"सौदा करौ सो कहि चलो -रहीम": अवतरणों में अंतर

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दुनिया की इस हाट में जो भी कुछ सौदा करना है, वह कर लो, गफलत से काम नहीं बनेगा। रास्ता वह बड़ा ही लम्बा है, जिस पर तुम्हे चलना होगा। इस हाट से जाने के बाद न तो कुछ खरीद सकोगे, और न कुछ बेच सकोगे।
दुनिया की इस हाट में जो भी कुछ सौदा करना है, वह कर लो, गफलत से काम नहीं बनेगा। रास्ता वह बड़ा ही लम्बा है, जिस पर तुम्हे चलना होगा। इस हाट से जाने के बाद न तो कुछ ख़रीद सकोगे, और न कुछ बेच सकोगे।


{{लेख क्रम3| पिछला=सदा नगारा कूच का -रहीम|मुख्य शीर्षक=रहीम के दोहे |अगला=रहिमन कठिन चितान तै -रहीम}}
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13:21, 15 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण

सौदा करौ सो कहि चलो, ‘रहिमन’ याही घाट।
फिर सौदा पैहो नहीं, दूरि जात है बाट॥

अर्थ

दुनिया की इस हाट में जो भी कुछ सौदा करना है, वह कर लो, गफलत से काम नहीं बनेगा। रास्ता वह बड़ा ही लम्बा है, जिस पर तुम्हे चलना होगा। इस हाट से जाने के बाद न तो कुछ ख़रीद सकोगे, और न कुछ बेच सकोगे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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