"प्रयोग:रिंकू3": अवतरणों में अंतर
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रिंकू बघेल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
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||फॉसीवाद एक सर्वशक्तिमान राज्य का समर्थन करता है। राज्य की सत्ता परम असीमित तथा अविभाज्य है इसी संदर्भ में मुसोलिनी ने कहा "राज्य के बाहर कुछ नहीं, इसके ऊपर कुछ नहीं।" राज्य के हित के सामने व्यक्ति का हित गौण हैं इसी प्रकार त्रीत्सके ने भी कहा है कि "दण्डवत होकर राज्य की पूजा करनी चाहिए।" | ||फॉसीवाद एक सर्वशक्तिमान राज्य का समर्थन करता है। राज्य की सत्ता परम असीमित तथा अविभाज्य है इसी संदर्भ में मुसोलिनी ने कहा "राज्य के बाहर कुछ नहीं, इसके ऊपर कुछ नहीं।" राज्य के हित के सामने व्यक्ति का हित गौण हैं इसी प्रकार त्रीत्सके ने भी कहा है कि "दण्डवत होकर राज्य की पूजा करनी चाहिए।" | ||
{संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में कितने सदस्य अस्थायी हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-118 प्रश्न-1 | {[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सुरक्षा परिषद में कितने सदस्य अस्थायी हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-118 प्रश्न-1 | ||
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||संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है। | ||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है। | ||
{'केस' पद्धति किस देश की देन है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-129 प्रश्न-1 | {'केस' पद्धति किस देश की देन है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-129 प्रश्न-1 | ||
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+[[जवाहर लाल नेहरू|नेहरू]]-[[सुभाष चंद्र बोस|बोस]] | +[[जवाहर लाल नेहरू|नेहरू]]-[[सुभाष चंद्र बोस|बोस]] | ||
-[[जयप्रकाश नारायण|जय प्रकाश]]-[[राम मनोहर लोहिया|लोहिया]] | -[[जयप्रकाश नारायण|जय प्रकाश]]-[[राम मनोहर लोहिया|लोहिया]] | ||
||[[बाल गंगाधर तिलक|तिलक]]और [[विपिन चंद्र पाल|बिपिन चंद्र पाल]] उग्रवादी विचारधारा से संबंधित थे। [[गोपाल कृष्ण गोखले]] तथा [[दादाभाई नौरोजी]] उदारवादी विचारधारा से या नरमपंथी विचारधारा से संबंधित थे। [[ | ||[[बाल गंगाधर तिलक|तिलक]]और [[विपिन चंद्र पाल|बिपिन चंद्र पाल]] उग्रवादी विचारधारा से संबंधित थे। [[गोपाल कृष्ण गोखले]] तथा [[दादाभाई नौरोजी]] उदारवादी विचारधारा से या नरमपंथी विचारधारा से संबंधित थे। [[जयप्रकाश नारायण]] और [[डॉ. राम मनोहर लोहिया]] प्रमुख समाजवादी विचारक थे। विकल्प (c) में [[जवाहर लाल नेहरू]] लोकतांत्रिक समाजवादी थे जबकि [[सुभाष चंद्र बोस]] क्रांतिकारी समाजवादी थे। इस प्रकार विकल्प (c) बेमेल है। | ||
{बहुलतावादी वकालत करते हैं- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-80 प्रश्न-102 | {बहुलतावादी वकालत करते हैं- (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-80 प्रश्न-102 | ||
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||हिटलर ने कहा था कि "अविराम युद्ध से ही मानव जाति की उन्नति हुई है। "जिसे जीना है उसे युद्ध करना होगा। सदा के लिए शांति की स्थापना से मानव जाति गर्त में चली जायेगी।" एक अन्य स्थान पर हिटलर ने कहा है कि "युद्ध सदाबहार तथा विश्वव्यापी हैं युद्ध जिंदगी है। हर संघर्ष युद्ध है, हर चीज की उत्पत्ति युद्ध के माध्यम से हुई है।" | ||हिटलर ने कहा था कि "अविराम युद्ध से ही मानव जाति की उन्नति हुई है। "जिसे जीना है उसे युद्ध करना होगा। सदा के लिए शांति की स्थापना से मानव जाति गर्त में चली जायेगी।" एक अन्य स्थान पर हिटलर ने कहा है कि "युद्ध सदाबहार तथा विश्वव्यापी हैं युद्ध जिंदगी है। हर संघर्ष युद्ध है, हर चीज की उत्पत्ति युद्ध के माध्यम से हुई है।" | ||
{निम्नलिखित में से कौन एक संयुक्त राष्ट्र का मुख्य अंग नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-11 | {निम्नलिखित में से कौन एक [[संयुक्त राष्ट्र]] का मुख्य अंग नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-11 | ||
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+अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन | +अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन | ||
-महासभा | -महासभा | ||
-सुरक्षा परिषद | -सुरक्षा परिषद | ||
- | -न्याय परिषद | ||
||अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] के प्रमुख 6 अंगों में एक है। इसके प्रमुख 6 अंग हैं- महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, न्याय परिषद तथा सचिवालय। शेष संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट अभिकरण हैं। विशिष्ट अभिकरण 6 प्रमुख अंगों से अलग हैं। | ||अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] के प्रमुख 6 अंगों में एक है। इसके प्रमुख 6 अंग हैं- महासभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक एवं सामाजिक परिषद, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, न्याय परिषद तथा सचिवालय। शेष संयुक्त राष्ट्र संघ के विशिष्ट अभिकरण हैं। विशिष्ट अभिकरण 6 प्रमुख अंगों से अलग हैं। | ||
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-विलोबी | -विलोबी | ||
-गिलक्राइस्ट | -गिलक्राइस्ट | ||
||लोक प्रशासन प्रशासन की प्रक्रियाओं का अध्ययन है। लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के संबंध में लूथर ने जिस मत को प्रतिपादित किया है उसे 'पोस्डकोर्ब' कहा जाता है। पोस्डकोर्ब शब्द, | ||लोक प्रशासन प्रशासन की प्रक्रियाओं का अध्ययन है। लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के संबंध में लूथर ने जिस मत को प्रतिपादित किया है उसे 'पोस्डकोर्ब' कहा जाता है। पोस्डकोर्ब शब्द, [[अंग्रेज़ी]] के सात शब्दों के प्रथम अक्षरों से मिलाकर बनाया गया है, जो इस प्रकार हैं- | ||
P-Planning (योजना बनाना), O-Organizing (संगठन बनाना), S-Staffing (कर्मचारियों की व्यवस्था करना), D-Directing (निर्देशन करना), Co-Co-ordination (समंवय करना), R-Reporting (रपट देना), B-Budgeting (बजट तैयार करना।)। | P-Planning (योजना बनाना), O-Organizing (संगठन बनाना), S-Staffing (कर्मचारियों की व्यवस्था करना), D-Directing (निर्देशन करना), Co-Co-ordination (समंवय करना), R-Reporting (रपट देना), B-Budgeting (बजट तैयार करना।)। | ||
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-रेनसिस लाजइर्ट | -रेनसिस लाजइर्ट | ||
-एफ.डब्ल्यू. टेलर | -एफ.डब्ल्यू. टेलर | ||
||लोक प्रशासन प्रशासन की प्रक्रियाओं का अध्ययन है। लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के संबंध में लूथर ने जिस मत को प्रतिपादित किया है उसे 'पोस्डकोर्ब' कहा जाता है। पोस्डकोर्ब शब्द, | ||लोक प्रशासन प्रशासन की प्रक्रियाओं का अध्ययन है। लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के संबंध में लूथर ने जिस मत को प्रतिपादित किया है उसे 'पोस्डकोर्ब' कहा जाता है। पोस्डकोर्ब शब्द, [[अंग्रेज़ी]] के सात शब्दों के प्रथम अक्षरों से मिलाकर बनाया गया है, जो इस प्रकार हैं- P-Planning (योजना बनाना), O-Organizing (संगठन बनाना), S-Staffing (कर्मचारियों की व्यवस्था करना), D-Directing (निर्देशन करना), Co-Co-ordination (समंवय करना), R-Reporting (रपट देना), B-Budgeting (बजट तैयार करना।)। | ||
P-Planning (योजना बनाना), O-Organizing (संगठन बनाना), S-Staffing (कर्मचारियों की व्यवस्था करना), D-Directing (निर्देशन करना), Co-Co-ordination (समंवय करना), R-Reporting (रपट देना), B-Budgeting (बजट तैयार करना।)। | |||
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-3 वर्ष | -3 वर्ष | ||
-5 वर्ष | -5 वर्ष | ||
||संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है। | ||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है। | ||
{लूथर गुलिक ने संगठन के सिद्धांतों को 'POSDCORB' शब्द में अभिव्यक्त किया है इसमें 'CO' का तात्पर्य किससे है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-129 प्रश्न-5 | {लूथर गुलिक ने संगठन के सिद्धांतों को 'POSDCORB' शब्द में अभिव्यक्त किया है इसमें 'CO' का तात्पर्य किससे है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-129 प्रश्न-5 | ||
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+कोआर्डीनेशन | +कोआर्डीनेशन | ||
-कंपनी | -कंपनी | ||
||लोक प्रशासन प्रशासन की प्रक्रियाओं का अध्ययन है। लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के संबंध में लूथर ने जिस मत को प्रतिपादित किया है उसे 'पोस्डकोर्ब' कहा जाता है। पोस्डकोर्ब शब्द, | ||लोक प्रशासन प्रशासन की प्रक्रियाओं का अध्ययन है। लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के संबंध में लूथर ने जिस मत को प्रतिपादित किया है उसे 'पोस्डकोर्ब' कहा जाता है। पोस्डकोर्ब शब्द, [[अंग्रेज़ी]] के सात शब्दों के प्रथम अक्षरों से मिलाकर बनाया गया है, जो इस प्रकार हैं- P-Planning (योजना बनाना), O-Organizing (संगठन बनाना), S-Staffing (कर्मचारियों की व्यवस्था करना), D-Directing (निर्देशन करना), Co-Co-ordination (समंवय करना), R-Reporting (रपट देना), B-Budgeting (बजट तैयार करना।)। | ||
P-Planning (योजना बनाना), O-Organizing (संगठन बनाना), S-Staffing (कर्मचारियों की व्यवस्था करना), D-Directing (निर्देशन करना), Co-Co-ordination (समंवय करना), R-Reporting (रपट देना), B-Budgeting (बजट तैयार करना।)। | |||
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+द्वंद्वात्मक पद्धति | +द्वंद्वात्मक पद्धति | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||हेगेल और [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] ने वाद, प्रतिवाद और संवाद की द्वंद्वात्मक पद्धति का प्रयोग किया। हेगेल विश्व का अध्ययन सदैव विकासवादी दृष्टिकोण से करता है। इस विकासवादी क्रिया को हेगेल ने द्वंद्वात्मक | ||हेगेल और [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] ने वाद, प्रतिवाद और संवाद की द्वंद्वात्मक पद्धति का प्रयोग किया। हेगेल विश्व का अध्ययन सदैव विकासवादी दृष्टिकोण से करता है। इस विकासवादी क्रिया को हेगेल ने द्वंद्वात्मक क्रिया (Dialectic Process) नाम दिया। इस द्वन्द्ववाद शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द 'Dialego' से हुई जिसका अर्थ वाद-विवाद करना होता है और जिसके फलस्वरूप संश्लेषण अर्थात संवाद की उत्पत्ति होती है जो पहले के दोनों रूपों से भिन्न होता है। मार्क्स, हेगेल के द्वन्द्ववाद से प्रभावित था परंतु उसने हेगेल के आदर्शवाद की उपेक्षा की तथा द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का प्रतिपादन किया। मार्क्स का भौतिक द्वंद्ववाद का सिद्धांत विकासवाद का सिद्धांत है जिसके तीन अंग वाद, प्रतिवाद और संश्लेषण या संवाद हैं। उदाहरणार्थ- यदि गेहूं के दाने पर द्वन्द्ववाद का अध्ययन करें, तो गेहूं को जमीन में गाड़ देने से उसका स्वरूप नष्ट हो जाएगा और एक अंकुरण प्रकट होगा और वह अंकुरण विकसित होकर पौधा बनेगा उसमें गेहूं के अनेक दाने लगेंगे। यदि गेहूं का बीज वाद है तो पौधा 'प्रतिवाद' जो निरंतर बढ़ता रहता है और पौधे से नये दाने का जन्म संश्लेषण है। | ||
{[[1936]] किसने कहा "गांधीवाद जैसी कोई चीज़ नहीं है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-5 | {[[1936]] किसने कहा "गांधीवाद जैसी कोई चीज़ नहीं है"? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-64 प्रश्न-5 | ||
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+महात्मा गांधी | +[[महात्मा गांधी]] | ||
-मौलाना आज़ाद | -[[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद|मौलाना आज़ाद]] | ||
-[[जवाहर लाल नेहरु]] | -[[जवाहर लाल नेहरु]] | ||
-[[रविन्द्रनाथ टैगोर]] | -[[रविन्द्रनाथ टैगोर]] | ||
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-[[भारत]] | -[[भारत]] | ||
-[[श्रीलंका]] | -[[श्रीलंका]] | ||
||उपरोक्त शासन व्यवस्था [[फ्रांस]] की शासन व्यवस्था की विशेषता है। क्योंकि फ्रांस के पंचम गणतंत्र के संविधान में शासन प्रणाली को अपनाया गया है। किंतु यह अर्द्ध संसदीय शासन प्रणाली ही है। इसमें मंत्रिमण्डल संसद के सम्मुख पूर्ण उत्तरदायी नहीं है। प्रधानमंत्री का चुनाव राष्ट्रपति करता है जिसको साधारण शक्तियों के साथ-साथ अनेक असाधरण शक्तियां प्राप्त है। यह केवल नाम मात्र का राज्याध्यक्ष नहीं है। कई मामलों में यह अमेरिकी राष्ट्रपति के समान है। यदि संसद मंत्रिमण्डल के विरुद्ध अविश्वास पास करता है तब भी मंत्रिमण्डल चल सकता है क्योंकि उसका उत्तरदायित्व राष्ट्रपति के प्रति है संसद के प्रति नहीं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति पर अभियोग भी नहीं चलाया जा सकता। इसीलिए पिकिल्स ने इसे "दो विरोधी सिद्धांतों का मिश्रण कहा है।" | ||उपरोक्त शासन व्यवस्था [[फ्रांस]] की शासन व्यवस्था की विशेषता है। क्योंकि फ्रांस के पंचम गणतंत्र के संविधान में शासन प्रणाली को अपनाया गया है। किंतु यह अर्द्ध संसदीय शासन प्रणाली ही है। इसमें मंत्रिमण्डल संसद के सम्मुख पूर्ण उत्तरदायी नहीं है। [[प्रधानमंत्री]] का चुनाव [[राष्ट्रपति]] करता है जिसको साधारण शक्तियों के साथ-साथ अनेक असाधरण शक्तियां प्राप्त है। यह केवल नाम मात्र का राज्याध्यक्ष नहीं है। कई मामलों में यह अमेरिकी राष्ट्रपति के समान है। यदि [[संसद]] मंत्रिमण्डल के विरुद्ध अविश्वास पास करता है तब भी मंत्रिमण्डल चल सकता है क्योंकि उसका उत्तरदायित्व राष्ट्रपति के प्रति है संसद के प्रति नहीं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति पर अभियोग भी नहीं चलाया जा सकता। इसीलिए पिकिल्स ने इसे "दो विरोधी सिद्धांतों का मिश्रण कहा है।" | ||
{"राजनीति विज्ञान के अंतर्गत [[राज्य]] तथा सरकार का अध्ययन किया जाता है", राजनीति विज्ञान की यह परिभाषा किस विचारक ने की है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-5 | {"राजनीति विज्ञान के अंतर्गत [[राज्य]] तथा सरकार का अध्ययन किया जाता है", राजनीति विज्ञान की यह परिभाषा किस विचारक ने की है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-5 | ||
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-यह महामानव पूजा और विशेष वर्ग में विश्वास करता है। | -यह महामानव पूजा और विशेष वर्ग में विश्वास करता है। | ||
+यह अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों में पूरी निष्ठा रखता है। | +यह अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों में पूरी निष्ठा रखता है। | ||
||फॉसीवाद अंतर्राष्ट्रीय एवं शांति का विरोधी है। अत: यह अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों में निष्ठा नहीं रखता। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- फॉसीवादी चिंतन की विशेषताएं हैं:- यह विचारधारा का विरोधी है एवं इसका कोई क्रमबद्ध नहीं है। यह कार्य प्रधान आंदोलन है एवं व्यवहारिक है।, यह सर्वाधिकारवादी अवधारणा है एवं राज्य को सर्वोच्च एवं सर्वशक्तिमान संस्था मानती है।, यह समाजवाद एवं साम्यवाद विरोधी है। | ||फॉसीवाद अंतर्राष्ट्रीय एवं शांति का विरोधी है। अत: यह अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों में निष्ठा नहीं रखता। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- फॉसीवादी चिंतन की विशेषताएं हैं:- यह विचारधारा का विरोधी है एवं इसका कोई क्रमबद्ध नहीं है। यह कार्य प्रधान आंदोलन है एवं व्यवहारिक है।, यह सर्वाधिकारवादी अवधारणा है एवं राज्य को सर्वोच्च एवं सर्वशक्तिमान संस्था मानती है।, यह समाजवाद एवं साम्यवाद विरोधी है। यह तर्क एवं बुद्धि विरोधी है।, यह महामानव पूजा तथा विशिष्ट वर्ग में विश्वास करती है।, यह लोकतंत्र विरोधी है।, यह हिंसा एवं युद्ध का समर्थक है।, यह उग्र राष्ट्रवाद का समर्थक है।, यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता विरोधी है।, यह क्रांति विरोधी विचारधारा है।, यह व्यक्तिवाद एवं उदारवाद विरोधी है। यह अर्थव्यवस्था पर राज्य नियंत्रण का समर्थन है। और यह अंतर्राष्ट्रीय एवं शांति का विरोधी है। | ||
{'संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद' की कुल सदस्य संख्या कितनी है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-5 | {'[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सुरक्षा परिषद' की कुल सदस्य संख्या कितनी है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-5 | ||
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||संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है। | ||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है। | ||
{'POSDCORB' दृषिकोण की आलोचना निम्न में से किसने की है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-6 | {'POSDCORB' दृषिकोण की आलोचना निम्न में से किसने की है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-6 | ||
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-आवेन | -आवेन | ||
-रिकार्डो | -रिकार्डो | ||
||हेगेल और [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] ने वाद, प्रतिवाद और संवाद की द्वंद्वात्मक पद्धति का प्रयोग किया। हेगेल विश्व का अध्ययन सदैव विकासवादी दृष्टिकोण से करता है। इस विकासवादी क्रिया को हेगेल ने द्वंद्वात्मक किया (Dialectic Process) नाम दिया। इस द्वन्द्ववाद शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द 'Dialego' से हुई जिसका अर्थ वाद-विवाद करना होता है और जिसके फलस्वरूप संश्लेषण अर्थात संवाद की उत्पत्ति होती है जो पहले के दोनों रूपों से भिन्न होता है। मार्क्स, हेगेल के द्वन्द्ववाद से प्रभावित था परंतु उसने हेगेल के आदर्शवाद की उपेक्षा | ||हेगेल और [[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] ने वाद, प्रतिवाद और संवाद की द्वंद्वात्मक पद्धति का प्रयोग किया। हेगेल विश्व का अध्ययन सदैव विकासवादी दृष्टिकोण से करता है। इस विकासवादी क्रिया को हेगेल ने द्वंद्वात्मक किया (Dialectic Process) नाम दिया। इस द्वन्द्ववाद शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द 'Dialego' से हुई जिसका अर्थ वाद-विवाद करना होता है और जिसके फलस्वरूप संश्लेषण अर्थात संवाद की उत्पत्ति होती है जो पहले के दोनों रूपों से भिन्न होता है। मार्क्स, हेगेल के द्वन्द्ववाद से प्रभावित था परंतु उसने हेगेल के आदर्शवाद की उपेक्षा की तथा द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का प्रतिपादन किया। मार्क्स का भौतिक द्वंद्ववाद का सिद्धांत विकासवाद का सिद्धांत है जिसके तीन अंग वाद, प्रतिवाद और संश्लेषण या संवाद हैं। उदाहरणार्थ- यदि गेहूं के दाने पर द्वन्द्ववाद का अध्ययन करें, तो गेहूं को जमीन में गाड़ देने से उसका स्वरूप नष्ट हो जाएगा और एक अंकुरण प्रकट होगा और वह अंकुरण विकसित होकर पौधा बनेगा उसमें गेहूं के अनेक दाने लगेंगे। यदि गेहूं का बीज वाद है तो पौधा 'प्रतिवाद' जो निरंतर बढ़ता रहता है और पौधे से नये दाने का जन्म संश्लेषण है। | ||
{[[जयप्रकाश नारायण]] के किस विचार से [[भारत]] में एक बड़ा जनांदोलन हुआ और [[आपात काल]] लागू हुआ? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-6 | {[[जयप्रकाश नारायण]] के किस विचार से [[भारत]] में एक बड़ा जनांदोलन हुआ और [[आपात काल]] लागू हुआ? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-65 प्रश्न-6 | ||
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{निम्न में से कौन-सा समुच्चय राजनीति विज्ञान के विषय-क्षेत्र को परिभाषित करता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-6 | {निम्न में से कौन-सा समुच्चय राजनीति विज्ञान के विषय-क्षेत्र को परिभाषित करता है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-5 प्रश्न-6 | ||
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-[[राज्य]], सरकार, विधियां, प्रथाएं और संस्कृति | -[[राज्य]], सरकार, विधियां, प्रथाएं और [[संस्कृति]] | ||
-संप्रभुता, सरकार, बाज़ार, राजनीतिक दल और सामाजिक वर्ग | -संप्रभुता, सरकार, बाज़ार, राजनीतिक दल और सामाजिक वर्ग | ||
-राज्य, सरकार, विधियां, सभ्य समाज और राजनीतिक दल | -[[राज्य]], सरकार, विधियां, सभ्य समाज और राजनीतिक दल | ||
+ | +राज्य, मूल्य, सरकार, निर्णय-निर्माण और राजनीतिक दल | ||
||राजनीति विज्ञान का विषय-क्षेत्र राज्य, मूल्य, सरकार, निर्णय-निर्माण, राजनीतिक दल, शक्ति, संघर्षों और सहमति का अध्ययन है। आधुनिक सिद्धांत के अनुसार, राजनीति विज्ञान संस्थाओं एवं राजनीति का अध्ययन है। | ||राजनीति विज्ञान का विषय-क्षेत्र [[राज्य]], मूल्य, सरकार, निर्णय-निर्माण, राजनीतिक दल, शक्ति, संघर्षों और सहमति का अध्ययन है। आधुनिक सिद्धांत के अनुसार, राजनीति विज्ञान संस्थाओं एवं राजनीति का अध्ययन है। | ||
{प्राकृतिक अधिकारों का सिद्धांत किसका एक भाग है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-6 | {प्राकृतिक अधिकारों का सिद्धांत किसका एक भाग है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-17 प्रश्न-6 | ||
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||फॉसीवाद हिंसा, युद्ध एवं नेता को महिमामंडित करता है। | ||फॉसीवाद हिंसा, युद्ध एवं नेता को महिमामंडित करता है। | ||
{निम्नांकित में कौन-सा देश संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-6 | {निम्नांकित में कौन-सा देश [[संयुक्त राष्ट्र]] की सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-6 | ||
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+[[भारत]] | +[[भारत]] | ||
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-[[सोवियत संघ]] | -[[सोवियत संघ]] | ||
-[[ब्रिटेन]] | -[[ब्रिटेन]] | ||
||संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है। | ||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] की सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य हैं- 1.[[रूस]], 2.[[संयुक्त राज्य अमेरिका]], 3.[[यूनाइटेड किंगडम]], 4.[[फ़्राँस]], और 5, [[चीन]]। इसके अतिरिक्त सुरक्षा परिषद में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिनका निर्वाचन होता है। इस प्रकार सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं। अस्थायी सदस्यों का क्षेत्रीय आधार पर दो वर्षों के लिए निर्वाचन होता है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इसके सदस्यों द्वारा मासिक आधार पर चक्रानुक्रम में की जाती है। | ||
{ओ. और एम. किससे संबंधित हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-7 | {ओ. और एम. किससे संबंधित हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-7 | ||
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-संगठन और प्रबंध | -संगठन और प्रबंध | ||
-संगठन और कार्यालय का स्त्रोत | -संगठन और कार्यालय का स्त्रोत | ||
||ओ. तथा एम. (O and M) | ||ओ. तथा एम. (O and M) [[अंग्रेज़ी भाषा]] में आर्गेनाइजेशन एण्ड मेथड्स का संक्षिप्ताक्षर है। इसे [[हिंदी]] के संगठन एवं प्रणाली अथवा पद्धति कहते हैं। [[भारत]] तथा [[ब्रिटेन]] में O & M का यही अर्थ लिया जाता है। जबकि [[अमेरिका]] में कभी-कभी इसे विस्तृत अर्थ में लिया जाता है। वहां इसे 'संगठन तथा प्रबंध' के रूप में लिया जाता है। भारत में केंद्रीय O & M डिवीजन [[1954]] में स्थापित की गई और इसको मंत्रिमंडलीय सचिवालय में स्थान दिया गया। इस समय प्रशासनिक सुधार तथा लोक शिकायत विभाग प्रशासनिक सुधारों तथा संगठन एवं प्रणाली के लिए [[भारत सरकार]] की नोडल एजेंसी है। | ||
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+लॉक | +लॉक | ||
-जे.एस. मिल | -जे.एस. मिल | ||
-मार्क्स | -[[कार्ल मार्क्स|मार्क्स]] | ||
||प्राकृतिक अधिकारों का सिद्धांत सामाजिक समझौता सिद्धांत का भाग है। इस सिद्धांत के प्रबल समर्थक हॉब्स, लॉक तथा रूसो हैं। इनके अनुसार राज्य लोगों के द्वारा किए गए समझौते (सामाजिक समझौते) का फल है। समझौता करने से पूर्व लोग प्राकृतिक अवस्था में रहते थे। प्राकृतिक अवस्था के दौरान लोगों के पास प्राकृतिक अधिकार थे। लॉक ने तीन प्राकृतिक अधिकारों का वर्णन किया है जिनमें जीवन, स्वतंत्रता एवं संपत्ति सम्मिलित है। हॉब्स ने आत्मरक्षा के अधिकार को वरीयता दी है। | ||प्राकृतिक अधिकारों का सिद्धांत सामाजिक समझौता सिद्धांत का भाग है। इस सिद्धांत के प्रबल समर्थक हॉब्स, लॉक तथा रूसो हैं। इनके अनुसार राज्य लोगों के द्वारा किए गए समझौते (सामाजिक समझौते) का फल है। समझौता करने से पूर्व लोग प्राकृतिक अवस्था में रहते थे। प्राकृतिक अवस्था के दौरान लोगों के पास प्राकृतिक अधिकार थे। लॉक ने तीन प्राकृतिक अधिकारों का वर्णन किया है जिनमें जीवन, स्वतंत्रता एवं संपत्ति सम्मिलित है। हॉब्स ने आत्मरक्षा के अधिकार को वरीयता दी है। | ||
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-दो वर्ष में एक बार | -दो वर्ष में एक बार | ||
-तीन वर्ष में एक बार | -तीन वर्ष में एक बार | ||
||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] के महासभा का अधिवेशन (बैठक) वर्ष में कम-से-कम एक बार अवश्य बुलाया जाता है, जो सामान्यत: सितंबर माह में [[न्यूयॉर्क नगर|न्यूयॉर्क]] में आयोजित होता है। असामान्य परिस्थितियों में महासचिव द्वारा चौबीस घंटे के भीतर इसकी बैठक बुलाई जा सकती है। | ||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] के महासभा का अधिवेशन (बैठक) वर्ष में कम-से-कम एक बार अवश्य बुलाया जाता है, जो सामान्यत: [[सितंबर|सितंबर माह]] में [[न्यूयॉर्क नगर|न्यूयॉर्क]] में आयोजित होता है। असामान्य परिस्थितियों में महासचिव द्वारा चौबीस घंटे के भीतर इसकी बैठक बुलाई जा सकती है। | ||
{लोक प्रशासन को अध्ययन विषय के रूप में प्रारंभ करने का श्रेय किसे प्राप्त है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-8 | {लोक प्रशासन को अध्ययन विषय के रूप में प्रारंभ करने का श्रेय किसे प्राप्त है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-8 | ||
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-मेरी पार्कर फोले | -मेरी पार्कर फोले | ||
+वुडरो विल्सन | +वुडरो विल्सन | ||
||एक विषय के रूप में लोक प्रशासन का जन्म [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में सन् [[1887]] में हुआ। वुडरो विल्सन, जो उस समय प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक थे, लोक प्रशासन के जनक माने जाते हैं। इन्होंने अपने लेख 'प्रशासन का अध्ययन' (The Study of Administration) 1887 में राजनीति व प्रशासन को अलग-अलग बताया। वुडरो विल्सन एक तो लोक प्रशासन के पृथक्करण में विश्वास रखते हैं। वुडरो विल्सन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति भी रहे हैं। | ||एक विषय के रूप में लोक प्रशासन का जन्म [[संयुक्त राज्य अमेरिका]] में सन् [[1887]] में हुआ। वुडरो विल्सन, जो उस समय प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक थे, लोक प्रशासन के जनक माने जाते हैं। इन्होंने अपने लेख 'प्रशासन का अध्ययन' (The Study of Administration) [[1887]] में राजनीति व प्रशासन को अलग-अलग बताया। वुडरो विल्सन एक तो लोक प्रशासन के पृथक्करण में विश्वास रखते हैं। वुडरो विल्सन [[अमेरिका]] के पूर्व [[राष्ट्रपति]] भी रहे हैं। | ||
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+[[बाल गंगाधर तिलक]] | +[[बाल गंगाधर तिलक]] | ||
-[[फ़िरोजशाह मेहता]] | -[[फ़िरोजशाह मेहता]] | ||
- | -[[डब्लू सी बनर्जी]] | ||
-[[लाला लाजपत राय]] | -[[लाला लाजपत राय]] | ||
||प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को 'भारत में अशांति का अग्रदूत' कहा गया है। बेलेंटाइन शिरोल ने उन्हें 'भारतीय अशांति का जनक' कहा है। | ||प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी [[बाल गंगाधर तिलक]] को 'भारत में अशांति का अग्रदूत' कहा गया है। बेलेंटाइन शिरोल ने उन्हें 'भारतीय अशांति का जनक' कहा है। | ||
{किस देश की न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-108 | {किस देश की न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-81 प्रश्न-108 | ||
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-लास्की | -लास्की | ||
+[[एडम स्मिथ]] | +[[एडम स्मिथ]] | ||
||आर्थिक क्षेत्र में व्यक्तिवाद को [[एडम स्मिथ]] ने अपनी कृति "वैल्थ ऑफ़ नेशंस" के द्वारा स्थापित किया। उन्हें अर्थशास्त्र का जनक भी माना जाता है। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- आर्थिक क्षेत्र में अहस्तक्षेप के सिद्धांत का समर्थन करते हुए इन्होंने तर्क दिया कि यदि बाज़ार व्यवस्था को कोई हस्तक्षेप न किया जाए तो उसमें संतुलन की स्वाभाविक प्रवृत्ति दिखाई देगी। 2. इससे पूंजीपति के लाभ के साथ-साथ आम खुशहाली में वृद्धि होगी। 3.इनके अनुसार सरकार के मुख्यत: दो कार्य है (a) राज्य की रक्षा, (b) न्याय प्रशासन। 3.इनके अनुसार जब सरकार समाज के भीतर किसी विशेष श्रेणी या समुदाय को विशेषाधिकार प्रदान करके आर्थिक जीवन के विनियम का प्रयत्न करती है तब वह न केवल अन्याय और अत्याचार को बढ़ावा देती है बल्कि आर्थिक इष्टसिद्धि में भी बाधा डालती है। | ||आर्थिक क्षेत्र में व्यक्तिवाद को [[एडम स्मिथ]] ने अपनी कृति "वैल्थ ऑफ़ नेशंस" के द्वारा स्थापित किया। उन्हें [[अर्थशास्त्र]] का जनक भी माना जाता है। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- आर्थिक क्षेत्र में अहस्तक्षेप के सिद्धांत का समर्थन करते हुए इन्होंने तर्क दिया कि यदि बाज़ार व्यवस्था को कोई हस्तक्षेप न किया जाए तो उसमें संतुलन की स्वाभाविक प्रवृत्ति दिखाई देगी। 2. इससे पूंजीपति के लाभ के साथ-साथ आम खुशहाली में वृद्धि होगी। 3.इनके अनुसार सरकार के मुख्यत: दो कार्य है (a) राज्य की रक्षा, (b) न्याय प्रशासन। 3.इनके अनुसार जब सरकार समाज के भीतर किसी विशेष श्रेणी या समुदाय को विशेषाधिकार प्रदान करके आर्थिक जीवन के विनियम का प्रयत्न करती है तब वह न केवल अन्याय और अत्याचार को बढ़ावा देती है बल्कि आर्थिक इष्टसिद्धि में भी बाधा डालती है। | ||
{फॉसीवाद के 'फॉसीस' शब्द का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-41 प्रश्न-8 | {फॉसीवाद के 'फॉसीस' शब्द का क्या अर्थ है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-41 प्रश्न-8 | ||
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-पोप का मुकुट | -पोप का मुकुट | ||
-पवित्र रोमन सम्राट की बाइबिल | -पवित्र रोमन सम्राट की बाइबिल | ||
-रोम के मुख्य चर्च की घंटी | -[[रोम]] के मुख्य चर्च की घंटी | ||
||फॉसीवाद के 'फॉसीस' शब्द का अर्थ प्राचीन रोम के दंडाधीशों (Magic-trates) की शक्ति के प्रतीक के रूप में डंडों का समूह है। इसे सार्वजनिक सेवक उठाकर चलते थे। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- 1.अंग्रेज़ी के 'फासिज्म' (Fascism) शब्द की उत्पत्ति इतालवी शब्द फासियो (Fascio) से हुई है, जिसका अर्थ है 'डंडों का गट्ठर जो कुल्हाड़े की मूठ के चारों ओर लाल फीते से बंधा होता है। 2.प्रथम विश्वयुद्ध ([[1914]]-[[1919]]) के दौरान यह डंड समूह [[इटली]] के हित में जीने-मरने वाले लोगों के संगठन का सूचक था। 3.फासियो की स्थापना मुसोलिनी के नेतृत्व में वर्ष [[1915]] में मिलान शहर में की गई थी। 4.साम्यवाद से लड़ने के लिए इसका पुनर्गठन वर्ष [[1919]] में किया गया। | ||फॉसीवाद के 'फॉसीस' शब्द का अर्थ प्राचीन रोम के दंडाधीशों (Magic-trates) की शक्ति के प्रतीक के रूप में डंडों का समूह है। इसे सार्वजनिक सेवक उठाकर चलते थे। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- 1.[[अंग्रेज़ी]] के 'फासिज्म' (Fascism) शब्द की उत्पत्ति इतालवी शब्द फासियो (Fascio) से हुई है, जिसका अर्थ है 'डंडों का गट्ठर जो कुल्हाड़े की मूठ के चारों ओर लाल फीते से बंधा होता है। 2.प्रथम विश्वयुद्ध ([[1914]]-[[1919]]) के दौरान यह डंड समूह [[इटली]] के हित में जीने-मरने वाले लोगों के संगठन का सूचक था। 3.फासियो की स्थापना मुसोलिनी के नेतृत्व में वर्ष [[1915]] में मिलान शहर में की गई थी। 4.साम्यवाद से लड़ने के लिए इसका पुनर्गठन वर्ष [[1919]] में किया गया। | ||
{संयुक्त राष्ट्र संघ का कौन-सा विशिष्ट अभिकरण नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-8 | {[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] का कौन-सा विशिष्ट अभिकरण नहीं है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-8 | ||
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-[[विश्व स्वास्थ्य संगठन]] (W.H.O.) | -[[विश्व स्वास्थ्य संगठन]] (W.H.O.) | ||
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{लोक प्रशासन का संबंध किससे है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-9 | {लोक प्रशासन का संबंध किससे है? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-130 प्रश्न-9 | ||
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-राजनीति | -[[राजनीतिशास्त्र |राजनीति]] | ||
-अर्थशास्त्र | -[[अर्थशास्त्र]] | ||
-मनोविज्ञान | -[[मनोविज्ञान]] | ||
+इनमें से कोई नहीं | +इनमें से कोई नहीं | ||
||[[1970]] के बाद लोक प्रशासन का अंतर्विषयक दृष्टिकोण उभर कर आया। [[राजनीतिशास्त्र]], [[अर्थशास्त्र]], [[मनोविज्ञान]], समाजशास्त्र, प्रबंधशास्त्र के साथ लोक प्रशासन के गहरे संबंध स्थापित हुए। अब प्रशासन की गतिशीलता तथा तत्कालीन मुद्दों पर विशेष रूप से विचार किया जा रहा है। | ||[[1970]] के बाद लोक प्रशासन का अंतर्विषयक दृष्टिकोण उभर कर आया। [[राजनीतिशास्त्र]], [[अर्थशास्त्र]], [[मनोविज्ञान]], समाजशास्त्र, प्रबंधशास्त्र के साथ लोक प्रशासन के गहरे संबंध स्थापित हुए। अब प्रशासन की गतिशीलता तथा तत्कालीन मुद्दों पर विशेष रूप से विचार किया जा रहा है। | ||
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+[[अरस्तू]] | +[[अरस्तू]] | ||
-[[प्लेटो]] | -[[प्लेटो]] | ||
||[[अरस्तू]] राजनीति शास्त्र के जनक माने जाते हैं। अरस्तू ने ही राजनीति शास्त्र को व्यवस्थित अध्ययन विषय के रूप में नीति शास्त्र से अलग किया। अरस्तू ने राजनीति को सर्वोच्च विज्ञान की संज्ञा दी। | ||[[अरस्तू]] [[राजनीतिशास्त्र|राजनीति शास्त्र]] के जनक माने जाते हैं। अरस्तू ने ही राजनीति शास्त्र को व्यवस्थित अध्ययन विषय के रूप में नीति शास्त्र से अलग किया। अरस्तू ने राजनीति को सर्वोच्च विज्ञान की संज्ञा दी। | ||
{सामाजिक संविदा सिद्धांत के अनुसार-(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-18 प्रश्न-9 | {सामाजिक संविदा सिद्धांत के अनुसार-(नागरिक शास्त्र,पृ.सं-18 प्रश्न-9 | ||
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+राज्य एक मानवकृत संस्था है। | +राज्य एक मानवकृत संस्था है। | ||
-राज्य प्राकृतिक एवं आवश्यक है। | -राज्य प्राकृतिक एवं आवश्यक है। | ||
-राज्य के प्रकृति सावयवी है। | -[[राज्य]] के प्रकृति सावयवी है। | ||
||सामाजिक संविदा सिद्धांत के अनुसार, राज्य एक मानवकृत संस्था है। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- 1.सामाजिक संविदा सिद्धांत में यह कल्पना की गई है कि राज्य का निर्माण सब मनुष्यों ने मिलकर सबके हितों की पूर्ति हेतु किया है। यह सिद्धांत उदारवाद एवं यंत्रीय सिद्धांत के साथ निकट से जुड़ा है। 2.इस सिद्धांत के प्रमुख समर्थक थामस हॉब्स, जान लॉक एवं रूसो हैं। | ||सामाजिक संविदा सिद्धांत के अनुसार, राज्य एक मानवकृत संस्था है। '''*अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य'''- 1.सामाजिक संविदा सिद्धांत में यह कल्पना की गई है कि राज्य का निर्माण सब मनुष्यों ने मिलकर सबके हितों की पूर्ति हेतु किया है। यह सिद्धांत उदारवाद एवं यंत्रीय सिद्धांत के साथ निकट से जुड़ा है। 2.इस सिद्धांत के प्रमुख समर्थक थामस हॉब्स, जान लॉक एवं रूसो हैं। | ||
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-[[जर्मनी]] | -[[जर्मनी]] | ||
-[[रूस]] | -[[रूस]] | ||
||फॉसीवाद का जन्म प्रथम विश्व युद्ध के दौरान [[इटली]] में हुआ जब मुसोलिनी के नेतृत्य में वर्ष 1915 में मिलान में पहले 'फासियो' की स्थापना की गई। | ||फॉसीवाद का जन्म प्रथम विश्व युद्ध के दौरान [[इटली]] में हुआ जब मुसोलिनी के नेतृत्य में वर्ष [[1915]] में मिलान में पहले 'फासियो' की स्थापना की गई। | ||
{संयुक्त राष्ट्र संघ के कुल कितने मुख्य अंग हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-9 | {[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] के कुल कितने मुख्य अंग हैं? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-119 प्रश्न-9 | ||
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{राज्य के सावयविक होने पर किस वर्ष वर्ग का विश्वास था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-52 प्रश्न-10 | {[[राज्य]] के सावयविक होने पर किस वर्ष वर्ग का विश्वास था? (नागरिक शास्त्र,पृ.सं-52 प्रश्न-10 | ||
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+आदर्शवादियों | +आदर्शवादियों |
12:02, 29 दिसम्बर 2016 का अवतरण
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