"जो सुमिरत सिधि होइ": अवतरणों में अंतर
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जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन। | जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन। | ||
करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।1।। | करउ अनुग्रह सोइ बुद्धि रासि सुभ गुन सदन।।1।। | ||
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जिन्हें स्मरण करने से सब कार्य सिद्ध होते हैं, जो गणों के स्वामी और सुंदर हाथी के मुख वाले हैं, वे ही बुद्धि के राशि और शुभ गुणों के धाम (श्री गणेशजी) मुझ पर कृपा करें॥1॥ | जिन्हें स्मरण करने से सब कार्य सिद्ध होते हैं, जो गणों के स्वामी और सुंदर हाथी के मुख वाले हैं, वे ही बुद्धि के राशि और शुभ गुणों के धाम (श्री गणेशजी) मुझ पर कृपा करें॥1॥ | ||
{{लेख क्रम4| पिछला=रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड)|मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=मूक होइ बाचाल पंगु}} | {{लेख क्रम4| पिछला=रामचरितमानस प्रथम सोपान (बालकाण्ड)|मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=मूक होइ बाचाल पंगु}} |
10:28, 14 मई 2016 का अवतरण
जो सुमिरत सिधि होइ
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | चौपाई और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
जो सुमिरत सिधि होइ गन नायक करिबर बदन। |
- भावार्थ-
जिन्हें स्मरण करने से सब कार्य सिद्ध होते हैं, जो गणों के स्वामी और सुंदर हाथी के मुख वाले हैं, वे ही बुद्धि के राशि और शुभ गुणों के धाम (श्री गणेशजी) मुझ पर कृपा करें॥1॥
जो सुमिरत सिधि होइ |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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