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'''मुगल रोड'''[[ग्राण्ड ट्रंक रोड]] के उस हिस्से को कहा जाता है जो भारत के अंतरगत पडता है। [[शेरशाह सूरी]] ने [[बंगाल]] के [[सोनागाँव]] से [[सिंध प्रांत]] तक दो हज़ार मील लंबी पक्की सड़क बनवाई थी, ताकि यातायात की उत्तम व्यवस्था हो सके। साथ ही उसने यात्रियों एवं व्यापारियों की सुरक्षा का भी संतोषजनक प्रबंध किया। यह प्राचीन [[ग्राण्ड ट्रंक रोड]] [[भारत]] [[पाकिस्तान]] और [[अफगानिस्तान]] के तीन खण्डों में विभाजित हो गयी है। इस मार्ग का वह हिस्सा जो भारत के अंतरगत आता है अब [[राष्ट्रीय राजमार्ग 1]] और [[राष्ट्रीय राजमार्ग 2]] के नाम से जाना जाता है।
'''मुगल रोड''' [[ग्राण्ड ट्रंक रोड]] के उस हिस्से को कहा जाता है जो भारत देश के अंतरगत पडता है। [[शेरशाह सूरी]] ने [[बंगाल]] के [[सोनागाँव]] से [[सिंध प्रांत]] तक दो हज़ार मील लंबी पक्की सड़क बनवाई थी, ताकि यातायात की उत्तम व्यवस्था हो सके। साथ ही उसने यात्रियों एवं व्यापारियों की सुरक्षा का भी संतोषजनक प्रबंध किया। यह प्राचीन [[ग्राण्ड ट्रंक रोड]] [[भारत]] [[पाकिस्तान]] और [[अफगानिस्तान]] के तीन खण्डों में विभाजित हो गयी है। इस मार्ग का वह हिस्सा जो भारत के अंतरगत आता है अब [[राष्ट्रीय राजमार्ग 1]] और [[राष्ट्रीय राजमार्ग 2]] के नाम से जाना जाता है।

08:48, 13 मई 2015 का अवतरण

मुगल रोड ग्राण्ड ट्रंक रोड के उस हिस्से को कहा जाता है जो भारत देश के अंतरगत पडता है। शेरशाह सूरी ने बंगाल के सोनागाँव से सिंध प्रांत तक दो हज़ार मील लंबी पक्की सड़क बनवाई थी, ताकि यातायात की उत्तम व्यवस्था हो सके। साथ ही उसने यात्रियों एवं व्यापारियों की सुरक्षा का भी संतोषजनक प्रबंध किया। यह प्राचीन ग्राण्ड ट्रंक रोड भारत पाकिस्तान और अफगानिस्तान के तीन खण्डों में विभाजित हो गयी है। इस मार्ग का वह हिस्सा जो भारत के अंतरगत आता है अब राष्ट्रीय राजमार्ग 1 और राष्ट्रीय राजमार्ग 2 के नाम से जाना जाता है।