"प्रयोग:कविता बघेल": अवतरणों में अंतर
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||हमारे [[मानव शरीर|शरीर]] का अधिकतम भार [[जल]] से बना है जिसमें इसकी मात्रा लगभग दो तिहाई पाई जाती है। हालांकि एक नवजात बच्चे के शरीर में उसके भार का लगभग 75% भाग जल होता है। एक वयस्क पुरुष के शरीर में उसके भार का लगभग 65%-70% जबकि वयस्त्र स्त्री के शरीर में उसके भार के लगभग 55-60% भाग जल होता है। यह प्रकृति का सबसे उत्तम विलायक होता है। | ||हमारे [[मानव शरीर|शरीर]] का अधिकतम भार [[जल]] से बना है जिसमें इसकी मात्रा लगभग दो तिहाई पाई जाती है। हालांकि एक नवजात बच्चे के शरीर में उसके भार का लगभग 75% भाग जल होता है। एक वयस्क पुरुष के शरीर में उसके भार का लगभग 65%-70% जबकि वयस्त्र स्त्री के शरीर में उसके भार के लगभग 55-60% भाग [[जल]] होता है। यह प्रकृति का सबसे उत्तम विलायक होता है। | ||
{राजकुमारी अमृत कौर 'कोचिंग' योजना कहां आरंभ हुई? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-24 | {राजकुमारी अमृत कौर 'कोचिंग' योजना कहां आरंभ हुई? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-24 | ||
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-8 सेमी. | -8 सेमी. | ||
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||वॉलीबॉल एक ऐसा खेल है जो हाथों से खेला जाता है, इस खेल का नाम वॉलीबॉल इसलिए पड़ा क्योंकि इस खेल में गेंद को जमीन पर | ||वॉलीबॉल एक ऐसा खेल है जो हाथों से खेला जाता है, इस खेल का नाम वॉलीबॉल इसलिए पड़ा क्योंकि इस खेल में गेंद को जमीन पर टंपा खाने नहीं दिया जाता गेंद ऊपर-ही-ऊपर हाथ के प्रहार से जाल के एक तरफ से दूसरे तरफ खिलाड़ियों द्वारा फेंकी जाती है। वॉलीबॉल खेल के मैदान की लंबाई 18 मीटर चौड़ाई 0 मीटर होती है। मैदान के रेखांकन में सभी लाइनों की चौड़ाई 5 सेमी. होती है। | ||
{खेल कूद में 'स्कोलियोसिस' का उच्च दर देखा गया है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-91 | {खेल कूद में 'स्कोलियोसिस' का उच्च दर देखा गया है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-91 | ||
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||स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी के टेढ़ेपन की बीमारी है जिसमें व्यक्ति की संपूर्ण रीढ़ वक्राकार (Curved) हो जाती है और यह वक्रता 'C' या 'S' के आकार में हो सकती है। कुछ विशिष्ट खेलों जैसे तैराकी तथा जिमनास्टिक आदि से संबद्ध खिलाड़ियों में इस रोग की संभावना अधिक उत्पन्न हो जाती है। इन खिलाड़ियों में रीढ़ की हड्डी के जोड़ों में ढीलापन आ जाने से ऐसी संभावना उत्पन्न होती है। | ||स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी के टेढ़ेपन की बीमारी है जिसमें व्यक्ति की संपूर्ण रीढ़ वक्राकार (Curved) हो जाती है और यह वक्रता 'C' या 'S' के आकार में हो सकती है। कुछ विशिष्ट खेलों जैसे तैराकी तथा जिमनास्टिक आदि से संबद्ध खिलाड़ियों में इस रोग की संभावना अधिक उत्पन्न हो जाती है। इन खिलाड़ियों में रीढ़ की हड्डी के जोड़ों में ढीलापन आ जाने से ऐसी संभावना उत्पन्न होती है। | ||
{ओलंपिक में हॉकी कब शामिल की गई थी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-38 प्रश्न-26 | {[[ओलंपिक खेल|ओलंपिक]] में [[हॉकी]] कब शामिल की गई थी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-38 प्रश्न-26 | ||
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+1908, लंदन | +[[1908]], [[लंदन]] | ||
-1920, एंटवर्प | -[[1920]], एंटवर्प | ||
-1936, बर्लिन | -[[1936]], बर्लिन | ||
-1936, मेलबर्न | -[[1936]], मेलबर्न | ||
||फील्ड हॉकी को वर्ष 1908 के लंदन ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया था। इंग्लैंड ने फाइनल में आयरलैंड को पराजित कर हॉकी का स्वर्ण पदक जीत लिया था। | ||फील्ड हॉकी को वर्ष [[1908]] के लंदन ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया था। [[इंग्लैंड]] ने फाइनल में आयरलैंड को पराजित कर हॉकी का स्वर्ण पदक जीत लिया था। | ||
{कक्षा दो के बच्चों को पी.टी. सिखाने के लिए कौन-सी शिक्षण पद्धति उपर्युक्त होगी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-50 प्रश्न-13 | {कक्षा दो के बच्चों को पी.टी. सिखाने के लिए कौन-सी शिक्षण पद्धति उपर्युक्त होगी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-50 प्रश्न-13 | ||
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{स्टॉर्च का अच्छा स्त्रोत है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-11 | {स्टॉर्च का अच्छा स्त्रोत है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-11 | ||
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+गेहूं | +[[गेहूं]] | ||
-दूध | -[[दूध]] | ||
-जौ | -[[जौ]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||स्टॉर्च जटिल कार्बोहाइड्रेट्स हैं। इनमें चीनी के कई किस्म के अणु रासायनिक तौर पर मिले होते हैं। ये डबल रोटी, अनाज (गेहूं, बाजरा व चावल), स्टॉर्च वाली सब्जियों व सभी दालों (चना, मूंग, राजमा) आदि में मिलते हैं। इसका बुनियादी कार्य शरीर खासतौर पर दिमाग की तंतु प्रणाली को ऊर्जा या ताकत प्रदान करना है। | ||स्टॉर्च जटिल कार्बोहाइड्रेट्स हैं। इनमें [[शक्कर|चीनी]] के कई किस्म के अणु रासायनिक तौर पर मिले होते हैं। ये डबल रोटी, अनाज ([[गेहूं]], [[बाजरा]] व [[चावल]]), स्टॉर्च वाली सब्जियों व सभी दालों ([[चना]], मूंग, राजमा) आदि में मिलते हैं। इसका बुनियादी कार्य [[मानव शरीर|शरीर]] खासतौर पर [[मस्तिष्क|दिमाग]] की तंतु प्रणाली को [[ऊर्जा]] या ताकत प्रदान करना है। | ||
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{कोशिकाओं के समूह को कहते हैं- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-188 प्रश्न-12 | {कोशिकाओं के समूह को कहते हैं- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-188 प्रश्न-12 | ||
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-हृदय | -[[हृदय]] | ||
+ऊतक | +[[ऊतक]] | ||
-मांसपेशियों | -[[मांसपेशी|मांसपेशियों]] | ||
-हड्डियां | -हड्डियां | ||
||सजीवों में कोशिका मूलभूत संरचनात्मक इकाई है। पृथ्वी पर लाखों जीव हैं। वह अकृति एवं आकार में भिन्न होते हैं। उनके अंगों की आकृति, आकार एवं कोशिकाओं की संख्या में भी भिन्नता होती है। वह जीव जिनका शरीर एक से अधिक कोशिकाओं का बना होता है, बहुकोशिकीय जीव कहलाते हैं। एक कोशिका वाले जीवों को एककोशिकीय जीव कहते हैं। बहुकोशिकीय जीवों में सभी कार्य विशिष्ट कोशिकाओं के समूह द्वारा संपादित किए जाते हैं। कोशिकाओं का यह समूह ऊतक का निर्माण करते हैं तथा विभिन्न ऊतक अंगों का निर्माण करते हैं। | ||सजीवों में कोशिका मूलभूत संरचनात्मक इकाई है। [[पृथ्वी]] पर लाखों जीव हैं। वह अकृति एवं आकार में भिन्न होते हैं। उनके अंगों की आकृति, आकार एवं कोशिकाओं की संख्या में भी भिन्नता होती है। वह जीव जिनका [[मानव शरीर|शरीर]] एक से अधिक कोशिकाओं का बना होता है, बहुकोशिकीय जीव कहलाते हैं। एक कोशिका वाले जीवों को एककोशिकीय जीव कहते हैं। बहुकोशिकीय जीवों में सभी कार्य विशिष्ट कोशिकाओं के समूह द्वारा संपादित किए जाते हैं। कोशिकाओं का यह समूह [[ऊतक]] का निर्माण करते हैं तथा विभिन्न ऊतक अंगों का निर्माण करते हैं। | ||
{प्राचीन ग्रीस में तीरंदाजी शिक्षक जाने जाते थे- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं- | {प्राचीन ग्रीस में तीरंदाजी शिक्षक जाने जाते थे- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-219 प्रश्न-25 | ||
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-सफेरिट्स | -सफेरिट्स | ||
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||पिकनिक प्राय: मनोरंजनकारी, शिक्षाप्रद या स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण होते हैं। इससे खाली समय का समुचित सदुपयोग होता है। जी.डी. बटलर के अनुसार, "मनोरंजन को इस प्रकार भी माना जा सकता है कि किसी भी प्रकार के खाली समय को अनुभवों अथवा गतिविधियों जिसमें व्यक्ति विशेष अपनी रुचि के अनुसार स्वयं की संतुष्टि और मनोरंजन करता है जो कि उसके पास सीधे ही आती है।" | ||पिकनिक प्राय: मनोरंजनकारी, शिक्षाप्रद या स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण होते हैं। इससे खाली समय का समुचित सदुपयोग होता है। जी.डी. बटलर के अनुसार, "मनोरंजन को इस प्रकार भी माना जा सकता है कि किसी भी प्रकार के खाली समय को अनुभवों अथवा गतिविधियों जिसमें व्यक्ति विशेष अपनी रुचि के अनुसार स्वयं की संतुष्टि और मनोरंजन करता है जो कि उसके पास सीधे ही आती है।" | ||
{शारीरिक शिक्षा शिक्षक प्रशिक्षण का विचार कहां से भारत पहुंचा? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-6 प्रश्न-12 | {शारीरिक शिक्षा शिक्षक प्रशिक्षण का विचार कहां से [[भारत]] पहुंचा? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-6 प्रश्न-12 | ||
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+इंग्लैंड | +[[इंग्लैंड]] | ||
-पुर्तगाल | -[[पुर्तगाल]] | ||
-स्कॉटलैंड | -[[स्कॉटलैंड]] | ||
-जर्मनी | -[[जर्मनी]] | ||
||शारीरिक शिक्षा के शिक्षक के प्रशिक्षण का विचार भारत में इंग्लैंड से पहुंचा। शारीरिक शिक्षा प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालायों में पढ़ाया जाने वाला एक पाठ्यक्रम है। इस शिक्षा से तात्पर्य उन प्रक्तियाओं से है जो मनुष्य के शारीरिक विकास तथा उसके कार्यों के समुचित संपादन में सहायक होती हैं। | ||शारीरिक शिक्षा के शिक्षक के प्रशिक्षण का विचार [[भारत]] में [[इंग्लैंड]] से पहुंचा। शारीरिक शिक्षा प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालायों में पढ़ाया जाने वाला एक पाठ्यक्रम है। इस शिक्षा से तात्पर्य उन प्रक्तियाओं से है जो मनुष्य के शारीरिक विकास तथा उसके कार्यों के समुचित संपादन में सहायक होती हैं। | ||
{इनमें से किसे कौशल सीखने की रीढ़ समझा जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-92 | {इनमें से किसे कौशल सीखने की रीढ़ समझा जाता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-92 | ||
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-प्रदर्शन | -प्रदर्शन | ||
-अनुकरण | -अनुकरण | ||
||अभ्यास द्वारा किसी भी कठिन से कठिन कौशल को सीखा जा सकता है क्योंकि यह भी कहा गया है कि करत-करत अभ्यास से जड़मत होए सुजान। इसी प्रकार अंग्रेजी में एक प्रसिद्ध कहावत है- प्रैक्टिस मेक्स ए मैन परफैक्ट (Practica Makes a Man Perfect)। | |||
| | {[[एशियाई खेल|एशियाई खेलों]] में [[हॉकी]] कब शामिल की गई थी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-38 प्रश्न-27 | ||
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-1951, दिल्ली | -[[1951]], [[दिल्ली]] | ||
-1954, मलीना | -[[1954]], मलीना | ||
+1958, टोक्यो | +[[1958]], टोक्यो | ||
-1962, जकार्ता | -[[1962]], जकार्ता | ||
||एशियाई खेलों में हॉकी को वर्ष 1958 में शामिल किया गया था। मई, 1958 में टोक्यो (जापान) में संम्पन्न इस प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक पाकिस्तान को प्राप्त हुआ था। | ||[[एशियाई खेल|एशियाई खेलों]] में [[हॉकी]] को वर्ष [[1958]] में शामिल किया गया था। [[मई]], [[1958]] में टोक्यो ([[जापान]]) में संम्पन्न इस प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक [[पाकिस्तान]] को प्राप्त हुआ था। | ||
{निम्नलिखित में कौन 'क्रिया' के अंतर्गत नहीं है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-50 प्रश्न-14 | {निम्नलिखित में कौन 'क्रिया' के अंतर्गत नहीं है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-50 प्रश्न-14 | ||
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||चक्का फेंक (Discus throw) डिस्कस का वजन पुरुषों के लिए 2 किग्रा. एवं महिलाओं के लिए 1 किग्रा. होता है। दायरे का व्यास औसतन 2.5 मी. होता है। क्षेत्र (थ्रोइंग सेक्टर) का कोण 34.92 digre होता है। डिस्कम के धात्विक रिम का बाहरी व्यास पुरुषों के लिए 21.9 सेमी. 22.1 सेमी. होता है एवं महिलाओं के लिए 18 सेमी. से 18.2 सेमी. होता है। | ||चक्का फेंक (Discus throw) डिस्कस का वजन पुरुषों के लिए 2 किग्रा. एवं महिलाओं के लिए 1 किग्रा. होता है। दायरे का व्यास औसतन 2.5 मी. होता है। क्षेत्र (थ्रोइंग सेक्टर) का कोण 34.92 digre होता है। डिस्कम के धात्विक रिम का बाहरी व्यास पुरुषों के लिए 21.9 सेमी. 22.1 सेमी. होता है एवं महिलाओं के लिए 18 सेमी. से 18.2 सेमी. होता है। | ||
{पेशाब से प्रतिदिन पानी खर्च होता है लगभग- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-12 | {पेशाब से प्रतिदिन [[पानी]] खर्च होता है लगभग- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-12 | ||
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-1200 मिलीमीटर | -1200 मिलीमीटर | ||
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-2000 मिलीमीटर | -2000 मिलीमीटर | ||
-2500 मिलीमीटर | -2500 मिलीमीटर | ||
||किडनी में द्रव से अलग हुए अर्थ पदार्थ इकट्ठा हो जाता है, उसे मूत्र कहते हैं। यह किडनी से दो नलियों से गुजरता है, जिन्हें मूल नलियां कहते हैं। वहां से यह एक लचीले थैले में जाता है जिसे यूरिनरी ब्लैडर कहते हैं, शरीर से मूत्र नलियों द्बारा ब्लेडर में इकट्ठी हुई मूत्र बाहर निकाल दी जाती है। एक व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 1500 मिलीमीटर तक मूत्र बाहर निकालता है। | ||किडनी में द्रव से अलग हुए अर्थ पदार्थ इकट्ठा हो जाता है, उसे मूत्र कहते हैं। यह [[किडनी]] से दो नलियों से गुजरता है, जिन्हें मूल नलियां कहते हैं। वहां से यह एक लचीले थैले में जाता है जिसे यूरिनरी ब्लैडर कहते हैं, [[मानव शरीर|शरीर]] से मूत्र नलियों द्बारा ब्लेडर में इकट्ठी हुई मूत्र बाहर निकाल दी जाती है। एक व्यक्ति प्रतिदिन लगभग 1500 मिलीमीटर तक मूत्र बाहर निकालता है। | ||
{1 ग्राम प्रोटीन बराबर होता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-188 प्रश्न-13 | {1 ग्राम [[प्रोटीन]] बराबर होता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-188 प्रश्न-13 | ||
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||प्रोटीन मुख्यत: पॉलिपेप्टाइड्स होता है। प्रोटीन का निर्माण अमीनो अम्लों से मिलकर होता है। अमीनो अम्ल एक-दूसरे से पेप्टाइड बंध द्वारा जुड़े रहते हैं। प्रोटीन, त्वचा, रक्त, मांसपेशियों तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। 1 ग्राम प्रोटीन से 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त 1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट से भी 4 कैलोरी, 1 ग्राम एल्कोहल से 7 कैलोरी तथा 1 ग्राम वसा से 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती हैं। | ||प्रोटीन मुख्यत: पॉलिपेप्टाइड्स होता है। प्रोटीन का निर्माण अमीनो अम्लों से मिलकर होता है। अमीनो अम्ल एक-दूसरे से पेप्टाइड बंध द्वारा जुड़े रहते हैं। [[प्रोटीन]], [[त्वचा]], [[रक्त]], [[मांसपेशी|मांसपेशियों]] तथा हड्डियों की कोशिकाओं के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। 1 ग्राम प्रोटीन से 4 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त 1 ग्राम [[कार्बोहाइड्रेट]] से भी 4 कैलोरी, 1 ग्राम एल्कोहल से 7 कैलोरी तथा 1 ग्राम वसा से 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती हैं। | ||
{प्राचीन ग्रीस में अपोलो था- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-26 | {प्राचीन ग्रीस में [[अपोलो]] था- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-218 प्रश्न-26 | ||
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-समुद्र का देवता | -समुद्र का देवता | ||
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||डिस्कस थ्रो (चक्का फेंक) प्रतियोगिता के चक्के का वजन 2 किलोग्राम, गोला फेंक (शॉट पुट) प्रतियोगिता के गोले का वजन 7.260 किलोग्राम तथा भाला फेंक प्रतियोगिता के भाले की लंबाई 260 सेमी. और वजन 800 ग्राम होता है। तीनों खेल सामग्री का वजन पुरुष खिलाड़ियों से संबंधित है। | ||डिस्कस थ्रो (चक्का फेंक) प्रतियोगिता के चक्के का वजन 2 किलोग्राम, गोला फेंक (शॉट पुट) प्रतियोगिता के गोले का वजन 7.260 किलोग्राम तथा भाला फेंक प्रतियोगिता के भाले की लंबाई 260 सेमी. और वजन 800 ग्राम होता है। तीनों खेल सामग्री का वजन पुरुष खिलाड़ियों से संबंधित है। | ||
{जब | {जब श्वास ली जाती है तो [[वायु]] में [[ऑक्सीजन]] की मात्रा 20% है तो श्वास छोड़ने पर निकलने वाले [[वायु]] में [[ऑक्सीजन]] की मात्रा होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-93 | ||
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+16% | +16% | ||
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-10% | -10% | ||
-25% | -25% | ||
||वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा 20% के लगभग होती है जबकि 78% नाइट्रोजन गैस होती है, शेष 2% में अन्य गैसें सम्मिलित होती हैं। जब हम श्वास लेते हैं तो एक निश्चित आयतन की वायु में भी यही ऑक्सीजन प्रतिशत रहता है लेकिन हमारे फेफड़ों द्वारा इसमें से केवल 4% के लगभग ऑक्सीजन ही अवशोषित की जाती है और शेष 16% ऑक्सीजन पुन: बाहर आ जाती है। | ||[[वायुमंडल]] में [[ऑक्सीजन]] की मात्रा 20% के लगभग होती है जबकि 78% [[नाइट्रोजन|नाइट्रोजन गैस]] होती है, शेष 2% में अन्य गैसें सम्मिलित होती हैं। जब हम श्वास लेते हैं तो एक निश्चित आयतन की वायु में भी यही ऑक्सीजन प्रतिशत रहता है लेकिन हमारे [[फेफड़ा|फेफड़ों]] द्वारा इसमें से केवल 4% के लगभग ऑक्सीजन ही अवशोषित की जाती है और शेष 16% ऑक्सीजन पुन: बाहर आ जाती है। | ||
