"लक्ष्य पर ध्यान -स्वामी विवेकानंद": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "==संबंधित लेख==" to "==संबंधित लेख== {{प्रेरक प्रसंग}}") |
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 29: | पंक्ति 29: | ||
}} | }} | ||
<poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px"> | <poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px"> | ||
[[स्वामी विवेकानन्द]] अमेरिका में भ्रमण कर रहे | [[स्वामी विवेकानन्द]] [[अमेरिका]] में भ्रमण कर रहे थे। एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा। किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था। तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे। उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा। फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे। ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पूछा, | ||
”भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?” | |||
स्वामी जी बोले , | स्वामी जी बोले , | ||
“तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में | “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ। अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए। तब तुम कभी चूकोगे नहीं। अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो। मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है।” | ||
;[[स्वामी विवेकानन्द]] से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए [[स्वामी विवेकानन्द के प्रेरक प्रसंग]] पर जाएँ | ;[[स्वामी विवेकानन्द]] से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए [[स्वामी विवेकानन्द के प्रेरक प्रसंग]] पर जाएँ | ||
</poem> | </poem> | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
पंक्ति 43: | पंक्ति 43: | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{प्रेरक प्रसंग}} | {{प्रेरक प्रसंग}} | ||
[[Category:अशोक कुमार शुक्ला]][[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:प्रेरक प्रसंग]][[Category: | [[Category:अशोक कुमार शुक्ला]][[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:प्रेरक प्रसंग]][[Category:स्वामी विवेकानन्द]] | ||
[[Category:साहित्य कोश]] | [[Category:साहित्य कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
11:38, 13 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
लक्ष्य पर ध्यान -स्वामी विवेकानंद
| |
विवरण | स्वामी विवेकानन्द |
भाषा | हिंदी |
देश | भारत |
मूल शीर्षक | प्रेरक प्रसंग |
उप शीर्षक | स्वामी विवेकानन्द के प्रेरक प्रसंग |
संकलनकर्ता | अशोक कुमार शुक्ला |
स्वामी विवेकानन्द अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे। एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा। किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था। तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे। उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा। फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे। ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पूछा,
”भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?”
स्वामी जी बोले ,
“तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ। अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए। तब तुम कभी चूकोगे नहीं। अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो। मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है।”
- स्वामी विवेकानन्द से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए स्वामी विवेकानन्द के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ
|
|
|
|
|