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'''चित्रगुप्त मंदिर''' [[मध्य प्रदेश]] राज्य के [[छत्तरपुर ज़िला|छत्तरपुर ज़िले]] में स्थित छोटे-से क़स्बे [[खजुराहो]] अवस्थित है। यह पूर्व की ओर मुख वाला मंदिर है। मंदिर [[सूर्य देव|भगवान सूर्य]] को समर्पित है। चित्रगुप्त मंदिर के अंदर पाँच फुट ऊँचे सात घोड़ों के रथ पर सवार भगवान सूर्य की प्रतिमा मनमोहक है। इस मंदिर की दीवारों पर राजाओं के शिकार और उनकी सभाओं में समूह नृत्य के दृश्य काफ़ी ख़ूबसूरती के साथ उकेरे गए हैं। इससे [[चंदेल वंश|चंदेल]] राजाओं की संपन्नता का पता लगता है।
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==निर्माण==
==निर्माण==
सूर्यदेव को समर्पित [[खजुराहो]] का चित्रगुप्त मंदिर एक बहुत पुराना [[तीर्थ|तीर्थस्थल]] है। यह मंदिर 11वीं सदी में बनाया गया था। मंदिर की दीवारों पर बारीक नक्काशी की गई है।
सूर्यदेव को समर्पित [[खजुराहो]] का चित्रगुप्त मंदिर एक बहुत पुराना [[तीर्थ|तीर्थस्थल]] है। यह मंदिर 11वीं सदी में बनाया गया था। मंदिर की दीवारों पर बारीक नक्काशी की गई है।
====मुख्य आकर्षण====
==मुख्य आकर्षण==
सात घोड़ों वाले रथ पर खड़े हुए सूर्यदेव की शानदार मूर्ति इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है। इस मंदिर के अन्य आकर्षण हैं-
सात घोड़ों वाले रथ पर खड़े हुए सूर्यदेव की शानदार मूर्ति इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है। इस मंदिर के अन्य आकर्षण हैं-
#पत्थर की नक्काशियों में सुरसुंदरियों की पूरी आकृतियाँ
#पत्थर की नक्काशियों में सुरसुंदरियों की पूरी आकृतियाँ।
#ग्यारह सिर वाला भगवान विष्णु का स्वरूप
#ग्यारह सिर वाला [[विष्णु|भगवान विष्णु]] का स्वरूप।
#कामुक प्रेम दर्शाते प्रेमी जोड़े
#कामुक प्रेम दर्शाते प्रेमी जोड़े।


इस मंदिर में एक विशाल तिमंजिली सीढ़ीनुमा टंकी है, जो मंदिर में आने वालों को आकर्षित करती है। इस सुंदर मंदिर की बाहरी दीवारों पर भी देवी-देवताओं, स्त्रियों और बहुत सारी अन्य पत्थर की नक्काशियाँ बनी हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार सूर्यदेव की छोटी मूर्तियों से सजे हुए हैं। यहाँ आने वाले यात्री अकसर मंदिर की खूबसूरती देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।<ref>{{cite web |url= http://hindi.nativeplanet.com/khajuraho/attractions/chitragupta-temple/|title= चित्रगुप्त मंदिर, खजुराहो|accessmonthday=19 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= नेटिव प्लेनेट|language= हिन्दी}}</ref>
इस मंदिर में एक विशाल तिमंजिली सीढ़ीनुमा टंकी है, जो मंदिर में आने वालों को आकर्षित करती है। इस सुंदर मंदिर की बाहरी दीवारों पर भी देवी-देवताओं, स्त्रियों और बहुत सारी अन्य पत्थर की नक्काशियाँ बनी हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार सूर्यदेव की छोटी मूर्तियों से सजे हुए हैं। यहाँ आने वाले यात्री अकसर मंदिर की खूबसूरती देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।<ref>{{cite web |url= http://hindi.nativeplanet.com/khajuraho/attractions/chitragupta-temple/|title= चित्रगुप्त मंदिर, खजुराहो|accessmonthday=19 मार्च|accessyear= 2015|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= नेटिव प्लेनेट|language= हिन्दी}}</ref>
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शिखर पर तीन चंद्रिकाएँ हैं। मंदिर के अंतराल में केवल एक रथिका अंकित है, जिस पर चतुर्भुज [[शिव]] विराजमान हैं। मंदिर के महामंडप में एक प्रमुख घंटे और तीन कूट घंटे लगाए गए हैं। कूट घंटों के चार-चार पीठे हैं, जिन पर चंद्रिका, आम्लक और कलश आरोहित हैं। महामंडप का सभागृह वर्गाकार है, जिसे अष्टकोणिय बनाया गया है। महामंडप की चतुष्किया सीधी-सादी है। वितान के साथ-साथ अप्सराओं के लिए भी टोड़ा अंकित किया गया है। वितान नाविच्छंद प्रकृति का है, मंदिर के अंदर [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]], भैरव, [[सूर्य देव|सूर्य]], [[कुबेर]] तथा अन्य चतुर्भुज की प्रतिमाएँ अंकित की गई हैं।
शिखर पर तीन चंद्रिकाएँ हैं। मंदिर के अंतराल में केवल एक रथिका अंकित है, जिस पर चतुर्भुज [[शिव]] विराजमान हैं। मंदिर के महामंडप में एक प्रमुख घंटे और तीन कूट घंटे लगाए गए हैं। कूट घंटों के चार-चार पीठे हैं, जिन पर चंद्रिका, आम्लक और कलश आरोहित हैं। महामंडप का सभागृह वर्गाकार है, जिसे अष्टकोणिय बनाया गया है। महामंडप की चतुष्किया सीधी-सादी है। वितान के साथ-साथ अप्सराओं के लिए भी टोड़ा अंकित किया गया है। वितान नाविच्छंद प्रकृति का है, मंदिर के अंदर [[ब्रह्मा]], [[विष्णु]], भैरव, [[सूर्य देव|सूर्य]], [[कुबेर]] तथा अन्य चतुर्भुज की प्रतिमाएँ अंकित की गई हैं।
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==द्वार==
मंदिर के द्वार भाग में विद्याधर, सूर्य, भूत नायक इत्यादि की प्रतिमाएँ भी रथिकाओं पर अंकित की गई हैं। द्वार शाखा के शुरू में दोनों ओर [[गंगा]]-[[यमुना]] अंकित हैं। इसकी रथिकाओं पर सेविकाएँ, द्वारपाल तथा चारों वाहक महिलाएँ भी मूतांकित है। ऊपर की रथिका पर [[शिव]]-[[पार्वती]] की दैविक शांतियुक्त प्रतिमा अद्भूत है। प्रतिमाएँ परंपरागत हैं। दक्षिण-पश्चिम कोने में आज्ञात चतुर्भुज देव, शिव, [[यमराज|यम]] अपने भैंसे के साथ, नऋति की नग्न प्रतिमा वर्तमान हैं। यहाँ की अधिकतर प्रतिमाओं में शिव को सौम्य रूपी दर्शाया गया है। दक्षिणी मुख की मुख्य रथिकाओं पर त्रिमुखी [[ब्रह्मा]], चतुर्भुज देव, वृषभ मुखी वसु, चतुर्भुज [[अग्नि देव|अग्नि]], [[ब्राह्मण]]-ब्राह्मणी, शिव-पार्वती, लक्ष्मी-नारायण, चतुर्भुज नऋति की प्रतिमाएँ अंकित की गई हैं। इस तरह मंदिर के इस भाग में चतुर्भुज प्रतिमाओं की अधिकता है।
मंदिर के द्वार भाग में विद्याधर, सूर्य, भूत नायक इत्यादि की प्रतिमाएँ भी रथिकाओं पर अंकित की गई हैं। द्वार शाखा के शुरू में दोनों ओर [[गंगा]]-[[यमुना]] अंकित हैं। इसकी रथिकाओं पर सेविकाएँ, द्वारपाल तथा चारों वाहक महिलाएँ भी मूतांकित है। ऊपर की रथिका पर [[शिव]]-[[पार्वती]] की दैविक शांतियुक्त प्रतिमा अद्भूत है। प्रतिमाएँ परंपरागत हैं। दक्षिण-पश्चिम कोने में आज्ञात चतुर्भुज देव, शिव, [[यमराज|यम]] अपने भैंसे के साथ, नऋति की नग्न प्रतिमा वर्तमान हैं। यहाँ की अधिकतर प्रतिमाओं में शिव को सौम्य रूपी दर्शाया गया है। दक्षिणी मुख की मुख्य रथिकाओं पर त्रिमुखी [[ब्रह्मा]], चतुर्भुज देव, वृषभ मुखी वसु, चतुर्भुज [[अग्नि देव|अग्नि]], [[ब्राह्मण]]-ब्राह्मणी, शिव-पार्वती, लक्ष्मी-नारायण, चतुर्भुज नऋति की प्रतिमाएँ अंकित की गई हैं। इस तरह मंदिर के इस भाग में चतुर्भुज प्रतिमाओं की अधिकता है।