{जैविक स्वस्थता के दृष्टिकोण से स्वस्थता का वास्तविक तात्पर्य किसकी स्वस्थता के संबंध में है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-38 प्रश्न-28 | {जैविक स्वस्थता के दृष्टिकोण से स्वस्थता का वास्तविक तात्पर्य किसकी स्वस्थता के संबंध में है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-38 प्रश्न-28 | ||
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+उज्जायी | +उज्जायी | ||
-उड्डियान | -उड्डियान | ||
||प्राणायाम श्वसन प्रक्रिया का नियंत्रक होता है। इसका अर्थ है श्वास को अंदर ले जाने व बाहर निकालने पर उचित नियंत्रण रखना। मूल रूप से प्राणायाम के तीन घटक अर्थात पूरक, कुंभक व रेचक होने हैं। प्राणायाम के विभिन्न प्रकार होते हैं। जैसे-उज्जायी, सूर्यभेदी, शीतकारी, शीलती, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्च्छा, प्लाविनी। यह उपापचय क्रियाओं में सहायता करता है तथा हृदय व फेफड़ों की क्रियाओं में वृद्धि करता है। यह जीवन को दीर्घायु भी बनाता है। | ||प्राणायाम श्वसन प्रक्रिया का नियंत्रक होता है। इसका अर्थ है श्वास को अंदर ले जाने व बाहर निकालने पर उचित नियंत्रण रखना। मूल रूप से प्राणायाम के तीन घटक अर्थात पूरक, कुंभक व रेचक होने हैं। प्राणायाम के विभिन्न प्रकार होते हैं। जैसे-उज्जायी, सूर्यभेदी, शीतकारी, शीलती, भस्त्रिका, भ्रामरी, मूर्च्छा, प्लाविनी। यह उपापचय क्रियाओं में सहायता करता है तथा [[हृदय]] व [[फेफड़ा|फेफड़ों]] की क्रियाओं में वृद्धि करता है। यह जीवन को दीर्घायु भी बनाता है। | ||
{शारीरिक शिक्षा के क्रिया-कलापों के चयन करते समय किस बात का ध्यान रखना आवश्यक है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-93 | {शारीरिक शिक्षा के क्रिया-कलापों के चयन करते समय किस बात का ध्यान रखना आवश्यक है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-93 | ||
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-बच्चों की जाति एवं धर्म | -बच्चों की [[जाति]] एवं [[धर्म]] | ||
-बच्चों की लंबाई एवं वजन | -बच्चों की लंबाई एवं वजन | ||
-बच्चों का ग्रामीण एवं शहरी परिवेश | -बच्चों का ग्रामीण एवं शहरी परिवेश | ||
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||शारीरिक शिक्षा के क्रिया-कलापों के चयन करते समय बच्चों की शारीरिक दक्षता एवं आवश्यकता का ध्यान रखना चाहिए। | ||शारीरिक शिक्षा के क्रिया-कलापों के चयन करते समय बच्चों की शारीरिक दक्षता एवं आवश्यकता का ध्यान रखना चाहिए। | ||
{ | {[[धमनियाँ]] [[रक्त]] ले जाती हैं- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-13 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-हृदय को | -[[हृदय]] को | ||
+हृदय से | +हृदय से | ||
-मस्तिष्क को | -[[मस्तिष्क]] को | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||रक्त नलिकाओं को तीन प्रकार से बांटा जा सकता है- | ||रक्त नलिकाओं को तीन प्रकार से बांटा जा सकता है-1.[[धमनियाँ|धमनियां]] जो [[हृदय]] से [[रक्त]] ले जाती हैं। 2.[[शिरा|शिराएं]] जो हृदय की ओर रक्त लाती हैं। 3.धमनियों एवं शिराओं को जोड़ने वाली केपलरिज (कोशिकाएं) हृदय के बाएं स्थित अरोटा से रक्त बाहर निकलता है। यह सबसे बड़ी धमनी है। अरोटा से कई मुख्य धमनियों की शाखाएं निकलती हैं जो आगे छोटी-छोटी नलिकाओं में विभक्त हो जाती हैं। | ||
1.धमनियां जो हृदय से रक्त ले जाती हैं। | |||
2.शिराएं जो हृदय की ओर रक्त लाती हैं। | |||
3.धमनियों एवं शिराओं को जोड़ने वाली | |||
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+एच.सी. बफ | +एच.सी. बफ | ||
-एम. रोबसन | -एम. रोबसन | ||
||एच.सी. बक ने वर्ष 1920 में मद्रास (अब चेन्नई) में वाई.एम.सी.ए. कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन की स्थापना की थी। वे इसके प्रथम आचार्य बने। इस संस्था ने भारत में शारीरिक शिक्षा को अपने पैरों पर खड़ा करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। | ||एच.सी. बक ने वर्ष [[1920]] में [[मद्रास]] (अब [[चेन्नई]]) में वाई.एम.सी.ए. कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन की स्थापना की थी। वे इसके प्रथम आचार्य बने। इस संस्था ने [[भारत]] में शारीरिक शिक्षा को अपने पैरों पर खड़ा करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। | ||
