"धेनुधूरि बेला बिमल": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
सपना वर्मा (वार्ता | योगदान) No edit summary |
सपना वर्मा (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
|टिप्पणियाँ = | |टिप्पणियाँ = | ||
}} | }} | ||
;श्रीसीता-राम विवाह | |||
{{poemopen}} | {{poemopen}} | ||
<poem> | <poem> |
09:56, 13 जुलाई 2016 का अवतरण
धेनुधूरि बेला बिमल
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
सभी (7) काण्ड क्रमश: | बालकाण्ड, अयोध्या काण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड, उत्तरकाण्ड |
- श्रीसीता-राम विवाह
धेनुधूरि बेला बिमल सकल सुमंगल मूल। |
- भावार्थ-
निर्मल और सभी सुंदर मंगलों की मूल गोधूलि की पवित्र बेला आ गई और अनुकूल शकुन होने लगे, यह जानकर ब्राह्मणों ने जनक से कहा॥ 312॥
![]() |
धेनुधूरि बेला बिमल | ![]() |
दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (बालकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-155
संबंधित लेख