"बाँध्यो बननिधि नीरनिधि": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 29: | पंक्ति 29: | ||
|टिप्पणियाँ = | |टिप्पणियाँ = | ||
}} | }} | ||
;रावण को मन्दोदरी का समझाना, रावण-प्रहस्त संवाद | |||
{{poemopen}} | {{poemopen}} | ||
<poem> | <poem> |
07:42, 25 मई 2016 के समय का अवतरण
बाँध्यो बननिधि नीरनिधि
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | 'रामचरितमानस' |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि। |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | दोहा, चौपाई और सोरठा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | लंकाकाण्ड |
- रावण को मन्दोदरी का समझाना, रावण-प्रहस्त संवाद
बाँध्यो बननिधि नीरनिधि जलधि सिंधु बारीस। |
- भावार्थ
वननिधि, नीरनिधि, जलधि, सिंधु, वारीश, तोयनिधि, कंपति, उदधि, पयोधि, नदीश को क्या सचमुच ही बाँध लिया?॥ 5॥
बाँध्यो बननिधि नीरनिधि |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख