"गिरि ते उतरि पवनसुत आवा": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 37: पंक्ति 37:
{{poemclose}}
{{poemclose}}
;भावार्थ
;भावार्थ
पवन कुमार हनुमान्‌जी पर्वत से उतर आए और सबको ले जाकर उन्होंने वह गुफा दिखलाई। सबने हनुमान्‌जी को आगे कर लिया और वे गुफा में घुस गए, देर नहीं की॥4॥
पवन कुमार हनुमान जी [[पर्वत]] से उतर आए और सबको ले जाकर उन्होंने वह गुफा दिखलाई। सबने [[हनुमान|हनुमान जी]] को आगे कर लिया और वे गुफा में घुस गए, देर नहीं की॥4॥
{{लेख क्रम4| पिछला=चढ़ि गिरि सिखर चहूँ दिसि देखा |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=दीख जाइ उपबन बर}}
{{लेख क्रम4| पिछला=चढ़ि गिरि सिखर चहूँ दिसि देखा |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=दीख जाइ उपबन बर}}



08:41, 26 मई 2016 के समय का अवतरण

गिरि ते उतरि पवनसुत आवा
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड किष्किंधा काण्ड
चौपाई

गिरि ते उतरि पवनसुत आवा। सब कहुँ लै सोइ बिबर देखावा॥
आगें कै हनुमंतहि लीन्हा। पैठे बिबर बिलंबु न कीन्हा॥4॥

भावार्थ

पवन कुमार हनुमान जी पर्वत से उतर आए और सबको ले जाकर उन्होंने वह गुफा दिखलाई। सबने हनुमान जी को आगे कर लिया और वे गुफा में घुस गए, देर नहीं की॥4॥


पीछे जाएँ
पीछे जाएँ
गिरि ते उतरि पवनसुत आवा
आगे जाएँ
आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख