"प्रयोग:फ़ौज़िया2": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
!विवरण | !विवरण | ||
|- | |- | ||
| | |# | ||
|7000 | |7000 ई.पू. | ||
|[[राजस्थान]] (साम्भर) | |[[राजस्थान]] ([[साम्भर]]) | ||
|पौधे बोने के प्रथम साक्ष्य। | |पौधे बोने के प्रथम साक्ष्य। | ||
|- | |- | ||
| | |# | ||
|6000 | |6000 ई.पू. | ||
|मेहरगढ़ ([[सिंध]]-बलूचिस्तान सीमा), बुर्जहोम ([[कश्मीर]]) | |[[मेहरगढ़]] ([[सिंध]]-[[बलूचिस्तान]] सीमा), [[बुर्जहोम]] ([[कश्मीर]]) | ||
|भारत के प्राचीनतम आवास, कृषि तथा पशुपालन के अवशेष। | |भारत के प्राचीनतम आवास, कृषि तथा पशुपालन के अवशेष। | ||
|- | |- | ||
| | |# | ||
|5000–4000 | |5000–4000 ई.पू. | ||
|बागोर (भीलवाड़ा) तथा आदमगढ़ (होशंगाबाद) के निकट आखेटकों द्वारा | |[[बागोर]] ([[भीलवाड़ा]]) तथा [[आदमगढ़]] ([[होशंगाबाद]]) के निकट आखेटकों द्वारा | ||
|भेड़-बकरी पालन के प्रथम अवशेष। | |भेड़-बकरी पालन के प्रथम अवशेष। | ||
|- | |- | ||
| | |# | ||
|4000–3000 | |4000–3000 ई.पू. | ||
| | | | ||
|खेतिहारों-पशुपालकों की स्थानीय सभ्यताएँ। | |खेतिहारों-पशुपालकों की स्थानीय सभ्यताएँ। | ||
|- | |- | ||
| | |# | ||
|2500 | |2500 ई.पू. | ||
|[[सिंधु घाटी]] | |[[सिंधु घाटी]] | ||
|पूर्व-हड़प्पा सभ्यता के नगरों का विकास, अस्थि एवं प्रस्तर उपकरण तथा मनकों के आभूषण के अवशेष। | |पूर्व-[[हड़प्पा]] सभ्यता के नगरों का विकास, अस्थि एवं प्रस्तर उपकरण तथा मनकों के आभूषण के अवशेष। | ||
|- | |- | ||
|6 | |6 | ||
|2500–1750 | |2500–1750 ई.पू. | ||
| | | | ||
|रेडिया-कार्बन तिथि-निर्धारण के आधार पर हड़प्पा सभ्यता का काल-विस्तार। | |रेडिया-कार्बन तिथि-निर्धारण के आधार पर हड़प्पा सभ्यता का काल-विस्तार। | ||
|- | |- | ||
|7 | |7 | ||
|2250–2000 | |2250–2000 ई.पू. | ||
| | | | ||
|हड़प्पा सभ्यता का पूर्ण-विकसित दौर, विघटन तथा स्थानीय सभ्यताओं का उदय। | |हड़प्पा सभ्यता का पूर्ण-विकसित दौर, विघटन तथा स्थानीय सभ्यताओं का उदय। | ||
|- | |- | ||
|8 | |8 | ||
|1500 | |1500 ई.पू. | ||
| | | | ||
|आर्यों का आगमन, ऋग्वेद की रचना, वैदिक काल (1500-1000) प्रारम्भ, [[गंगा]] मैदान में आर्योत्तर ताम्र सभ्यता। | |आर्यों का आगमन, ऋग्वेद की रचना, वैदिक काल (1500-1000) प्रारम्भ, [[गंगा]] मैदान में आर्योत्तर ताम्र सभ्यता। | ||
|- | |- | ||
|9 | |9 | ||
|1000 | |1000 ई.पू. | ||
| | | | ||
