"प्रयोग:रिंकू": अवतरणों में अंतर
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||टेमिक-फोरेट, इन्डो सल्फान-थायोडान, फोरेट-थिमेट, मेटासिस्टाक्स-मेटासिस्टाक्स | ||टेमिक-फोरेट, इन्डो सल्फान-थायोडान, फोरेट-थिमेट, मेटासिस्टाक्स-मेटासिस्टाक्स | ||
{म्यूरेट ऑफ़ पोटाश है | {म्यूरेट ऑफ़ पोटाश क्या है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-101 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -K<sub>2</sub>SO<sub>4</sub> | ||
+KCI | +KCI | ||
- | -K<sub>2</sub>HPO<sub>4</sub> | ||
- | -KNO<sub>3</sub> | ||
{प्रकाश श्वसन किसके द्वारा रूक जाता है | {प्रकाश श्वसन किसके द्वारा रूक जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-31 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-2, 4 | -2, 4 डाइनाइट्रोफिनॉल | ||
+CMU तथा DCMU | +CMU तथा DCMU | ||
-a- हाइड्रॉक्सी सल्फोनेट्स | -a- हाइड्रॉक्सी सल्फोनेट्स | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||प्रकाश श्वसन, अप्रकाशिक श्वसन से भिन्न तरीके से ऑक्सीजन सुग्राही है। प्रकाश श्वसन की | ||प्रकाश श्वसन, अप्रकाशिक श्वसन से भिन्न तरीके से [[ऑक्सीजन]] सुग्राही है। प्रकाश श्वसन की O<sub>2</sub> के लिए बहुत कम बंधुता है और यह अत्यधिक ऑक्सीजन सान्द्रता पर संतृप्त हो जाता है। जिन पौधों में C<sub>4</sub> चक्र होता है उनमें प्रकाश श्वसन नहीं होगा। | ||
{कृषि वृद्धि दर में पशुपालन का कितना योगदान है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-75,प्रश्न-61 | {कृषि वृद्धि दर में पशुपालन का कितना योगदान है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-75,प्रश्न-61 | ||
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+7%-9% | +7%-9% | ||
-5% | -5% | ||
||सन् 2010 के अनुसार के अनुसार कृषि वृद्धि में पशुपालन को योगदान 7% से 9% तक है। | ||सन् [[2010]] के अनुसार के अनुसार कृषि वृद्धि में पशुपालन को योगदान 7% से 9% तक है। | ||
{[[धान]]की जल भराव में किस खाद को नहीं डालना चाहिए? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-42 | {[[धान]] की जल भराव में किस खाद को नहीं डालना चाहिए? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-42 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अमोनियम क्लोराइड | -अमोनियम क्लोराइड | ||
+यूरिया | +[[यूरिया]] | ||
-सोडियम नाइट्रेट | -सोडियम नाइट्रेट | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[धान]]की जल भराव की स्थिति में यूरिया खाद नहीं डालना चाहिए क्योंकि यूरिया खाद लीचिंग द्वारा नीचे चली जाती है। सोडियम नाइट्रेट क्षारीय उर्वरक है। अमोनियम क्लोराइड अम्लीय प्रकृति का उर्वरक है। | ||[[धान]] की जल भराव की स्थिति में यूरिया खाद नहीं डालना चाहिए क्योंकि यूरिया खाद लीचिंग द्वारा नीचे चली जाती है। सोडियम नाइट्रेट क्षारीय उर्वरक है। अमोनियम क्लोराइड अम्लीय प्रकृति का उर्वरक है। | ||
{वानस्पतिक रूप से अनन्नास का फल है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-101 | {वानस्पतिक रूप से अनन्नास का फल है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-101 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -पोम | ||
-बेरी | -बेरी | ||
-ब्लूस्टार | -ब्लूस्टार | ||
+सोरोसिस | +सोरोसिस | ||
||पोम-सेब, बेरी-बेल, ब्लूस्टार-अनार, सोरोसिस- अनन्नास। | |||
{आलू के मोजैल रोग का कारण है | {आलू के मोजैल रोग का क्या कारण है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-33,प्रश्न-37 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+विषाणु | +[[विषाणु]] | ||
-फफूँदी | -फफूँदी | ||
-बैक्टीरिया | -[[बैक्टीरिया]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||आलू के ओजैक रोग | ||[[आलू]] के ओजैक रोग विषाणुओं द्वारा फैलते हैं। इस रोग में पहले पत्तियों पर नसें-सी उभरती हैं और बाद में पीली पड़ जाती हैं और आकार छोटा हो जाता है तथा रोगयुक्त पौधों में आलू भी छोटे लगते हैं। यह विषाणु प्राय: एफिड (माहू) द्वारा फैलते हैं। | ||
