"बिप्रकाजु करि बंधु दोउ": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
सपना वर्मा (वार्ता | योगदान) ('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
सपना वर्मा (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
{{poemopen}} | {{poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
; | ;दोहा | ||
बिप्रकाजु करि बंधु दोउ मग मुनिबधू उधारि। | बिप्रकाजु करि बंधु दोउ मग मुनिबधू उधारि। | ||
आए देखन चापमख सुनि हरषीं सब नारि॥ 221॥ | आए देखन चापमख सुनि हरषीं सब नारि॥ 221॥ | ||
पंक्ति 41: | पंक्ति 41: | ||
{{लेख क्रम4| पिछला=गौर किसोर बेषु बर काछें |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=देखि राम छबि कोउ एक कहई}} | {{लेख क्रम4| पिछला=गौर किसोर बेषु बर काछें |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=देखि राम छबि कोउ एक कहई}} | ||
''' | '''दोहा'''- मात्रिक अर्द्धसम [[छंद]] है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं। | ||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} |
10:28, 16 जून 2016 के समय का अवतरण
बिप्रकाजु करि बंधु दोउ
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
बिप्रकाजु करि बंधु दोउ मग मुनिबधू उधारि। |
- भावार्थ-
दोनों भाई ब्राह्मण विश्वामित्र का काम करके और रास्ते में मुनि गौतम की स्त्री अहल्या का उद्धार करके यहाँ धनुषयज्ञ देखने आए हैं। यह सुनकर सब स्त्रियाँ प्रसन्न हुईं॥ 221॥
बिप्रकाजु करि बंधु दोउ |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख