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'''सुधा मूर्ति''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sudha Murthy'', जन्म: [[19 अगस्त]], [[1950]]) इन्फोसिस फाउंडेशन के संस्थापक [[एन. आर. नारायणमूर्ति]] की पत्नी एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हैं। कुछ लोग महान लक्ष्यों को हासिल करने का मकसद लेकर जिंदगी जीते हैं लेकिन सुधा मूर्ति एक ऐसी शख्सियत हैं जो जिंदगी को सादगी और दानिशमंदी के साथ जीने में यकीन रखती हैं और यही ‘सादगी और मन की उदारता’ उन्हें इस मुकाम पर ले आयी है जिसे देखने के लिए लोगों को आसमान तक नजरें बुलंद करनी पड़ती हैं। उद्योग जगत में सफलता की नयी कहानी लिखने वाली आई टी कंपनी इन्फोसिस के इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा सुधा मूर्ति की जिंदगी मेहनत और मशक्कत की अद्भुत कहानी है।
'''सुधा मूर्ति''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Sudha Murthy'', जन्म: [[19 अगस्त]], [[1950]]) इन्फोसिस फाउंडेशन के संस्थापक [[एन. आर. नारायणमूर्ति]] की पत्नी एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हैं। कुछ लोग महान लक्ष्यों को हासिल करने का मकसद लेकर जिंदगी जीते हैं लेकिन सुधा मूर्ति एक ऐसी शख्सियत हैं जो जिंदगी को सादगी और दानिशमंदी के साथ जीने में यकीन रखती हैं और यही ‘सादगी और मन की उदारता’ उन्हें इस मुकाम पर ले आयी है जिसे देखने के लिए लोगों को आसमान तक नजरें बुलंद करनी पड़ती हैं। उद्योग जगत में सफलता की नयी कहानी लिखने वाली आई टी कंपनी इन्फोसिस के इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा सुधा मूर्ति की जिंदगी मेहनत और मशक्कत की अद्भुत कहानी है।
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
सुधा मूर्ति की सफलता इस बात को भी रेखांकित करती है कि पति के विशाल व्यक्तित्व की परछाई के नीचे दबने के बजाय कोई महिला यदि चाहे तो अपना अलग व्यक्तित्व गढ़ सकती है। बतौर इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति समाज के दबे कुचले तबके के उत्थान के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हालांकि वह सुखिर्यों में आने से परहेज करती हैं लेकिन समाज सेवा के प्रति उनका जज्बा खुद ब खुद उनकी महानता को बखान करता है। [[19 अगस्त]], [[1950]] को [[कर्नाटक]] में पैदा हुई सुधा मूर्ति की इन्फोसिस कंपनी की स्थापना में क्या भूमिका रही है उसे इसी बात से जाना जा सकता है कि उनकी ही बचत के दस हजार रूपये से इस कंपनी की नींव रखी गयी और नारायण मूर्ति आज भी बड़े गर्व से यह बात लोगों को अक्सर बताते हैं। सादा सी साड़ी और चेहरे पर सदा खिली रहने वाली मुस्कान सुधा मूर्ति के व्यक्तित्व में चार चांद लगाती हैं। जिंदगी में किन चीजों ने सुधा मूर्ति को सर्वाधिक प्रभावित किया है तो इसके जवाब में वह कहती हैं ‘[[ईसा मसीह]] तथा [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की शिक्षाओं और [[जे. आर. डी. टाटा]] के शब्दों और जीवन ने मुझे न केवल प्रभावित किया है बल्कि मेरी पूरी जिंदगी को एक दिशा दी है।’ क्रिस्टी कालेज में एमबीए और एमसीए विभाग की प्रतिभाशाली प्रोफेसर सुधा अपने छात्र जीवन में बहुत योग्य छात्रों में गिनी जाती रहीं। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस में कम्प्यूटर साइंस की शिक्षा हासिल करते हुए उन्होंने विशेष रैंक हासिल किया।
सुधा मूर्ति की सफलता इस बात को भी रेखांकित करती है कि पति के विशाल व्यक्तित्व की परछाई के नीचे दबने के बजाय कोई महिला यदि चाहे तो अपना अलग व्यक्तित्व गढ़ सकती है। बतौर इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति समाज के दबे कुचले तबके के उत्थान के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हालांकि वह सुखिर्यों में आने से परहेज करती हैं लेकिन समाज सेवा के प्रति उनका जज्बा खुद ब खुद उनकी महानता को बखान करता है। [[19 अगस्त]], [[1950]] को [[कर्नाटक]] में पैदा हुई सुधा मूर्ति की इन्फोसिस कंपनी की स्थापना में क्या भूमिका रही है उसे इसी बात से जाना जा सकता है कि उनकी ही बचत के दस हजार रूपये से इस कंपनी की नींव रखी गयी और नारायण मूर्ति आज भी बड़े गर्व से यह बात लोगों को अक्सर बताते हैं। सादा सी साड़ी और चेहरे पर सदा खिली रहने वाली मुस्कान सुधा मूर्ति के व्यक्तित्व में चार चांद लगाती हैं। जिंदगी में किन चीजों ने सुधा मूर्ति को सर्वाधिक प्रभावित किया है तो इसके जवाब में वह कहती हैं ‘[[ईसा मसीह]] तथा [[बुद्ध|भगवान बुद्ध]] की शिक्षाओं और [[जे. आर. डी. टाटा]] के शब्दों और जीवन ने मुझे न केवल प्रभावित किया है बल्कि मेरी पूरी जिंदगी को एक दिशा दी है।’ क्रिस्टी कालेज में एमबीए और एमसीए विभाग की प्रतिभाशाली प्रोफेसर सुधा अपने छात्र जीवन में बहुत योग्य छात्रों में गिनी जाती रहीं। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस में कम्प्यूटर साइंस की शिक्षा हासिल करते हुए उन्होंने विशेष रैंक हासिल किया।
==शिक्षा==
====शिक्षा====
शिक्षा समाप्ति के बाद सुधा मूर्ति ने सबसे पहले ग्रेजुएट प्रशिक्षु के तौर पर टाटा कंपनी और बाद में दी वालचंद ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज में काम किया। कम्प्यूटर साइंस के क्षेत्र में उन्हें महिलाओं के लिए महारानी लक्ष्मी अम्मानी कालेज की स्थापना करने का श्रेय जाता है जो आज बेंगलूर यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंस विभाग के तहत बेहद प्रतिष्ठित कालेज का दर्जा रखता है। महिला अधिकारों की समानता के लिए भी सुधा मूर्ति ने बेहद काम किया है। इस संबंध में एक घटना उल्लेखनीय है। उस जमाने में टाटा मोटर्स में केवल पुरूषों को भर्ती करने की नीति थी जिसे लेकर सुधा मूर्ति ने जेआरडी टाटा को एक पोस्टकार्ड भेजा। इसका असर यह हुआ कि टाटा मोटर्स ने उन्हें विशेष साक्षात्कार के लिए बुलाया और वह टाटा मोटर्स (तत्कालीन टेल्को) में चयनित होने वाली पहली महिला इंजीनियर बनीं। सुधा मूर्ति एक बेहद प्रभावशाली लेखिका भी हैं और उन्होंने आम आदमी की पीड़ाओं को अभिव्यक्ति देते हुए आठ [[उपन्यास]] भी लिखे हैं। इन सभी उपन्यासों में महिला किरदारों को बेहद मजबूत और सिद्धांतों पर अडिग दर्शाया गया है।
शिक्षा समाप्ति के बाद सुधा मूर्ति ने सबसे पहले ग्रेजुएट प्रशिक्षु के तौर पर टाटा कंपनी और बाद में दी वालचंद ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज में काम किया। कम्प्यूटर साइंस के क्षेत्र में उन्हें महिलाओं के लिए महारानी लक्ष्मी अम्मानी कालेज की स्थापना करने का श्रेय जाता है जो आज बेंगलूर यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंस विभाग के तहत बेहद प्रतिष्ठित कालेज का दर्जा रखता है। महिला अधिकारों की समानता के लिए भी सुधा मूर्ति ने बेहद काम किया है। इस संबंध में एक घटना उल्लेखनीय है। उस जमाने में टाटा मोटर्स में केवल पुरुषों को भर्ती करने की नीति थी जिसे लेकर सुधा मूर्ति ने जेआरडी टाटा को एक पोस्टकार्ड भेजा। इसका असर यह हुआ कि टाटा मोटर्स ने उन्हें विशेष साक्षात्कार के लिए बुलाया और वह टाटा मोटर्स (तत्कालीन टेल्को) में चयनित होने वाली पहली महिला इंजीनियर बनीं। सुधा मूर्ति एक बेहद प्रभावशाली लेखिका भी हैं और उन्होंने आम आदमी की पीड़ाओं को अभिव्यक्ति देते हुए आठ [[उपन्यास]] भी लिखे हैं। इन सभी उपन्यासों में महिला किरदारों को बेहद मजबूत और सिद्धांतों पर अडिग दर्शाया गया है।<ref>{{cite web |url=http://www.वेबदुनिया.com/it-learning/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%A7%E0%A4%BE-%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF-%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6%E0%A4%97%E0%A5%80-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%AB%E0%A4%B2%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C-109081900033_1.htm|title=सुधा मूर्ति: सादगी और दानिशमंदी है जिनकी सफलता का राज |accessmonthday=21 सितंबर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया हिन्दी |language=हिन्दी }}</ref>
 
