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पाक वतन है कौम का जन्नत से भी प्यारा।।
पाक वतन है कौम का जन्नत से भी प्यारा।।
आज शहीदों ने तुझको, अहले वतन ललकारा।
आज शहीदों ने तुझको, अहले वतन ललकारा।
तोड़ो गुलामी की जंजीरें, बरसाओ अंगारा।।"</poem></blockquote>
तोड़ो ग़ुलामी की जंजीरें, बरसाओ अंगारा।।"</poem></blockquote>


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14:04, 6 अप्रैल 2015 के समय का अवतरण

पयामे आज़ादी फ़रवरी, 1857 में दिल्ली से प्रकाशित होने वाला समाचार पत्र था। इस समाचार पत्र का प्रकाशन प्रसिद्ध क्रांतिकारी अजीमुल्ला ख़ाँ ने किया था।

  • इस पत्र के प्रकाशक एवं मुद्रक नवाब बहादुरशाह जफ़र के पौत्र केदार बख़्त थे।
  • पहले यह यह समाचार पत्र उर्दू में निकाला गया और बाद में हिन्दी में भी इसका प्रकाशन हुआ।
  • पयामे आज़ादी में अंग्रेज़ सरकार के विरुद्ध सामग्री होती थी, पत्र ने दिल्ली की जनता में स्वतंत्रता की अग्नि को फैलाया।
  • इसी पत्र में भारत का तत्कालीन राष्ट्रीय गीत भी छपा था, जिसकी कुछ पंक्तियाँ निम्नलिखित थीं-

"हम हैं इसके मालिक, हिंदुस्तान हमारा।
पाक वतन है कौम का जन्नत से भी प्यारा।।
आज शहीदों ने तुझको, अहले वतन ललकारा।
तोड़ो ग़ुलामी की जंजीरें, बरसाओ अंगारा।।"


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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