"हम लाये हैं तूफ़ान से": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
* गीतकार: [[प्रदीप]]
* गीतकार: [[प्रदीप]]
|}
|}
'''हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के''' प्रसिद्ध [[कवि]] और गायक [[प्रदीप]] का लिखा हुआ देशभक्ति की भावना से ओतप्रेत गीत है। कवि प्रदीप पर [[महात्मा गाँधी]] का बड़ा प्रभाव था, इसीलिए उन्होंने गाँधी जी की छटा, छवि और श्रद्धा सहज भाव से इस गीत में समर्पित कर दी थी। यह गीत अपने समय के मशहूर गायक [[मोहम्मद रफ़ी]] ने गाया था।
==रचना==
‘नास्तिक’ फ़िल्म की अपूर्व सफलता के बाद 'फ़िल्मिस्तान स्टूडियो' ने अपनी दूसरी फ़िल्म ‘जागृति’ ([[1954]]) के गीत भी लिखने के लिए [[प्रदीप]] को सौंप दी थी। उन्होंने फ़िल्म की [[कहानी]] पढ़ी, जो स्कूल में पढ़ने वाले शैतान बच्चों की थी। स्थिति-परिस्थिति को देखते हुए उन्होंने अपने स्वभाव और प्रकृति के अनुकूल एक नई परिस्थिति पैदा कर दी, जिससे की फ़िल्म की, विषय के अनुरूप आवश्यकता पूर्ति हो गई। यहाँ यह उल्लेख प्रासंगिक होगा कि प्रदीप पर [[महात्मा गाँधी]] का बड़ा प्रभाव था, इसीलिए उन्होंने गाँधी जी की छटा, छवि और श्रद्धा सहज भाव से इस गीत में समर्पित कर दी।
==मोहम्मद रफ़ी द्वारा गायन==
आज़ादी मिलना ही काफ़ी नहीं होता, उसे सुरक्षित रखना भी देशवासियों का कर्तव्य होता है। इस कर्तव्य को मधुर आवाज़ देते हुए [[मोहम्मद रफ़ी]] ने 'फ़िल्म जागृति' के इस गीत को गाया। इस गीत के साथ ही फ़िल्म 'जागृति' के अन्य गीत भी प्रसिद्ध हुए थे। शोक और हर्ष के एक ही मुखड़े के दो गीत कवि प्रदीप ने लिखे- ‘[[चलो चलें माँ|चलो चलें माँ, सपनों के गाँव में। काँटों से दूर कहीं फूलों की छाँव में]]।' सरल, लचीली और सामान्य [[भाषा]] का प्रयोग करते हुए प्रसाद गुण से सम्पन्न, [[शांत रस]] प्रधान एक अन्य गीत भी प्रदीप ने लिखा और गाया- ‘[[आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ|आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी हिंदुस्तान की, इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की]]।‘ इस प्रकार [[प्रदीप]] ने शिक्षाप्रद एवं देशभक्ति प्रधान गीत लिखकर ने केवल फ़िल्म को ही ऊँची दिशा दी वरन देशभक्ति के अपने गीतों की पताका को और ऊँचा फहरा दिया।
{{Poemopen}}
{{Poemopen}}
<poem>
<poem>
पंक्ति 48: पंक्ति 55:
{{Poemclose}}
{{Poemclose}}


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक= प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

12:21, 9 फ़रवरी 2015 का अवतरण

संक्षिप्त परिचय

हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के प्रसिद्ध कवि और गायक प्रदीप का लिखा हुआ देशभक्ति की भावना से ओतप्रेत गीत है। कवि प्रदीप पर महात्मा गाँधी का बड़ा प्रभाव था, इसीलिए उन्होंने गाँधी जी की छटा, छवि और श्रद्धा सहज भाव से इस गीत में समर्पित कर दी थी। यह गीत अपने समय के मशहूर गायक मोहम्मद रफ़ी ने गाया था।

रचना

‘नास्तिक’ फ़िल्म की अपूर्व सफलता के बाद 'फ़िल्मिस्तान स्टूडियो' ने अपनी दूसरी फ़िल्म ‘जागृति’ (1954) के गीत भी लिखने के लिए प्रदीप को सौंप दी थी। उन्होंने फ़िल्म की कहानी पढ़ी, जो स्कूल में पढ़ने वाले शैतान बच्चों की थी। स्थिति-परिस्थिति को देखते हुए उन्होंने अपने स्वभाव और प्रकृति के अनुकूल एक नई परिस्थिति पैदा कर दी, जिससे की फ़िल्म की, विषय के अनुरूप आवश्यकता पूर्ति हो गई। यहाँ यह उल्लेख प्रासंगिक होगा कि प्रदीप पर महात्मा गाँधी का बड़ा प्रभाव था, इसीलिए उन्होंने गाँधी जी की छटा, छवि और श्रद्धा सहज भाव से इस गीत में समर्पित कर दी।

मोहम्मद रफ़ी द्वारा गायन

आज़ादी मिलना ही काफ़ी नहीं होता, उसे सुरक्षित रखना भी देशवासियों का कर्तव्य होता है। इस कर्तव्य को मधुर आवाज़ देते हुए मोहम्मद रफ़ी ने 'फ़िल्म जागृति' के इस गीत को गाया। इस गीत के साथ ही फ़िल्म 'जागृति' के अन्य गीत भी प्रसिद्ध हुए थे। शोक और हर्ष के एक ही मुखड़े के दो गीत कवि प्रदीप ने लिखे- ‘चलो चलें माँ, सपनों के गाँव में। काँटों से दूर कहीं फूलों की छाँव में।' सरल, लचीली और सामान्य भाषा का प्रयोग करते हुए प्रसाद गुण से सम्पन्न, शांत रस प्रधान एक अन्य गीत भी प्रदीप ने लिखा और गाया- ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ झाँकी हिंदुस्तान की, इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की।‘ इस प्रकार प्रदीप ने शिक्षाप्रद एवं देशभक्ति प्रधान गीत लिखकर ने केवल फ़िल्म को ही ऊँची दिशा दी वरन देशभक्ति के अपने गीतों की पताका को और ऊँचा फहरा दिया।

पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंजिल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के

हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के ...

देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा
इसको हृदय के ख़ून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग शहीदों ने बाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...

दुनिया के दांव पेंच से रखना न वास्ता
मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता
भटका न दे कोई तुम्हें धोके मे डाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...

एटम बमों के ज़ोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर क़दम उठाना जरा देखभाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...

आराम की तुम भूल भुलय्या में न भूलो
सपनों के हिंडोलों में मगन हो के न झूलो
अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलो
उठो छलांग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख