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'''प्रेम अदीब''' ([[अंग्रेज़ी]] ''Prem Adib'' जन्म- [[10 अगस्त]] 1916; मृत्यु- 1959) [[भारतीय सिनेमा]] के अभिनेता थे। अदिब को राम के रूप में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है। सीता बनीं शोभना समर्थ के साथ परदे पर राम की भूमिका में नज़र आते थे। दिल छू लेने वाले अभिनय ने इन्हें न सिर्फ फ़िल्म जगत में एक विशेष स्थान दिलाया बल्कि सदा के लिए अमर कर दिया।


==परिचय==
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प्रेम अदीब का जन्म [[10 अगस्त]], [[1916]]  हुआ था। कश्मीरी मूल के प्रेम अदीब के दादा-परदादा अवध के नवाब वाजिद अली शाह के ज़माने में कश्मीर छोड़कर अवध के शहर फ़ैज़ाबाद (अब [[उत्तरप्रदेश]]) में आ बसे थे। उनके दादा का नाम देवीप्रसाद दर था। प्रेम अदीब के पिता रामप्रसाद दर फ़ैज़ाबाद से सुल्तानपुर चले आए थे। [[सुल्तानपुर]] में ही इनका जन्म हुआ था। प्रेम अदीब का झुकाव बचपन से ही फ़िल्मों की तरफ था।
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==निधन==
प्रतिमा अदीब के अनुसार फ़िल्म ‘रामविवाह’ (1949) के निर्माण के दौरान एक कार दुर्घटना में प्रेम अदीब के गुर्दों को नुक़सान पहुंचा था, जिसका उनके रक्तचाप पर बुरा असर पड़ा था। [[25 दिसम्बर]], [[1959]] की शाम को प्रतिमा अदीब की बड़ी बहन के जन्मदिन की पार्टी में थे कि उनका रक्तचाप अचानक ही बढ़ा और ब्रेन-हैम्रेज से उनकी मृत्यु हो गयी। उस वक्त उनकी उम्र महज़ 43 साल थी। अंगुलीमाल उनकी आख़िरी फ़िल्म थी जो उनके निधन के बाद प्रदर्शित हुई थी।
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प्रेम अदीब का परिचय
सीता बनीं शोभना समर्थ के साथ परदे पर राम की भूमिका में नज़र आने वाले अभिनेता थे प्रेम अदीब, जिनका नाम उस दौर के फ़िल्म प्रेमियों के ज़हन में आज भी ताज़ा है। [[1930]] के दशक के मध्य में सामाजिक फ़िल्मों से अपना करियर शुरू करने वाले अभिनेता प्रेम अदीब 1940 के दशक में धार्मिक फ़िल्मों का एक मशहूर नाम बन चुके थे।
== परिचय ==
प्रेम अदीब का जन्म  [[10 अगस्त]], [[1916]] को [[सुल्तानपुर]] में  हुआ था। कश्मीरी मूल के प्रेम अदीब के दादा-परदादा अवध के नवाब वाजिद अली शाह के ज़माने में [[कश्मीर]] छोड़कर अवध के शहर फ़ैज़ाबाद (अब [[उत्तरप्रदेश]]) में आ बसे थे। उनके दादा का नाम देवीप्रसाद दर था। प्रेम अदीब के [[पिता]] रामप्रसाद दर फ़ैज़ाबाद से [[सुल्तानपुर]] चले आए थे यही पर प्रेम अदीब का जन्म हुआ था। इनका नाम ‘शिवप्रसाद’ रखा गया। इनके पिता वकालत करते थे। प्रेम अदीब की प्रारंभिक शिक्षा सुल्तानपुर व [[जोधपुर]] में हुई, लेकिन इनकी रूचि [[अभिनय]] करने की थी। अदीब को उनके असली नाम शिवप्रसाद की जगह फ़िल्मी नाम ‘प्रेम’, मोहन सिन्हा ने ही दिया था।