|आर्यों का (गंगा मैदान) विस्तार, उत्तर वैदिक काल प्रारम्भ, 'ब्राह्मण ग्रन्थों' की रचना, वर्ण-व्यवस्था का बीजारोपण, लौह धातु का प्रयोग प्रारम्भ। | |आर्यों का (गंगा मैदान) विस्तार, उत्तर वैदिक काल प्रारम्भ, 'ब्राह्मण ग्रन्थों' की रचना, वर्ण-व्यवस्था का बीजारोपण, लौह धातु का प्रयोग प्रारम्भ। | ||
|- | |- | ||
|10 | |10 | ||
|950 | |950 ई.पू. | ||
| | | | ||
|[[महाभारत]] का युद्ध। | |[[महाभारत]] का युद्ध। | ||
|- | |- | ||
|11 | |11 | ||
|800 | |800 ई.पू. | ||
| | | | ||
|[[ | |महर्षि [[व्यास]] के द्वारा [[महाभारत]] महाकाव्य की रचना, आर्यों का दक्षिण-पूर्व ([[पश्चिम बंगाल|बंगाल]]) की ओर विस्तार, [[रामायण]] का प्रथम वृत्तान्त। | ||
|- | |- | ||
|12 | |12 | ||
|600–550 | |600–550 ई.पू. | ||
| | | | ||
|उपनिषदों की रचना, आर्यों का विदर्भ तथा [[गोदावरी]] तक दक्षिण-विस्तार। सोलह महाजनपदों की स्थापना, आर्य सभ्यता में कर्मकाण्डीय अनुष्ठान प्रतिष्ठित। | |उपनिषदों की रचना, आर्यों का विदर्भ तथा [[गोदावरी नदी|गोदावरी]] तक दक्षिण-विस्तार। सोलह महाजनपदों की स्थापना, आर्य सभ्यता में कर्मकाण्डीय अनुष्ठान प्रतिष्ठित। | ||
|- | |- | ||
|13 | |13 | ||
|563–483 | |563–483 ई.पू | ||
|जन्म-[[लुम्बिनी]], मृत्यु-[[कुशीनगर]] | |जन्म-[[लुम्बिनी]], मृत्यु-[[कुशीनगर]] | ||
|[[बौद्ध धर्म]] के संस्थापक [[गौतम बुद्ध]] की जीवन काल। | |[[बौद्ध धर्म]] के संस्थापक [[गौतम बुद्ध]] की जीवन काल। | ||
|- | |- | ||
|14 | |14 | ||
|599–257 | |599–257 ई.पू | ||
|(जन्म-[[कुन्डग्राम]], [[वैशाली]]), मृत्यु-[[पावापुरी]], [[कुशीनगर]] | |(जन्म-[[कुन्डग्राम]], [[वैशाली]]), मृत्यु-[[पावापुरी]], [[कुशीनगर]] | ||
|[[जैन धर्म]] के पुनर्प्रतिष्ठापक वर्द्धमान महावीर का काल। | |[[जैन धर्म]] के पुनर्प्रतिष्ठापक वर्द्धमान महावीर का काल। | ||
|- | |- | ||
|15 | |15 | ||
|544–492 | |544–492 ई.पू | ||
| | | | ||
|[[गौतम बुद्ध]] के समकालिक बिम्बिसार ([[हर्यक वंश]]) का राज्यकाल, [[मगध]] राज्य की श्रेष्ठता। | |[[गौतम बुद्ध]] के समकालिक बिम्बिसार ([[हर्यक वंश]]) का राज्यकाल, [[मगध]] राज्य की श्रेष्ठता। | ||
|- | |||
|16 | |||
|517–509 ई.पू | |||
|[[ईरान]] | |||
|[[हखमनी वंश]] के सम्राट डेरियस प्रथम के साथ प्रथम विदेशी आक्रमण, आर्यों की पराजय, यूनानी नौसेनापति स्काइलैक्स द्वारा [[सिन्धु नदी]] पर गवेषण अभियान। | |||
|- | |||
|17 | |||
|492–460 ई.पू | |||
| | |||
|[[बिम्बिसार]] के पुत्र [[अजातशत्रु]] का राज्यकाल। | |||
|- | |||
|18 | |||
|412–344 ई.पू | |||
| | |||
|[[शिशुनाग वंश]] का शासनकाल, अवन्ति के प्रद्यौत वंश का [[मगध]] साम्राज्य में विलय। | |||
|- | |||
|18 | |||
|400 ई.पू | |||
|सम्पूर्ण दक्षिण भारत | |||
|आर्यों का प्रभुत्व एवं सम्भवतः [[श्रीलंका]] तक विस्तार। | |||
|- | |||
|19 | |||
|344 ई.पू | |||
|महापद्मनन्द द्वारा [[मगध]] | |||
|[[नंद वंश]] की स्थापना। | |||
|- | |||
|20 | |||
|326 ई.पू | |||
| | |||
|[[नंद वंशी]] राजा [[घनानंद]] की सैन्य शक्ति से प्रभावित होकर [[सिकन्दर]] के सैनिकों का वापस लौटने का इरादा, वापसी मार्ग में [[बेबीलोन]] में सिकन्दर की मृत्यु। | |||
|- | |||
|21 | |||
|322 ई.पू | |||
| | |||
|[[चंद्रगुप्त मौर्य]] द्वारा (कौटिल्य की मदद से) [[नंद शासक]] [[घनानंद]] को पराजित कर [[मौर्य वंश]] की स्थापना। | |||
|- | |||
|22 | |||
|315 ई.पू | |||
| | |||
|[[इण्डिका]] के लेखक तथा [[सेल्युकस]] (यूनानी शासक) के दूत [[मेगस्थनीज]] का भारत में आगमन। | |||
|- | |||
|23 | |||
|298–273 ई.पू | |||
| | |||
|[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के पुत्र [[बिन्दुसार]] का राज्य काल। | |||
|- | |||
|24 | |||
|273–232 ई.पू | |||
| | |||
|[[अशोक]] का शासनकाल, [[मौर्यवंश]] का स्वर्णयुग। | |||
|- | |||
|25 | |||
|262-61 ई.पू | |||
|[[कलिंग]] | |||
|[[अशोक]] के द्वारा विजय। | |||
|- | |||
|26 | |||
|185 ई.पू | |||
| | |||
|अन्तिम मौर्य शासक [[बृहद्रथ]] की हत्या कर मौर्य सेनापति [[पुष्यमित्र शुंग]] द्वारा [[शुंग वंश]] की स्थापना। | |||
|- | |||
|27 | |||
|190–171 ई.पू | |||
| | |||
|यवन शासक [[डेमेट्रियस]] का राज्यकाल। | |||
|- | |||
|28 | |||
|165 ई.पू | |||
| | |||
|[[कलिंग]] शासक [[खारवेल]] द्वारा 'त्रमिरदेश संघटम' (पाण्ड्य, चोल) राज्य पर विजय। | |||
|- | |||
|29 | |||
|155–130 ई.पू | |||
| | |||
|सबसे प्रसिद्ध यवन शासक [[मिनान्डर]] (मिलिन्द) का राज्यकाल। | |||
|- | |||
|30 | |||
|145 ई.पू | |||
|[[श्रीलंका]] के शासक असेल | |||
|चोल राजा [[एलारा]] की विजय तथा लगभग 50 वर्षों तक शासन। | |||
|- | |||
|31 | |||
|128 ई.पू | |||
|[[पंजाब]] | |||
|यूची आक्रमण के भय से शक क़बीलों का भारत में प्रवेश। | |||
|- | |||
|32 | |||
|71 ई.पू | |||
| | |||
|[[शुंग वंश]] के अन्तिम सम्राट [[देवभूति]] की हत्या, [[वसुदेव]] के द्वारा [[कण्व वंश]] की स्थापना। | |||