13:55, 5 जून 2016 के समय का अवतरण

चित्रगुप्त मंदिर, खजुराहो
चित्रगुप्त मंदिर, खजुराहो
चित्रगुप्त मंदिर, खजुराहो
विवरण 'चित्रगुप्त मंदिर' मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। यह ऐतिहासिक मंदिर भगवान सूर्य देव को समर्पित है।
राज्य मध्य प्रदेश
ज़िला छत्तरपुर
स्थान खजुराहो
निर्माण काल 11वीं सदी
संबंधित लेख मध्य प्रदेश, मध्य प्रदेश पर्यटन, मध्य प्रदेश की संस्कृति
अन्य जानकारी इस मंदिर में एक विशाल तिमंजिली सीढ़ीनुमा टंकी है, जो मंदिर में आने वालों को आकर्षित करती है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर भी देवी-देवताओं, स्त्रियों और बहुत सारी अन्य पत्थर की नक्काशियाँ बनी हैं।

चित्रगुप्त मंदिर मध्य प्रदेश राज्य के छत्तरपुर ज़िले में स्थित छोटे-से क़स्बे खजुराहो में अवस्थित है। यह पूर्व की ओर मुख वाला मंदिर है। मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है। चित्रगुप्त मंदिर के अंदर पाँच फुट ऊँचे सात घोड़ों के रथ पर सवार भगवान सूर्य की प्रतिमा मनमोहक है। इस मंदिर की दीवारों पर राजाओं के शिकार और उनकी सभाओं में समूह नृत्य के दृश्य काफ़ी ख़ूबसूरती के साथ उकेरे गए हैं। इससे चंदेल राजाओं की संपन्नता का पता लगता है।

निर्माण

सूर्यदेव को समर्पित खजुराहो का चित्रगुप्त मंदिर एक बहुत पुराना तीर्थस्थल है। यह मंदिर 11वीं सदी में बनाया गया था। मंदिर की दीवारों पर बारीक नक्काशी की गई है।

मुख्य आकर्षण

सात घोड़ों वाले रथ पर खड़े हुए सूर्यदेव की शानदार मूर्ति इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है। इस मंदिर के अन्य आकर्षण हैं-

  1. पत्थर की नक्काशियों में सुरसुंदरियों की पूरी आकृतियाँ।
  2. ग्यारह सिर वाला भगवान विष्णु का स्वरूप।
  3. कामुक प्रेम दर्शाते प्रेमी जोड़े।

इस मंदिर में एक विशाल तिमंजिली सीढ़ीनुमा टंकी है, जो मंदिर में आने वालों को आकर्षित करती है। इस सुंदर मंदिर की बाहरी दीवारों पर भी देवी-देवताओं, स्त्रियों और बहुत सारी अन्य पत्थर की नक्काशियाँ बनी हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार सूर्यदेव की छोटी मूर्तियों से सजे हुए हैं। यहाँ आने वाले यात्री अकसर मंदिर की खूबसूरती देखकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।[1]

स्थापत्य

चित्रगुप्त मंदिर, खजुराहो

चित्रगुप्त मंदिर का भीतरी हिस्सा धारशिला से निर्मित किया गया है तथा उस पर खार-शिलाएँ आरोपित हैं। भीत पर पीठ के खाँचे हैं तथा अंतराल गज, अश्व, नर, देव उपासना एवं मिथुनों से सजाया गया है। मंदिर का अंतरप साधारण तौर पर सजाया गया है। मंदिर के मुखमंडप के ऊपरी एवं बाहरी भाग में रथिकाएँ अंकित की गई हैं। भद्र पर मूर्तियों की दो पंक्तियाँ एवं जंघा पर तीन पंक्तियाँ अंकित है। मंदिर त्रयंग है। इसके मूलमंजरी पर दो उरु: श्रृंग हैं। इनके तल से करणपत श्रृंग अंकित हैं। नीचे के उरु: श्रृंग के दोनों ओर दो श्रृंग हैं, जो प्रतिरथ और करण को घेरे हुए हैं। ये श्रृंग पंचरथ प्रकृति के हैं। करणरथ पर केवल तीन भूमि-आम्लक है।

शिखर पर तीन चंद्रिकाएँ हैं। मंदिर के अंतराल में केवल एक रथिका अंकित है, जिस पर चतुर्भुज शिव विराजमान हैं। मंदिर के महामंडप में एक प्रमुख घंटे और तीन कूट घंटे लगाए गए हैं। कूट घंटों के चार-चार पीठे हैं, जिन पर चंद्रिका, आम्लक और कलश आरोहित हैं। महामंडप का सभागृह वर्गाकार है, जिसे अष्टकोणिय बनाया गया है। महामंडप की चतुष्किया सीधी-सादी है। वितान के साथ-साथ अप्सराओं के लिए भी टोड़ा अंकित किया गया है। वितान नाविच्छंद प्रकृति का है, मंदिर के अंदर ब्रह्मा, विष्णु, भैरव, सूर्य, कुबेर तथा अन्य चतुर्भुज की प्रतिमाएँ अंकित की गई हैं।

द्वार

मंदिर के द्वार भाग में विद्याधर, सूर्य, भूत नायक इत्यादि की प्रतिमाएँ भी रथिकाओं पर अंकित की गई हैं। द्वार शाखा के शुरू में दोनों ओर गंगा-यमुना अंकित हैं। इसकी रथिकाओं पर सेविकाएँ, द्वारपाल तथा चारों वाहक महिलाएँ भी मूतांकित है। ऊपर की रथिका पर शिव-पार्वती की दैविक शांतियुक्त प्रतिमा अद्भूत है। प्रतिमाएँ परंपरागत हैं। दक्षिण-पश्चिम कोने में आज्ञात चतुर्भुज देव, शिव, यम अपने भैंसे के साथ, नऋति की नग्न प्रतिमा वर्तमान हैं। यहाँ की अधिकतर प्रतिमाओं में शिव को सौम्य रूपी दर्शाया गया है। दक्षिणी मुख की मुख्य रथिकाओं पर त्रिमुखी ब्रह्मा, चतुर्भुज देव, वृषभ मुखी वसु, चतुर्भुज अग्नि, ब्राह्मण-ब्राह्मणी, शिव-पार्वती, लक्ष्मी-नारायण, चतुर्भुज नऋति की प्रतिमाएँ अंकित की गई हैं। इस तरह मंदिर के इस भाग में चतुर्भुज प्रतिमाओं की अधिकता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. चित्रगुप्त मंदिर, खजुराहो (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 19 मार्च, 2015।

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