यों रहे? [[गजानन माधव 'मुक्तिबोध'|... और पढ़ें]]
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15:07, 23 दिसम्बर 2014 का अवतरण

एक व्यक्तित्व

        गजानन माधव 'मुक्तिबोध' की प्रसिद्धि प्रगतिशील कवि के रूप में है। मुक्तिबोध हिन्दी साहित्य की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व थे। उन्हें प्रगतिशील कविता और नयी कविता के बीच का एक सेतु भी माना जाता है। मुक्तिबोध हिन्दी संसार की एक घटना बन गए। कुछ ऐसी घटना जिसकी ओर से आँखें मूंद लेना असम्भव था। उनका एकनिष्ठ संघर्ष, उनकी अटूट सच्चाई, उनका पूरा जीवन, सभी एक साथ हमारी भावनाओं के केंद्रीय मंच पर सामने आए और सभी ने उनके कवि होने को नई दृष्टि से देखा। कैसा जीवन था वह और ऐसे उसका अंत क्यों हुआ। और वह समुचित ख्याति से अब तक वंचित क्यों रहे? ... और पढ़ें


पिछले लेख मोहन राकेश · जयशंकर प्रसाद · रामधारी सिंह 'दिनकर' · सूरदास