==सम्मान और पुरस्कार==
==सम्मान और पुरस्कार==
इस महान महिला को [[भारत सरकार]] ने 2006 में [[पद्म श्री]] पुरस्कार से नवाजा और सत्यभामा विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डाक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया।
इस महान महिला को [[भारत सरकार]] ने 2006 में [[पद्म श्री]] पुरस्कार से नवाजा और सत्यभामा विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डाक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया।
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<references/>
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==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.rachanakar.org/2015/04/kahani-dayaavaan-daaktar-sudhaa-moortee.html सुधा मूर्ति की कहानी : दयावान डाक्टर]
*[http://www.livehindustan.com/news/article/article1-%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%A7%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A3-%E0%A4%AE%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF-%E0%A4%87%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%B0-%E0%A4%9F%E0%A4%BE%E0%A4%9F%E0%A4%BE-%E0%A4%9F%E0%A5%87%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%8B-sudha-naryana-murti-137325.html देश की पहली इंजीनियर हैं सुधा नारायण मूर्ति]
*[http://thaluaclub.in/1910/in-russia सुधा मूर्ति जी द्वारा लिखित एक संस्मरण…]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{सामाजिक कार्यकर्ता}}
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11:46, 21 सितम्बर 2016 का अवतरण

सुधा मूर्ति
सुधा मूर्ति
सुधा मूर्ति
पूरा नाम सुधा मूर्ति
अन्य नाम सुधा कुलकर्णी
जन्म 19 अगस्त, 1950
जन्म भूमि शिग्गांव, कर्नाटक
पति/पत्नी एन. आर. नारायणमूर्ति
कर्म भूमि भारत
पुरस्कार-उपाधि पद्म श्री
प्रसिद्धि इन्फ़ोसिस फाउंडेशन की चेयरपरसन
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी सुधा मूर्ति एक बेहद प्रभावशाली लेखिका भी हैं और उन्होंने आम आदमी की पीड़ाओं को अभिव्यक्ति देते हुए आठ उपन्यास भी लिखे हैं। इन सभी उपन्यासों में महिला किरदारों को बेहद मजबूत और सिद्धांतों पर अडिग दर्शाया गया है।
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सुधा मूर्ति (अंग्रेज़ी: Sudha Murthy, जन्म: 19 अगस्त, 1950) इन्फोसिस फाउंडेशन के संस्थापक एन. आर. नारायणमूर्ति की पत्नी एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता हैं। कुछ लोग महान लक्ष्यों को हासिल करने का मकसद लेकर जिंदगी जीते हैं लेकिन सुधा मूर्ति एक ऐसी शख्सियत हैं जो जिंदगी को सादगी और दानिशमंदी के साथ जीने में यकीन रखती हैं और यही ‘सादगी और मन की उदारता’ उन्हें इस मुकाम पर ले आयी है जिसे देखने के लिए लोगों को आसमान तक नजरें बुलंद करनी पड़ती हैं। उद्योग जगत में सफलता की नयी कहानी लिखने वाली आई टी कंपनी इन्फोसिस के इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा सुधा मूर्ति की जिंदगी मेहनत और मशक्कत की अद्भुत कहानी है।