|- | |||
|33 | |||
|60 ई.पू | |||
|[[आंध्र प्रदेश|आन्ध्र]] | |||
|[[सिमुक]] द्वारा [[सातवाहन वंश]] की स्थापना। | |||
|- | |||
|34 | |||
|58 ई.पू | |||
|[[उज्जैन]] | |||
|शासक [[विक्रमादित्य]] द्वारा [[विक्रम संवत्]] का प्रारम्भ। | |||
|- | |||
|35 | |||
|22 ई.पू | |||
|[[रोम]] | |||
|शासक आगस्टस के दरबार में पाण्ड्य राजदूत पहुँचा, चोल, पाण्ड्यों का रोम में व्यापारिक सम्बन्ध। | |||
|} | |} | ||
05:49, 12 अगस्त 2010 का अवतरण
भारतीय इतिहास — पुनरावलोकन
ईसा पूर्व
क्रम | ईसवी/वर्ष | स्थान | विवरण |
---|---|---|---|
# | 7000 ई.पू. | राजस्थान (साम्भर) | पौधे बोने के प्रथम साक्ष्य। |
# | 6000 ई.पू. | मेहरगढ़ (सिंध-बलूचिस्तान सीमा), बुर्जहोम (कश्मीर) | भारत के प्राचीनतम आवास, कृषि तथा पशुपालन के अवशेष। |
# | 5000–4000 ई.पू. | बागोर (भीलवाड़ा) तथा आदमगढ़ (होशंगाबाद) के निकट आखेटकों द्वारा | भेड़-बकरी पालन के प्रथम अवशेष। |
# | 4000–3000 ई.पू. | खेतिहारों-पशुपालकों की स्थानीय सभ्यताएँ। | |
# | 2500 ई.पू. | सिंधु घाटी | पूर्व-हड़प्पा सभ्यता के नगरों का विकास, अस्थि एवं प्रस्तर उपकरण तथा मनकों के आभूषण के अवशेष। |
6 | 2500–1750 ई.पू. | रेडिया-कार्बन तिथि-निर्धारण के आधार पर हड़प्पा सभ्यता का काल-विस्तार। | |
7 | 2250–2000 ई.पू. | हड़प्पा सभ्यता का पूर्ण-विकसित दौर, विघटन तथा स्थानीय सभ्यताओं का उदय। | |
8 | 1500 ई.पू. | आर्यों का आगमन, ऋग्वेद की रचना, वैदिक काल (1500-1000) प्रारम्भ, गंगा मैदान में आर्योत्तर ताम्र सभ्यता। | |
9 | 1000 ई.पू. | आर्यों का (गंगा मैदान) विस्तार, उत्तर वैदिक काल प्रारम्भ, 'ब्राह्मण ग्रन्थों' की रचना, वर्ण-व्यवस्था का बीजारोपण, लौह धातु का प्रयोग प्रारम्भ। | |
10 | 950 ई.पू. | महाभारत का युद्ध। | |
11 | 800 ई.पू. | महर्षि व्यास के द्वारा महाभारत महाकाव्य की रचना, आर्यों का दक्षिण-पूर्व (बंगाल) की ओर विस्तार, रामायण का प्रथम वृत्तान्त। | |
12 | 600–550 ई.पू. | उपनिषदों की रचना, आर्यों का विदर्भ तथा गोदावरी तक दक्षिण-विस्तार। सोलह महाजनपदों की स्थापना, आर्य सभ्यता में कर्मकाण्डीय अनुष्ठान प्रतिष्ठित। | |
13 | 563–483 ई.पू | जन्म-लुम्बिनी, मृत्यु-कुशीनगर | बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध की जीवन काल। |
14 | 599–257 ई.पू | (जन्म-कुन्डग्राम, वैशाली), मृत्यु-पावापुरी, कुशीनगर | जैन धर्म के पुनर्प्रतिष्ठापक वर्द्धमान महावीर का काल। |
15 | 544–492 ई.पू | गौतम बुद्ध के समकालिक बिम्बिसार (हर्यक वंश) का राज्यकाल, मगध राज्य की श्रेष्ठता। | |
16 | 517–509 ई.पू | ईरान | हखमनी वंश के सम्राट डेरियस प्रथम के साथ प्रथम विदेशी आक्रमण, आर्यों की पराजय, यूनानी नौसेनापति स्काइलैक्स द्वारा सिन्धु नदी पर गवेषण अभियान। |
17 | 492–460 ई.पू | बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रु का राज्यकाल। | |
18 | 412–344 ई.पू | शिशुनाग वंश का शासनकाल, अवन्ति के प्रद्यौत वंश का मगध साम्राज्य में विलय। | |
18 | 400 ई.पू | सम्पूर्ण दक्षिण भारत | आर्यों का प्रभुत्व एवं सम्भवतः श्रीलंका तक विस्तार। |
19 | 344 ई.पू | महापद्मनन्द द्वारा मगध | नंद वंश की स्थापना। |
20 | 326 ई.पू | नंद वंशी राजा घनानंद की सैन्य शक्ति से प्रभावित होकर सिकन्दर के सैनिकों का वापस लौटने का इरादा, वापसी मार्ग में बेबीलोन में सिकन्दर की मृत्यु। | |
21 | 322 ई.पू | चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा (कौटिल्य की मदद से) नंद शासक घनानंद को पराजित कर मौर्य वंश की स्थापना। | |
22 | 315 ई.पू | इण्डिका के लेखक तथा सेल्युकस (यूनानी शासक) के दूत मेगस्थनीज का भारत में आगमन। | |
23 | 298–273 ई.पू | चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र बिन्दुसार का राज्य काल। | |
24 | 273–232 ई.पू | अशोक का शासनकाल, मौर्यवंश का स्वर्णयुग। | |
25 | 262-61 ई.पू | कलिंग | अशोक के द्वारा विजय। |
26 | 185 ई.पू | अन्तिम मौर्य शासक बृहद्रथ की हत्या कर मौर्य सेनापति पुष्यमित्र शुंग द्वारा शुंग वंश की स्थापना। | |
27 | 190–171 ई.पू | यवन शासक डेमेट्रियस का राज्यकाल। | |
28 | 165 ई.पू | कलिंग शासक खारवेल द्वारा 'त्रमिरदेश संघटम' (पाण्ड्य, चोल) राज्य पर विजय। | |
29 | 155–130 ई.पू | सबसे प्रसिद्ध यवन शासक मिनान्डर (मिलिन्द) का राज्यकाल। | |
30 | 145 ई.पू | श्रीलंका के शासक असेल | चोल राजा एलारा की विजय तथा लगभग 50 वर्षों तक शासन। |
31 | 128 ई.पू | पंजाब | यूची आक्रमण के भय से शक क़बीलों का भारत में प्रवेश। |
32 | 71 ई.पू | शुंग वंश के अन्तिम सम्राट देवभूति की हत्या, वसुदेव के द्वारा कण्व वंश की स्थापना। | |
33 | 60 ई.पू | आन्ध्र | सिमुक द्वारा सातवाहन वंश की स्थापना। |
34 | 58 ई.पू | उज्जैन | शासक विक्रमादित्य द्वारा विक्रम संवत् का प्रारम्भ। |
35 | 22 ई.पू | रोम | शासक आगस्टस के दरबार में पाण्ड्य राजदूत पहुँचा, चोल, पाण्ड्यों का रोम में व्यापारिक सम्बन्ध। |