{ | {भूमि क्षमता वर्गीकरण के अंतर्गत वर्गीकृत मृदा में कौन-सा ग़लत है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-32 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-हरा-वर्ग I | |||
-पीला-वर्ग II | |||
-नीला-वर्ग IV | |||
+नारंगी-वर्गIII | |||
{सबसे अधिक विषैले तत्त्व प्रतिदिन किस शहर में घुलते | {सबसे अधिक विषैले तत्त्व प्रतिदिन किस शहर में घुलते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-36 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-दिल्ली | -[[दिल्ली]] | ||
-मुम्बई | -[[मुम्बई]] | ||
+कोलकाता | +[[कोलकाता]] | ||
-चेन्नई | -[[चेन्नई]] | ||
{पशु-आहार की मात्रा निर्भर करती है | {पशु-आहार की मात्रा निर्भर करती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-107 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-पशु की लम्बाई पर | -पशु की लम्बाई पर | ||
पंक्ति 90: | पंक्ति 89: | ||
-पशु की ऊँचाई पर | -पशु की ऊँचाई पर | ||
+पशु के भार पर | +पशु के भार पर | ||
{स्प्रेयर्स को प्रयोग करने | {स्प्रेयर्स को प्रयोग करने से पहले किसके द्वारा साफ़ करते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-22 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-1% क्लोरीन जल | -1% क्लोरीन जल | ||
+1% हाइड्रोक्लीन अम्ल | +1% हाइड्रोक्लीन अम्ल | ||
-1% अमोनिया अम्ल | -1% अमोनिया अम्ल | ||
-1% ब्रोमीन जल | -1% ब्रोमीन जल | ||
{मृदा में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण एजोटोबैक्टर करते हैं | {[[मृदा]] में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण एजोटोबैक्टर किस प्रक्रम के द्वारा करते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-102 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सहजीवी | -सहजीवी | ||
+असहजीवी | +असहजीवी | ||
-उपर्युक्त दोनों | -उपर्युक्त दोनों | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||राइजोबियम बैक्टीरिया सहजीवी प्रक्रम द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं, जबकि | ||राइजोबियम बैक्टीरिया सहजीवी प्रक्रम द्वारा [[नाइट्रोजन]] का स्थिरीकरण करते हैं, जबकि एजोटोबैक्टर असहजीवी प्रक्रम द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करते हैं। | ||
{ग्लाइकोलिसिस की क्रिया केवल होती है | {ग्लाइकोलिसिस की क्रिया केवल होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-32 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-ऑक्सीजन की उपस्थिति में | -[[ऑक्सीजन]] की उपस्थिति में | ||
-ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में | -ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में | ||
+उपर्युक्त दोनों | +उपर्युक्त दोनों | ||
-उपर्युक्त में से कोई नहीं | -उपर्युक्त में से कोई नहीं | ||
||ग्लाइकोलिसिस की क्रिया ऑक्सीजन की उपस्थिति एवं ऑक्सीजन की अनुपस्थिति दोनों ही दशाओं में होती है। ऑक्सीजन की उपस्थिति में अन्तिम उत्पाद कार्बन डाइ-ऑक्साइड तथा पानी होते हैं। और इसकी अनुपस्थिति में इथाइल ऐल्कोहॉल तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड होते हैं। | ||ग्लाइकोलिसिस की क्रिया [[ऑक्सीजन]] की उपस्थिति एवं ऑक्सीजन की अनुपस्थिति दोनों ही दशाओं में होती है। ऑक्सीजन की उपस्थिति में अन्तिम उत्पाद कार्बन डाइ-ऑक्साइड तथा पानी होते हैं। और इसकी अनुपस्थिति में इथाइल ऐल्कोहॉल तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड होते हैं। | ||
{निम्न | {निम्न फ़सल चक्रों में कौन-सा फ़सल मृदा-पोषण के स्तर को बढ़ाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-43 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-ज्वार-गेहूँ | -[[ज्वार]]-[[गेहूँ]] | ||