जीवन परिचय

सुधा मूर्ति की सफलता इस बात को भी रेखांकित करती है कि पति के विशाल व्यक्तित्व की परछाई के नीचे दबने के बजाय कोई महिला यदि चाहे तो अपना अलग व्यक्तित्व गढ़ सकती है। बतौर इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति समाज के दबे कुचले तबके के उत्थान के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। हालांकि वह सुखिर्यों में आने से परहेज करती हैं लेकिन समाज सेवा के प्रति उनका जज्बा खुद ब खुद उनकी महानता को बखान करता है। 19 अगस्त, 1950 को कर्नाटक में पैदा हुई सुधा मूर्ति की इन्फोसिस कंपनी की स्थापना में क्या भूमिका रही है उसे इसी बात से जाना जा सकता है कि उनकी ही बचत के दस हजार रूपये से इस कंपनी की नींव रखी गयी और नारायण मूर्ति आज भी बड़े गर्व से यह बात लोगों को अक्सर बताते हैं। सादा सी साड़ी और चेहरे पर सदा खिली रहने वाली मुस्कान सुधा मूर्ति के व्यक्तित्व में चार चांद लगाती हैं। जिंदगी में किन चीजों ने सुधा मूर्ति को सर्वाधिक प्रभावित किया है तो इसके जवाब में वह कहती हैं ‘ईसा मसीह तथा भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और जे. आर. डी. टाटा के शब्दों और जीवन ने मुझे न केवल प्रभावित किया है बल्कि मेरी पूरी जिंदगी को एक दिशा दी है।’ क्रिस्टी कालेज में एमबीए और एमसीए विभाग की प्रतिभाशाली प्रोफेसर सुधा अपने छात्र जीवन में बहुत योग्य छात्रों में गिनी जाती रहीं। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस में कम्प्यूटर साइंस की शिक्षा हासिल करते हुए उन्होंने विशेष रैंक हासिल किया।

शिक्षा

शिक्षा समाप्ति के बाद सुधा मूर्ति ने सबसे पहले ग्रेजुएट प्रशिक्षु के तौर पर टाटा कंपनी और बाद में दी वालचंद ग्रुप आफ इंडस्ट्रीज में काम किया। कम्प्यूटर साइंस के क्षेत्र में उन्हें महिलाओं के लिए महारानी लक्ष्मी अम्मानी कालेज की स्थापना करने का श्रेय जाता है जो आज बेंगलूर यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंस विभाग के तहत बेहद प्रतिष्ठित कालेज का दर्जा रखता है। महिला अधिकारों की समानता के लिए भी सुधा मूर्ति ने बेहद काम किया है। इस संबंध में एक घटना उल्लेखनीय है। उस जमाने में टाटा मोटर्स में केवल पुरुषों को भर्ती करने की नीति थी जिसे लेकर सुधा मूर्ति ने जेआरडी टाटा को एक पोस्टकार्ड भेजा। इसका असर यह हुआ कि टाटा मोटर्स ने उन्हें विशेष साक्षात्कार के लिए बुलाया और वह टाटा मोटर्स (तत्कालीन टेल्को) में चयनित होने वाली पहली महिला इंजीनियर बनीं। सुधा मूर्ति एक बेहद प्रभावशाली लेखिका भी हैं और उन्होंने आम आदमी की पीड़ाओं को अभिव्यक्ति देते हुए आठ उपन्यास भी लिखे हैं। इन सभी उपन्यासों में महिला किरदारों को बेहद मजबूत और सिद्धांतों पर अडिग दर्शाया गया है।[1]

सम्मान और पुरस्कार

इस महान महिला को भारत सरकार ने 2006 में पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा और सत्यभामा विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डाक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सुधा मूर्ति: सादगी और दानिशमंदी है जिनकी सफलता का राज (हिन्दी) वेबदुनिया हिन्दी। अभिगमन तिथि: 21 सितंबर, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

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