{"डिस्मीसल" भाग है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-199 प्रश्न-114 | {"डिस्मीसल" भाग है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-199 प्रश्न-114 | ||
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-उसके स्वयं की समस्या | -उसके स्वयं की समस्या | ||
+उपर्युक्त में कोई नहीं | +उपर्युक्त में कोई नहीं | ||
||उपर्युक्त विकल्पों में से | ||उपर्युक्त विकल्पों में से कोई विकल्प शोध समस्य के लिए उपर्युक्त नहीं है। | ||
{पुरुष त्रिकूद में टेक ऑफ और अखाड़े के बीच की दूरी होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-94 | {पुरुष त्रिकूद में टेक ऑफ और [[अखाड़ा|अखाड़े]] के बीच की दूरी होती है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-94 | ||
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-8 मी. | -8 मी. | ||
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-हैंडबॉल | -हैंडबॉल | ||
+कोर्फबॉल | +कोर्फबॉल | ||
-हॉकी | -[[हॉकी]] | ||
-वॉलीबॉल | -वॉलीबॉल | ||
||हैंडबॉल खेल को 19वीं शताब्दी के अंत में उत्तरी यूरोप और जर्मनी में संहिताबद्ध किया गया था। इसके आधुनिक नियम वर्ष 1917 में जर्मनी में प्रकाशित किए गए थे। बास्केटबॉल खेल 1891 ई. में कैनेडियन डॉ. जेम्स नैशमिथ द्वारा अमेरिका YMCA स्कूल में ईजाद किया गया था। कोर्फबॉल खेल | ||हैंडबॉल खेल को 19वीं शताब्दी के अंत में उत्तरी यूरोप और [[जर्मनी]] में संहिताबद्ध किया गया था। इसके आधुनिक नियम वर्ष [[1917]] में जर्मनी में प्रकाशित किए गए थे। [[बास्केटबॉल|बास्केटबॉल खेल]] [[1891]] ई. में कैनेडियन डॉ. जेम्स नैशमिथ द्वारा अमेरिका YMCA स्कूल में ईजाद किया गया था। कोर्फबॉल खेल स्कूल टीचर निको ब्रेवोखुइसेन द्वारा वर्ष [[1902]] में ईसाद किया गया था। हालांकि कोर्फबॉल नामक खेल का जन्म [[जर्मनी]] में हुआ, जो बास्केटबॉल से मिलता-जुलता खेल है। वॉलीबॉल खेल अमेरिकी शारीरिक शिक्षा निदेशक विलियम जी. मॉर्गन द्वारा [[1895]] ई. में मिंटोनेट्टे नाम से ईजाद किया गया जिसे जल्द ही वॉलीबॉल के नाम से जाने जाना लगा। [[हॉकी|हॉकी खेल]] की उत्पत्ति का निश्चित समय ज्ञात नहीं है। | ||
{पेनाल्टी स्ट्रोक लेते समय किस कौशल का खिलाड़ी प्रयोग नहीं कर सकता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-16 | {पेनाल्टी स्ट्रोक लेते समय किस कौशल का खिलाड़ी प्रयोग नहीं कर सकता है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-16 | ||
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-फ्लिक | -फ्लिक | ||
-स्कूप | -स्कूप | ||
||फील्ड हॉकी के खेल में पेनाल्टी स्ट्रोक को पेनाल्टी फ्लिक भी कहते है। पेनाल्टी स्ट्रोक, आक्रमण करने वाले खिलाड़ी द्वारा गोल रेखा के मध्य से 7 गज की दूरी से लिया जाता है। पेनाल्टी स्ट्रोक, पुश, फ्लिक अथवा स्कूप हो सकता है। इस स्ट्रोक से केवल गोलरक्षक ही बचाव कर सकता है। गोल का बचाव करते समय गोलरक्षक अपने दस्ताने तथा हेल्मेट आदि उतार सकता है। | ||फील्ड [[हॉकी]] के खेल में पेनाल्टी स्ट्रोक को पेनाल्टी फ्लिक भी कहते है। पेनाल्टी स्ट्रोक, आक्रमण करने वाले खिलाड़ी द्वारा गोल रेखा के मध्य से 7 गज की दूरी से लिया जाता है। पेनाल्टी स्ट्रोक, पुश, फ्लिक अथवा स्कूप हो सकता है। इस स्ट्रोक से केवल गोलरक्षक ही बचाव कर सकता है। गोल का बचाव करते समय गोलरक्षक अपने दस्ताने तथा हेल्मेट आदि उतार सकता है। | ||
{वाई.एम.सी.ए. (Y.M.C.A.) के संस्थापक कौन थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न- 94 | {वाई.एम.सी.ए. (Y.M.C.A.) के संस्थापक कौन थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न- 94 | ||
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+एच.सी. बक | +एच.सी. बक | ||
-आर. कैसिडी | -आर. कैसिडी | ||
||वाई.एम.सी.ए. के संस्थापक एच.सी. बक थे। इन्होंने वर्ष 1920 में मद्रास में वाई.एम.सी.ए. कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन की स्थापना की। | ||वाई.एम.सी.ए. के संस्थापक एच.सी. बक थे। इन्होंने वर्ष [[1920]] में [[मद्रास]] में वाई.एम.सी.ए. कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन की स्थापना की। | ||
{प्रौढ़ हृदय का वजन होता है लगभग- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-14 | {प्रौढ़ [[हृदय]] का वजन होता है लगभग- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-14 | ||
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+260 ग्राम से 300 ग्राम | +260 ग्राम से 300 ग्राम | ||
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-150 ग्राम से 200 ग्राम | -150 ग्राम से 200 ग्राम | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||मानव हृदय छाती के मध्य थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है। यह एक दिन में लगभग 1 लाख बार धड़कता है। हृदय चार प्रमुख कक्षों में विभाजित होता है। एक वयस्क मनुष्य के हृदय का वजन लगभग 260 ग्राम से 300 ग्राम होता है। | ||मानव हृदय छाती के मध्य थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है। यह एक दिन में लगभग 1 लाख बार धड़कता है। [[हृदय]] चार प्रमुख कक्षों में विभाजित होता है। एक वयस्क मनुष्य के [[हृदय]] का वजन लगभग 260 ग्राम से 300 ग्राम होता है। | ||
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-प्राणायाम | -प्राणायाम | ||
+आसन | +आसन | ||
||आसन को परिभाषित करते हुए महर्षि पतंजलि ने कहा है, 'स्थिरं सुखम् आसनम्" इसका अर्थ यह है कि आसन वह है जिसके करने से मन एवं शरीर में स्थिरता आए और सुख का अनुभव हो। | ||आसन को परिभाषित करते हुए महर्षि पतंजलि ने कहा है, 'स्थिरं सुखम् आसनम्" इसका अर्थ यह है कि आसन वह है जिसके करने से मन एवं [[मानव शरीर|शरीर]] में स्थिरता आए और सुख का अनुभव हो। | ||
{राष्ट्रीय अनुशासन योजना कब आरंभ हुई थी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-28 | {राष्ट्रीय अनुशासन योजना कब आरंभ हुई थी? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-220 प्रश्न-28 | ||
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-1956 | -[[1956]] | ||
-1955 | -[[1955]] | ||
+1954 | +[[1954]] | ||
-1953 | -[[1953]] | ||
||वर्ष 1954 में 'राष्ट्रीय अनुशासन योजना' जनरल भोंसले द्वारा शुरू की गई, जो उस समय केंद्र में पुनर्वास उपमंत्री थे। इन्हें 'राष्ट्रीय अनुशासन योजना का | ||वर्ष [[1954]] में 'राष्ट्रीय अनुशासन योजना' जनरल भोंसले द्वारा शुरू की गई, जो उस समय केंद्र में पुनर्वास उपमंत्री थे। इन्हें 'राष्ट्रीय अनुशासन योजना का पिता' माना जाता है। | ||
{"फार्टलेक प्रशिक्षण" का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-199 प्रश्न-115 | {"फार्टलेक प्रशिक्षण" का संबंध है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-199 प्रश्न-115 | ||
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+दमखम | +दमखम | ||
-लचीलापन | -लचीलापन | ||
||फार्टलेक | ||फार्टलेक एक स्वीडिया शब्द है जिसका अर्थ है 'गतिखेल' अर्थात स्पीड प्ले (Speed play)। फार्टलेक प्रशिक्षण विधि का प्रयोग व्यक्ति की सहन क्षमता को बढ़ाने के लिए की जाती है और इस विधि में विधि में गति व स्थान पहले से नियोजित नहीं होता है। इसका निर्णय व्यक्तिगत होता है तथा खिलाड़ी अपनी गति पहाड़ियों, जंगल, कीचड़ तथा घास के मैदान अर्थात स्थान के अनुरूप रखता है। इस प्रकार फार्टलेक प्रशिक्षण विधि द्वारा व्यक्ति के सहन क्षमता या दमखम (Endurance) का परीक्षण कर उसका विकास किया जाता है। | ||
{खो-खो में डाइविंग के समय बेहतरीन टाइमिग और गति के साथ आवश्यकता होती है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-15 | {[[खो-खो]] में डाइविंग के समय बेहतरीन टाइमिग और गति के साथ आवश्यकता होती है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-7 प्रश्न-15 | ||
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-मांसपेशी ज्ञान की | -[[मांसपेशी]] ज्ञान की | ||
-निर्णय क्षमता की | -निर्णय क्षमता की | ||
+अचूकता (एक्यूरेसी) की | +अचूकता (एक्यूरेसी) की | ||
-संतुलन की | -संतुलन की | ||
||खो-खो खेल में डाइविंग के समय बेहतरीन टाइमिंग और गति के साथ अचूकता (एक्यूरेसी) की आवश्यकता होती है। | ||[[खो-खो|खो-खो खेल]] में डाइविंग के समय बेहतरीन टाइमिंग और गति के साथ अचूकता (एक्यूरेसी) की आवश्यकता होती है। | ||
{'माइलो' जिसने प्राचीन ओलंपिक में रिकॉर्ड छ: बार भाग लिया, खिलाड़ी था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-95 | {'माइलो' जिसने प्राचीन ओलंपिक में रिकॉर्ड छ: बार भाग लिया, खिलाड़ी था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-17 प्रश्न-95 | ||
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-मुक्केबाजी | -मुक्केबाजी | ||
+कुश्ती | +[[कुश्ती]] | ||
-धावन | -धावन | ||
-ग्लेडियटर | -ग्लेडियटर | ||