+धान-गेहूँ | +[[धान]]-[[गेहूँ]] | ||
-बाजरा-गेहूँ | -[[बाजरा]]-गेहूँ | ||
-मूँगफली-गेहूँ | -[[मूँगफली]]-गेहूँ | ||
||मूँगफली और गेहूँ | ||[[मूँगफली]] और [[गेहूँ]] फ़सल चक्र मृदा-पोषण स्तर को बढ़ता है। क्योंकि मूँगफली [[वायुमंडल]] से [[नाइट्रोजन]] को ज़मीन के अंदर स्थिर करती है जिसे गेहूँ की बुआई करने से गेहूँ उस नाइट्रोजन का उपयोग कर लेता है। | ||
{[[धान]]के आधारीय बीज के लिए पृथक्करण दूरी है | {[[धान]] के आधारीय बीज के लिए पृथक्करण दूरी कितनी होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-102 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-30 मीटर | -30 मीटर | ||
पंक्ति 138: | पंक्ति 128: | ||
+3 मीटर | +3 मीटर | ||
{फाइटोफ्थोरा इन्फेस्टैन्स के कारण होने वाली बीमारी को | {फाइटोफ्थोरा इन्फेस्टैन्स के कारण होने वाली बीमारी को चिह्नित कीजिये। (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-33,प्रश्न-38 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-आलू का अगेती झुलसा | -आलू का अगेती झुलसा | ||
+आलू का पछेती झुलसा | +[[आलू]] का पछेती झुलसा | ||
-बाजरे का अरगट | -[[बाजरा|बाजरे]] का अरगट | ||
-अरहर का उखटा | -[[अरहर]] का उखटा | ||
||आलू का पछेती झुलसा रोग फाइटोफ्थोरा इन्फेस्टैन्स नामक फंगस के कारण लगता है। इस रोग में पत्तियों की नसों, तनों और डण्ठलों पर भूरे रंग के धब्बे उभर आते हैं जो बाद में काले हो जाते हैं और पौधे का पूरा भाग सड़-गल जाते है। रोकथाम में देरी होने पर आलू के कन्द भी गलने लगते है। | ||[[आलू]] का पछेती झुलसा रोग फाइटोफ्थोरा इन्फेस्टैन्स नामक फंगस के कारण लगता है। इस रोग में पत्तियों की नसों, तनों और डण्ठलों पर भूरे रंग के धब्बे उभर आते हैं जो बाद में काले हो जाते हैं और पौधे का पूरा भाग सड़-गल जाते है। रोकथाम में देरी होने पर आलू के कन्द भी गलने लगते है। | ||
{ढाल के विपरीत मृदा कटाव को रोकने वाली तथा मृदा कटाव (मृदा क्षरण) को बढ़ाने वाली | {ढाल के विपरीत मृदा कटाव को रोकने वाली तथा मृदा कटाव (मृदा क्षरण) को बढ़ाने वाली फ़सलों की पट्टियों में खेती करना क्या कहलाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-33 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-कंजरवेशन क्रॉपिंग | -कंजरवेशन क्रॉपिंग | ||
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-ले फार्मिंग | -ले फार्मिंग | ||
+कन्टूर स्ट्रिप क्रॉपिग | +कन्टूर स्ट्रिप क्रॉपिग | ||
||ढाल के विपरीत मृदा | ||ढाल के विपरीत मृदा कटाव को रोकने वाली तथा बढ़ाने वाली फ़सलों की पट्टियों में खेती करना 'कन्टूर स्थिप क्रॉपिंग' कहलाती है। | ||
{भारत में यूरो-2 कोर्ट के आदेशानुसार कब लागू हुआ? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-37 | {[[भारत]] में यूरो-2 कोर्ट के आदेशानुसार कब लागू हुआ? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-37 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अप्रैल, 2000 में | -[[अप्रैल]], [[2000]] में | ||
-अप्रैल, 2001 में | -अप्रैल, [[2001]] में | ||
-अप्रैल, 2002 में | -अप्रैल, [[2002]] में | ||
+अप्रैल, 2003 में | +[[अप्रैल]], [[2003]] में | ||
{पौधे का भार कम हो जाता है | {पौधे का भार किस क्रिया में कम हो जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-108 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-प्रकाश-संश्लेषण | -प्रकाश-संश्लेषण | ||
-उत्स्वेदन | -उत्स्वेदन | ||
-श्वसन | -श्वसन | ||
+उपर्युक्त सभी | +उपर्युक्त सभी | ||
{सायनोगैस पम्प है | {सायनोगैस पम्प क्या है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-23 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-डस्टर | -डस्टर | ||
पंक्ति 177: | पंक्ति 167: | ||
-इमल्सीफायर | -इमल्सीफायर | ||
