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||[[माहम अनगा]] बादशाह [[अकबर]] के बचपन में उसकी मुख्य अनगा (दूधमाता) थी। वह एक कटु राजनीतिज्ञ महिला और अदहम ख़ाँ की माँ थी। वह हरम के अन्दर उस दल में सम्मिलित थी, जो [[बैरम ख़ाँ]] के राज्य का सर्वेसर्वा बने रहने का विरोधी था। उसने अकबर को बैरम ख़ाँ के हाथ से सल्तनत की बाग़डोर छीनने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माहम अनगा]] | ||[[माहम अनगा]] बादशाह [[अकबर]] के बचपन में उसकी मुख्य अनगा (दूधमाता) थी। वह एक कटु राजनीतिज्ञ महिला और अदहम ख़ाँ की माँ थी। वह हरम के अन्दर उस दल में सम्मिलित थी, जो [[बैरम ख़ाँ]] के राज्य का सर्वेसर्वा बने रहने का विरोधी था। उसने अकबर को बैरम ख़ाँ के हाथ से सल्तनत की बाग़डोर छीनने के लिए प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माहम अनगा]] | ||
{' | {'सन्न्यासी विद्रोह' किस क्षेत्र में हुआ था? | ||
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|| सन 1757 में [[प्लासी]] के युद्ध ने [[इतिहास]] की धारा को मोड़ दिया, जब [[अंग्रेज़]] पहली बार [[बंगाल]] और [[भारत]] में अपने पांव जमा पाए। सन् 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए अंग्रेज़ों ने बंगाल का विभाजन कर दिया, लेकिन [[कांग्रेस]] के नेतृत्व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए [[1911]] में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। 18वीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध [[भारत]] के कुछ भागों में | || सन 1757 में [[प्लासी]] के युद्ध ने [[इतिहास]] की धारा को मोड़ दिया, जब [[अंग्रेज़]] पहली बार [[बंगाल]] और [[भारत]] में अपने पांव जमा पाए। सन् 1905 में राजनीतिक लाभ के लिए अंग्रेज़ों ने बंगाल का विभाजन कर दिया, लेकिन [[कांग्रेस]] के नेतृत्व में लोगों के बढ़ते हुए आक्रोश को देखते हुए [[1911]] में बंगाल को फिर से एक कर दिया गया। 18वीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध [[भारत]] के कुछ भागों में सन्न्यासियों ने आन्दोलन प्रारम्भ कर दिये थे, इस आन्दोलन को 'सन्न्यासी विद्रोह' कहा जाता है। ब्रिटिश शासन काल में यह आन्दोलन अधिकतर बंगाल प्रांत में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बंगाल]] | ||
{[[भारत]] की पहली महिला स्नातक एवं पहली महिला फिजीशियन कौन थीं? | {[[भारत]] की पहली महिला स्नातक एवं पहली महिला फिजीशियन कौन थीं? |
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