||प्राचीन ओलंपिक में रिकॉर्ड छ: बार लगातार भाग लेने वाला खिलाड़ी 'माइलो' (Milo) था जिसने कुश्ती की प्रतियोगिता में भाग लेकर छ: बार लगातार शीर्ष स्थान प्राप्त किया था। | ||प्राचीन ओलंपिक में रिकॉर्ड छ: बार लगातार भाग लेने वाला खिलाड़ी 'माइलो' (Milo) था जिसने [[कुश्ती]] की प्रतियोगिता में भाग लेकर छ: बार लगातार शीर्ष स्थान प्राप्त किया था। | ||
{स्टेडियम जो इरविन एम्फीथियेटर के नाम से जाना जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-30 | {स्टेडियम जो इरविन एम्फीथियेटर के नाम से जाना जाता है- (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-39 प्रश्न-30 | ||
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+राष्ट्रीय स्टेडियम, दिल्ली | +राष्ट्रीय स्टेडियम, [[दिल्ली]] | ||
-युवा भारती फ्रीडांगन, कलकत्ता | -युवा भारती फ्रीडांगन, [[कलकत्ता]] | ||
-जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, दिल्ली | -जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, दिल्ली | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
||वर्ष 1933 में भावनगर के महाराजा को उपहार देने के उद्देश्य से दिल्ली में इरविन एम्फीथियेटर का निर्माण किया गया, जो एक बहुप्रयोजन स्टेडियम था। वर्ष 1951 में एथियाई खेलों से पूर्व इसे नेशनल स्टेडियम नाम दिया गया। वर्ष 2002 महान | ||वर्ष [[1933]] में भावनगर के महाराजा को उपहार देने के उद्देश्य से [[दिल्ली]] में इरविन एम्फीथियेटर का निर्माण किया गया, जो एक बहुप्रयोजन स्टेडियम था। वर्ष [[1951]] में एथियाई खेलों से पूर्व इसे नेशनल स्टेडियम नाम दिया गया। वर्ष [[2002]] महान भारतीय हॉकी खिलाड़ी [[मेजर ध्यानचंद]] के नाम पर पुन: इसका नामकरण किया गया और मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम नाम दिया गया। | ||
{निम्नलिखित में से कौन ओलंपिक खेल के पदक विजेताओं में सम्मिलित नहीं है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-17 | {निम्नलिखित में से कौन [[ओलंपिक खेल]] के पदक विजेताओं में सम्मिलित नहीं है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-17 | ||
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-लिएंडर पेस | -[[लिएंडर पेस]] | ||
-कर्णम मल्लेश्वरी | -[[कर्णम मल्लेश्वरी]] | ||
+मिल्खा सिंह | +[[मिल्खा सिंह]] | ||
-अभिनव बिंद्रा | -[[अभिनव बिन्द्रा|अभिनव बिंद्रा]] | ||
||लिएंडर पेस, कर्णम मल्लेश्वरी, अभिनव बिंद्रा ओलंपिक खेल के पदक विजेताओं में सम्मिलित हैं। वर्ष 2012 के ओलंपिक में भारत के पदक विजेता विजय कुमार, सुशील कुमार, गगन नारंग, मैरी कॉम, साइना नेहवाल और | ||[[लिएंडर पेस]], [[कर्णम मल्लेश्वरी]], [[अभिनव बिन्द्रा|अभिनव बिंद्रा]] [[ओलंपिक खेल]] के पदक विजेताओं में सम्मिलित हैं। वर्ष [[2012]] के ओलंपिक में [[भारत]] के पदक विजेता विजय कुमार, [[सुशील कुमार पहलवान|सुशील कुमार]], गगन नारंग, [[मैरी कॉम]], [[साइना नेहवाल]] और [[योगेश्वर दत्त]] थे। | ||
{लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा कॉलेज के प्रथम प्रधानाचार्य कौन थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-95 | {लक्ष्मीबाई शारीरिक शिक्षा कॉलेज के प्रथम प्रधानाचार्य कौन थे? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-60 प्रश्न-95 | ||
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-क्रिकेट | -क्रिकेट | ||
-फुटबॉल | -फुटबॉल | ||
||विम्बलडन चैंपियनशिप टेनिस खेल से संबंधित है। लॉन टेनिस के महत्त्वपूर्ण कप एवं ट्रॉफियां-डेविस कप, फेडरेशन कप, फ्रेंच ओपन, यू.एस. ओपन व ग्रांड प्रिक्स आदि। | |||
{भारतीय खेल प्राधिकरण का गठन किस वर्ष हुआ था? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-65 प्रश्न-16 | |||
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-1974 | -1974 | ||
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-यू.एस.ए. | -यू.एस.ए. | ||
-मलेशिया | -मलेशिया | ||
||वर्ष 1998 पुरुष हॉकी विश्व कप 20 जून से 1 जुलाई, 1998 के मध्य हॉलैंड (नीदरलैंड्स) में आयोजित किया गया। | |||
{बैडमिंटन खेल में कौन-सा नियम लागू है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-20 | {बैडमिंटन खेल में कौन-सा नियम लागू है? (शारीरिक शिक्षा,पृ.सं-51 प्रश्न-20 | ||
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12:24, 31 दिसम्बर 2016 का अवतरण
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