{आयरन पायराइट्स का रासायनिक सूत्र है | {आयरन पायराइट्स का रासायनिक सूत्र क्या है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-103 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -FeSO<sub>4</sub> | ||
-FeS | -FeS | ||
+FeSO | +FeSO | ||
- | -Fe<sub>2</sub> (SO<sub>4</sub>)<sub>3</sub> | ||
{किस अमीनों एसिड में सल्फर पाया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-33 | {किस अमीनों एसिड में [[सल्फर]] पाया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-33 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+सिस्टीन | +सिस्टीन | ||
पंक्ति 190: | पंक्ति 180: | ||
-आईसोलूसिन | -आईसोलूसिन | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||सल्फर का अवशोषक मृदा से | ||[[सल्फर]] का अवशोषक मृदा से सल्फेट आयनों के रूप में होता है। यह सिस्टीन, सिस्टाइन तथा मेथियोनाइन जैसे सल्फरयुक्त अमीनो अम्ल के निर्माण में भाग लेता है। इसके अतिरिक्त सल्फर युक्त विटामिन, जैसे बायोटीन, थायमिन तथा सह-एन्जाइम के संश्लेषण में सल्फर की जरूरत होती है। | ||
{बूँद सिंचाई किन क्षेत्रों में लाभदायक है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-44 | {बूँद सिंचाई किन क्षेत्रों में लाभदायक होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-44 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +सूखे क्षेत्र | ||
-नमी क्षेत्र | -नमी क्षेत्र | ||
-उच्च वर्षा क्षेत्र | -उच्च वर्षा क्षेत्र | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||बूँद | ||बूँद सिंचाई सूखा क्षेत्रों में अधिक लाभकारी होती है। साथ-ही-साथ ऊँचे नीचे स्थानों पर भी यह विधि लाभकारी होती है। इस विधि के द्वारा फ़सलों की जड़ में [[पानी]] दिया जाता है, जिससे पानी की हानि बहुत कम होती है। इसमें 50-70% जल की बचत होती है। | ||
{पपीते की गाइनोडायोसिस प्रजाति से उत्पन्न होते | {[[पपीता|पपीते]] की गाइनोडायोसिस प्रजाति से उत्पन्न होते हैं- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-103 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-केवल नर पौधे | -केवल नर पौधे | ||
-केवल मादा पौधे | -केवल मादा पौधे | ||
+मादा और | +मादा और उभयलिंगी पौधे | ||
-नर और उभयलिंगी पौधे | -नर और उभयलिंगी पौधे | ||
{गेरुई रोग होता है | {गेरुई रोग किसके द्वारा होता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-33,प्रश्न-39 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-बीज | -बीज | ||
-बैक्टीरिया | -[[बैक्टीरिया]] | ||
+फफूँदी | +फफूँदी | ||
-विषाणु | -[[विषाणु]] | ||
{भारतीय सब्जी | {[[भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान]] कहाँ स्थित है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-34 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+वाराणसी | +[[वाराणसी]] | ||
-कोच्चि | -[[कोच्चि]] | ||
-मुम्बई | -[[मुम्बई]] | ||
- | -[[जयपुर]] | ||
{सागौन पाया जाता है | {सागौन किस प्रकार के वनों में पाया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-38 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+भूमध्यरेखीय | +भूमध्यरेखीय वन | ||
-मानसूनी | -मानसूनी वन | ||
-ज्वारीय | -ज्वारीय वन | ||
-शुष्क | -शुष्क वन | ||
{'National Reserch Centre for Integrated Pest Management' (NRC-IPM) कहाँ | {(नेशनल रिसर्च सेन्टर फ़ोर इंटिग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट 'National Reserch Centre for Integrated Pest Management' (NRC-IPM) कहाँ स्थित है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-109 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-दिल्ली | -[[दिल्ली ]] | ||
-गुड़गाँव | -[[गुड़गाँव]] | ||
+ | +[[फ़रीदाबाद]] | ||
-बंगलुरु | -[[बंगलूर|बंगलुरु]] | ||
{आयरिश अकाल का मुख्य कारण था | {आयरिश अकाल का मुख्य कारण क्या था? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-24 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+पछेती ब्लाइट रोग | +पछेती ब्लाइट रोग | ||
पंक्ति 253: | पंक्ति 234: | ||
-ब्लास्ट रोग | -ब्लास्ट रोग | ||
-इयर कोकेल रोग | -इयर कोकेल रोग | ||
||आयरिस अकाल का मुख्य कारण लेट ब्लाइट ऑफ़ पैडी था, जिससे पश्चिमी बंगाल में [[धान]]की सारी | ||आयरिस अकाल का मुख्य कारण लेट ब्लाइट ऑफ़ पैडी था, जिससे [[पश्चिम बंगाल|पश्चिमी बंगाल]] में [[धान]] की सारी फ़सल नष्ट हो गयी थी। | ||
{रॉक फास्फेट का प्रयोग करते हैं | {रॉक फास्फेट का प्रयोग किस प्रकार की [[मिट्टी]] में करते हैं? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-104 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-लवणीय | -लवणीय | ||
-क्षारीय | -[[क्षारीय मिट्टी|क्षारीय]] | ||
+अम्लीय | +अम्लीय | ||
-उदासीन | -उदासीन | ||
||रॉक फॉस्फेट एक क्षारीय उर्वरक है जिसके कारण इसका प्रयोग अम्लीय मृदा में किया जाता है। | ||रॉक फॉस्फेट एक क्षारीय उर्वरक है जिसके कारण इसका प्रयोग अम्लीय मृदा में किया जाता है। | ||
पंक्ति 516: | पंक्ति 497: | ||
-वसंतकालीन ऋतु की | -वसंतकालीन ऋतु की | ||
-वर्षाकालीन ऋतु की | -वर्षाकालीन ऋतु की | ||
||आलू+ गन्ना की | ||आलू+ गन्ना की सहफ़सली पद्धति को सिनरजेनिक पद्धति कहते हैं। इसमें गन्ना और आलू का उत्पादन शुद्ध फ़सल की तुलना में अधिक होता है। इसे सर्दी के मौसम में उगाया जाता है। | ||
{भारत में गेहूँ का जीन बैंक कहाँ स्थित है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-48 | {भारत में गेहूँ का जीन बैंक कहाँ स्थित है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-48 | ||
पंक्ति 560: | पंक्ति 541: | ||
{'मलिका (Malika-'K-75') किस | {'मलिका (Malika-'K-75') किस फ़सल की प्रजाति है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-70,प्रश्न-113 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-चना | -चना | ||
पंक्ति 589: | पंक्ति 570: | ||
-मक्का के लिए | -मक्का के लिए | ||
-चना के लिए | -चना के लिए | ||
||हरित क्रांति की शुरुआत भारत में वर्ष 1965-1966 में हुई। भारत में हरित क्रांति का सबसे अधिक लाभ गेहूँ की | ||हरित क्रांति की शुरुआत भारत में वर्ष 1965-1966 में हुई। भारत में हरित क्रांति का सबसे अधिक लाभ गेहूँ की फ़सल को हुआ। हरित क्रांति के जन्मदाता N.E. वोरलॉग थे, परंतु भारत में हरित क्रांति के जन्म दाता एम.एस. स्वामीनाथन हैं। | ||
{प्रति हैक्टेयर आलू के लिए बीज दर है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-68 | {प्रति हैक्टेयर आलू के लिए बीज दर है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-68 | ||
पंक्ति 629: | पंक्ति 610: | ||
-भूरी सरसों की | -भूरी सरसों की | ||
{धान की | {धान की फ़सल में हिस्सा की रोकथाम के लिए इण्डोसल्फान 35 ई.सी. की कितने लीटर मात्रा को पानी में मिलाकर छिड़काव किया जाना चाहिए? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-48,प्रश्न-41 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+1लीटर | +1लीटर | ||
पंक्ति 740: | पंक्ति 721: | ||
-ग्रेमिनेसी | -ग्रेमिनेसी | ||
{विपणन योग्य | {विपणन योग्य फ़सल उपज और वाष्पीकरण में उपयोग हुए जल के अनुपात को कहते हैं- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-41 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+जल उपयोग क्षमता | +जल उपयोग क्षमता | ||
पंक्ति 746: | पंक्ति 727: | ||
-क्षेत्र जल उपयोग क्षमता | -क्षेत्र जल उपयोग क्षमता | ||
-आर्थिक सिंचाई क्षमता | -आर्थिक सिंचाई क्षमता | ||
||विपणन योग्य | ||विपणन योग्य फ़सल और वाष्पीकरण में उपयोग हुए जल के अनुपात को जल उपयोग क्षमता कहते हैं | ||
W.E.=Y-E | W.E.=Y-E | ||
13:02, 31 मार्च 2017 का अवतरण
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