प्रेम अदीब का झुकाव बचपन से ही फ़िल्मों की तरफ था। बोलते सिनेमा की शुरूआत हो चुकी थी। [[मुंबई]] के साथ-साथ [[कोलकाता]] और [[लाहौर]] भी फ़िल्म-निर्माण का केन्द्र बनकर उभर रहे थे। एक रोज़ प्रेम अदीब ने घर छोड़ा और फ़िल्मों में काम करने की तमन्ना लिए कोलकाता चले गए। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद काम नहीं मिला तो लाहौर पहुंचे लेकिन वहाँ भी कामयाबी नहीं मिली तो आख़िर में वो मुंबई चले आए।
[[26 फरवरी]], [[1943]] को प्रेम अदीब की शादी हुई। इनकी पत्नी का नाम प्रतिमा अदीब था। दामिनी और दामाद शैलेन सोहोनी के साथ रहती हैं। शैलेन सोहोनी विज्ञापन जगत का एक जाना-माना नाम हैं। 
== उपाधि ==
प्रेम अदीब की पत्नी प्रतिमा अदीब के अनुसार, उर्दू के ‘अदब’ लफ़्ज़ से बनी ‘अदीब’ की उपाधि से नवाब वाजिद अली शाह द्वारा नवाज़े जाने के बाद ‘दर’ परिवार को ‘अदीब’ के नाम से जाना जाने लगा था।
== महात्मा गांधी द्वारा देखी गयी फ़िल्म ==
[[1943]] में किशन से विवाहोपरांत इनकी सबसे लोकप्रिय फिल्म ‘राम राज्य’ बनी जिसने देश भर में दर्शकों का दिल जीत लिया और इन्हें विशेष ख्याति दिलाई। महात्मा गांधी ने भी यह फिल्म देखी। इस फिल्म ने 101 सप्ताह से भी अधिक चलने का कीर्तिमान हासिल किया।
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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प्रेम अदीब [[1930]] के दशक के मध्य में सामाजिक फ़िल्मों से अपना करियर शुरू करने वाले अभिनेता थे। 1940 के दशक में धार्मिक फ़िल्मों का एक मशहूर नाम बन चुके थे। क़रीब 25 सालों में कुल 67 फ़िल्मों में अभिनय किया था।
प्रेम अदीब ने फ़िल्म ‘रोमांटिक इंडिया’ के बाद प्रेम अदीब ने ‘दरियानी प्रोडक्शंस’ की ‘फ़िदा-ए-वतन’, ‘प्रतिमा’ (दोनों 1936) और ‘इंसाफ़’(1937), ‘मिनर्वा मूवीटोन’ की ‘ख़ान बहादुर’ (1937) और ‘तलाक़’ (1938) जैसी फ़िल्मों में भी अभिनय किया। ‘जनरल फ़िल्म्स’ की साल 1938 में प्रदर्शित हुई फ़िल्म ‘इंडस्ट्रियल इंडिया’ में प्रेम अदीब पहली बार हीरो बने। इस फ़िल्म के निर्देशक भी मोहन सिन्हा ही थे और नायिका थीं ‘शोभना समर्थ’।‘विश्वकला मूवीटोन’ की ‘घूंघटवाली’ (1938), ‘सागर मूवीटोन’ की ‘भोलेभाले’ और ‘साधना’ (1939), ‘हिंदुस्तान सिनेटोन’ की ‘सौभाग्य’ (1940) जैसी फ़िल्मों के साथ प्रेम अदीब के करियर का ग्राफ लगातार ऊपर उठता चला गया।
1941 में प्रदर्शित हुई फ़िल्म ‘दर्शन’ के साथ ही प्रेम अदीब की एंट्री ‘प्रकाश पिक्चर्स’ में हुई। संगीतकार नौशाद के करियर की ये शुरूआती फ़िल्मों में से थी और चूंकि वो भी अवध (लखनऊ) के रहने वाले थे इसलिए जल्द ही प्रेम अदीब और नौशाद बहुत अच्छे दोस्त बन गए। साल 1942 में बनी ‘प्रकाश पिक्चर्स’ की ‘भरत मिलाप’ ने प्रेम अदीब को एक नयी पहचान दी। साल 1942 में ही प्रेम अदीब की ‘प्रकाश पिक्चर्स’ के बैनर में बनीं ‘चूड़ियां’ और ‘स्टेशन मास्टर’ और ‘हिंदुस्तान सिनेटोन’ की ‘स्वामीनाथ’ प्रदर्शित हुईं। और साल 1943 में ‘प्रकाश पिक्चर्स’ के बैनर में बनी फ़िल्म ‘रामराज्य’ का नाम तो हिंदी सिनेमा के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हुआ।     
26 फरवरी 1943 को प्रेम अदीब की शादी हुई। श्रीमती प्रतिमा अदीब के अनुसार उसी साल अगस्त माह में विजय भट्ट ने जुहू-मुंबई के बिड़ला हाऊस में फ़िल्म ‘रामराज्य’ का एक शो रखा। महात्मा गांधी उन दिनों मुंबई में ही थे। विजय भट्ट के आग्रह पर उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रम में से 10 मिनट के लिए उस शो के दौरान मौजूद रहने पर हामी भर दी थी। 10 मिनट गुज़र जाने पर अपने सेक्रेट्री के याद दिलाने के बावजूद उन्होंने बाक़ी कार्यक्रम कैंसिल किए और पूरी फ़िल्म देखी थी। 
== फ़िल्मों की सूची ==
प्रेम अदीब ने आगे चलकर ‘भाग्यलक्ष्मी’, ‘चांद’, ‘पुलिस’ (सभी 1944), ‘आम्रपाली’, ‘विक्रमादित्य’ (दोनों 1945), ‘महारानी मीनलदेवी’, ‘सुभद्रा’, ‘उर्वशी’, (1946), ‘चन्द्रहास’, ‘गीत गोविंद’, ‘क़सम’, ‘मुलाक़ात’, ‘सती तोरल’, ‘वीरांगना’ (1947), ‘एक्ट्रेस’, ‘अनोखी अदा’, ‘रामबाण’ (1948), ‘भोली’, ‘हमारी मंज़िल’, ‘राम विवाह’ (1949), ‘भाई बहन’, ‘प्रीत के गीत’ (1950), ‘भोला शंकर’, ‘लव कुश’ (1951), ‘इंद्रासन’, ‘मोरध्वज’, ‘राजा हरिश्चन्द्र’ (1952), ‘रामी धोबन’ (1953), ‘हनुमान जन्म’, ‘महापूजा’, ‘रामायण’, शहीदे आज़म भगतसिंह’ (1954), ‘भागवत महिमा’, ‘गंगा मैया’, ‘प्रभु की माया’, श्री गणेश विवाह’ (1955), ‘दिल्ली दरबार’, ‘राजरानी मीरा’, ‘रामनवमी’ (1956), ‘आधी रोटी’, चंडीपूजा’, ‘कृष्ण सुदामा’, ‘नीलमणि’, ‘राम हनुमान युद्ध’ (1957), ‘गोपीचंद’, ‘रामभक्त विभीषण’, ‘तीसरी गली’ (1958), ‘सम्राट पृथ्वीराज चौहान’ (1959), ‘भक्तराज’ और ‘अंगुलीमाल’ (दोनों 1960) जैसी फ़िल्मों में काम किया। ‘प्रेम अदीब प्रोडक्शंस’ के बैनर में उन्होंने दो फ़िल्में ‘देहाती’ (1947) और ‘रामविवाह’ (1949) भी बनाई थीं, लेकिन फ़िल्म ‘देहाती’ में उन्होंने अभिनय नहीं किया था। ‘तलाक़’, ‘इंडस्ट्रियल इंडिया’, ‘भोलेभाले’, ‘साधना’, ‘सौभाग्य’, ‘दर्शन’, ‘चूड़ियां’,  ‘स्टेशन मास्टर’ और ‘पुलिस’ जैसी फ़िल्मों में उन्होंने कुछ गीत भी गाए थे।
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13:18, 11 जून 2017 का अवतरण

दीपिका3
[[चित्र:|प्रेम अदीब|200px|center]]
पूरा नाम प्रेम अदीब
जन्म 10 अगस्त 1916
मृत्यु 1959
अभिभावक रामप्रसाद दर
पति/पत्नी प्रतिमा अदीब
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र अभिनेता
मुख्य फ़िल्में ‘वीरांगना’ (1947), ‘एक्ट्रेस’, ‘अनोखी अदा’, ‘रामबाण’ (1948), ‘भोली’, ‘हमारी मंज़िल’, ‘राम विवाह’ (1949), ‘भाई बहन’, ‘प्रीत के गीत’ (1950) आदि।
अद्यतन‎ 05:44, 11 जून 2017 (IST)

प्रेम अदीब (अंग्रेज़ी Prem Adib जन्म- 10 अगस्त 1916; मृत्यु- 1959) भारतीय सिनेमा के अभिनेता थे। अदिब को राम के रूप में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है। सीता बनीं शोभना समर्थ के साथ परदे पर राम की भूमिका में नज़र आते थे। दिल छू लेने वाले अभिनय ने इन्हें न सिर्फ फ़िल्म जगत में एक विशेष स्थान दिलाया बल्कि सदा के लिए अमर कर दिया।

परिचय

प्रेम अदीब का जन्म 10 अगस्त, 1916 हुआ था। कश्मीरी मूल के प्रेम अदीब के दादा-परदादा अवध के नवाब वाजिद अली शाह के ज़माने में कश्मीर छोड़कर अवध के शहर फ़ैज़ाबाद (अब उत्तरप्रदेश) में आ बसे थे। उनके दादा का नाम देवीप्रसाद दर था। प्रेम अदीब के पिता रामप्रसाद दर फ़ैज़ाबाद से सुल्तानपुर चले आए थे। सुल्तानपुर में ही इनका जन्म हुआ था। प्रेम अदीब का झुकाव बचपन से ही फ़िल्मों की तरफ था।

फ़िल्मी सफ़र

भारत की "पारंपरिक मूल्यों" में शामिल इन फ़िल्मों में प्रेम अदिब और शोभना समर्थ "आदर्श राम और सीता" का चित्रण करते थे। आदीब और समर्थ ने अपनी जोड़ी को राम और सीता के रूप में जारी रखा, और एक रामायण आधारित फ़िल्म रामबाण (1948) में एक साथ अभिनय किया।

निधन

प्रतिमा अदीब के अनुसार फ़िल्म ‘रामविवाह’ (1949) के निर्माण के दौरान एक कार दुर्घटना में प्रेम अदीब के गुर्दों को नुक़सान पहुंचा था, जिसका उनके रक्तचाप पर बुरा असर पड़ा था। 25 दिसम्बर, 1959 की शाम को प्रतिमा अदीब की बड़ी बहन के जन्मदिन की पार्टी में थे कि उनका रक्तचाप अचानक ही बढ़ा और ब्रेन-हैम्रेज से उनकी मृत्यु हो गयी। उस वक्त उनकी उम्र महज़ 43 साल थी। अंगुलीमाल उनकी आख़िरी फ़िल्म थी जो उनके निधन के बाद प्रदर्शित हुई थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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दीपिका3
[[चित्र:|प्रेम अदीब|200px|center]]
पूरा नाम प्रेम अदीब
जन्म 10 अगस्त 1916
मृत्यु 1959
अभिभावक रामप्रसाद दर
पति/पत्नी प्रतिमा अदीब
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र अभिनेता
मुख्य फ़िल्में ‘वीरांगना’ (1947), ‘एक्ट्रेस’, ‘अनोखी अदा’, ‘रामबाण’ (1948), ‘भोली’, ‘हमारी मंज़िल’, ‘राम विवाह’ (1949), ‘भाई बहन’, ‘प्रीत के गीत’ (1950) आदि।
अद्यतन‎ 05:44, 11 जून 2017 (IST)

प्रेम अदीब का परिचय सीता बनीं शोभना समर्थ के साथ परदे पर राम की भूमिका में नज़र आने वाले अभिनेता थे प्रेम अदीब, जिनका नाम उस दौर के फ़िल्म प्रेमियों के ज़हन में आज भी ताज़ा है। 1930 के दशक के मध्य में सामाजिक फ़िल्मों से अपना करियर शुरू करने वाले अभिनेता प्रेम अदीब 1940 के दशक में धार्मिक फ़िल्मों का एक मशहूर नाम बन चुके थे।

परिचय

प्रेम अदीब का जन्म 10 अगस्त, 1916 को सुल्तानपुर में हुआ था। कश्मीरी मूल के प्रेम अदीब के दादा-परदादा अवध के नवाब वाजिद अली शाह के ज़माने में कश्मीर छोड़कर अवध के शहर फ़ैज़ाबाद (अब उत्तरप्रदेश) में आ बसे थे। उनके दादा का नाम देवीप्रसाद दर था। प्रेम अदीब के पिता रामप्रसाद दर फ़ैज़ाबाद से सुल्तानपुर चले आए थे यही पर प्रेम अदीब का जन्म हुआ था। इनका नाम ‘शिवप्रसाद’ रखा गया। इनके पिता वकालत करते थे। प्रेम अदीब की प्रारंभिक शिक्षा सुल्तानपुर व जोधपुर में हुई, लेकिन इनकी रूचि अभिनय करने की थी। अदीब को उनके असली नाम शिवप्रसाद की जगह फ़िल्मी नाम ‘प्रेम’, मोहन सिन्हा ने ही दिया था।


प्रेम अदीब का झुकाव बचपन से ही फ़िल्मों की तरफ था। बोलते सिनेमा की शुरूआत हो चुकी थी। मुंबई के साथ-साथ कोलकाता और लाहौर भी फ़िल्म-निर्माण का केन्द्र बनकर उभर रहे थे। एक रोज़ प्रेम अदीब ने घर छोड़ा और फ़िल्मों में काम करने की तमन्ना लिए कोलकाता चले गए। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद काम नहीं मिला तो लाहौर पहुंचे लेकिन वहाँ भी कामयाबी नहीं मिली तो आख़िर में वो मुंबई चले आए।

26 फरवरी, 1943 को प्रेम अदीब की शादी हुई। इनकी पत्नी का नाम प्रतिमा अदीब था। दामिनी और दामाद शैलेन सोहोनी के साथ रहती हैं। शैलेन सोहोनी विज्ञापन जगत का एक जाना-माना नाम हैं।

उपाधि

प्रेम अदीब की पत्नी प्रतिमा अदीब के अनुसार, उर्दू के ‘अदब’ लफ़्ज़ से बनी ‘अदीब’ की उपाधि से नवाब वाजिद अली शाह द्वारा नवाज़े जाने के बाद ‘दर’ परिवार को ‘अदीब’ के नाम से जाना जाने लगा था।

महात्मा गांधी द्वारा देखी गयी फ़िल्म

1943 में किशन से विवाहोपरांत इनकी सबसे लोकप्रिय फिल्म ‘राम राज्य’ बनी जिसने देश भर में दर्शकों का दिल जीत लिया और इन्हें विशेष ख्याति दिलाई। महात्मा गांधी ने भी यह फिल्म देखी। इस फिल्म ने 101 सप्ताह से भी अधिक चलने का कीर्तिमान हासिल किया।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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दीपिका3
[[चित्र:|प्रेम अदीब|200px|center]]
पूरा नाम प्रेम अदीब
जन्म 10 अगस्त 1916
मृत्यु 1959
अभिभावक रामप्रसाद दर
पति/पत्नी प्रतिमा अदीब
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र अभिनेता
मुख्य फ़िल्में ‘वीरांगना’ (1947), ‘एक्ट्रेस’, ‘अनोखी अदा’, ‘रामबाण’ (1948), ‘भोली’, ‘हमारी मंज़िल’, ‘राम विवाह’ (1949), ‘भाई बहन’, ‘प्रीत के गीत’ (1950) आदि।
अद्यतन‎ 05:44, 11 जून 2017 (IST)

प्रेम अदीब 1930 के दशक के मध्य में सामाजिक फ़िल्मों से अपना करियर शुरू करने वाले अभिनेता थे। 1940 के दशक में धार्मिक फ़िल्मों का एक मशहूर नाम बन चुके थे। क़रीब 25 सालों में कुल 67 फ़िल्मों में अभिनय किया था।

प्रेम अदीब ने फ़िल्म ‘रोमांटिक इंडिया’ के बाद प्रेम अदीब ने ‘दरियानी प्रोडक्शंस’ की ‘फ़िदा-ए-वतन’, ‘प्रतिमा’ (दोनों 1936) और ‘इंसाफ़’(1937), ‘मिनर्वा मूवीटोन’ की ‘ख़ान बहादुर’ (1937) और ‘तलाक़’ (1938) जैसी फ़िल्मों में भी अभिनय किया। ‘जनरल फ़िल्म्स’ की साल 1938 में प्रदर्शित हुई फ़िल्म ‘इंडस्ट्रियल इंडिया’ में प्रेम अदीब पहली बार हीरो बने। इस फ़िल्म के निर्देशक भी मोहन सिन्हा ही थे और नायिका थीं ‘शोभना समर्थ’।‘विश्वकला मूवीटोन’ की ‘घूंघटवाली’ (1938), ‘सागर मूवीटोन’ की ‘भोलेभाले’ और ‘साधना’ (1939), ‘हिंदुस्तान सिनेटोन’ की ‘सौभाग्य’ (1940) जैसी फ़िल्मों के साथ प्रेम अदीब के करियर का ग्राफ लगातार ऊपर उठता चला गया।

1941 में प्रदर्शित हुई फ़िल्म ‘दर्शन’ के साथ ही प्रेम अदीब की एंट्री ‘प्रकाश पिक्चर्स’ में हुई। संगीतकार नौशाद के करियर की ये शुरूआती फ़िल्मों में से थी और चूंकि वो भी अवध (लखनऊ) के रहने वाले थे इसलिए जल्द ही प्रेम अदीब और नौशाद बहुत अच्छे दोस्त बन गए। साल 1942 में बनी ‘प्रकाश पिक्चर्स’ की ‘भरत मिलाप’ ने प्रेम अदीब को एक नयी पहचान दी। साल 1942 में ही प्रेम अदीब की ‘प्रकाश पिक्चर्स’ के बैनर में बनीं ‘चूड़ियां’ और ‘स्टेशन मास्टर’ और ‘हिंदुस्तान सिनेटोन’ की ‘स्वामीनाथ’ प्रदर्शित हुईं। और साल 1943 में ‘प्रकाश पिक्चर्स’ के बैनर में बनी फ़िल्म ‘रामराज्य’ का नाम तो हिंदी सिनेमा के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हुआ।

26 फरवरी 1943 को प्रेम अदीब की शादी हुई। श्रीमती प्रतिमा अदीब के अनुसार उसी साल अगस्त माह में विजय भट्ट ने जुहू-मुंबई के बिड़ला हाऊस में फ़िल्म ‘रामराज्य’ का एक शो रखा। महात्मा गांधी उन दिनों मुंबई में ही थे। विजय भट्ट के आग्रह पर उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रम में से 10 मिनट के लिए उस शो के दौरान मौजूद रहने पर हामी भर दी थी। 10 मिनट गुज़र जाने पर अपने सेक्रेट्री के याद दिलाने के बावजूद उन्होंने बाक़ी कार्यक्रम कैंसिल किए और पूरी फ़िल्म देखी थी।

फ़िल्मों की सूची

प्रेम अदीब ने आगे चलकर ‘भाग्यलक्ष्मी’, ‘चांद’, ‘पुलिस’ (सभी 1944), ‘आम्रपाली’, ‘विक्रमादित्य’ (दोनों 1945), ‘महारानी मीनलदेवी’, ‘सुभद्रा’, ‘उर्वशी’, (1946), ‘चन्द्रहास’, ‘गीत गोविंद’, ‘क़सम’, ‘मुलाक़ात’, ‘सती तोरल’, ‘वीरांगना’ (1947), ‘एक्ट्रेस’, ‘अनोखी अदा’, ‘रामबाण’ (1948), ‘भोली’, ‘हमारी मंज़िल’, ‘राम विवाह’ (1949), ‘भाई बहन’, ‘प्रीत के गीत’ (1950), ‘भोला शंकर’, ‘लव कुश’ (1951), ‘इंद्रासन’, ‘मोरध्वज’, ‘राजा हरिश्चन्द्र’ (1952), ‘रामी धोबन’ (1953), ‘हनुमान जन्म’, ‘महापूजा’, ‘रामायण’, शहीदे आज़म भगतसिंह’ (1954), ‘भागवत महिमा’, ‘गंगा मैया’, ‘प्रभु की माया’, श्री गणेश विवाह’ (1955), ‘दिल्ली दरबार’, ‘राजरानी मीरा’, ‘रामनवमी’ (1956), ‘आधी रोटी’, चंडीपूजा’, ‘कृष्ण सुदामा’, ‘नीलमणि’, ‘राम हनुमान युद्ध’ (1957), ‘गोपीचंद’, ‘रामभक्त विभीषण’, ‘तीसरी गली’ (1958), ‘सम्राट पृथ्वीराज चौहान’ (1959), ‘भक्तराज’ और ‘अंगुलीमाल’ (दोनों 1960) जैसी फ़िल्मों में काम किया। ‘प्रेम अदीब प्रोडक्शंस’ के बैनर में उन्होंने दो फ़िल्में ‘देहाती’ (1947) और ‘रामविवाह’ (1949) भी बनाई थीं, लेकिन फ़िल्म ‘देहाती’ में उन्होंने अभिनय नहीं किया था। ‘तलाक़’, ‘इंडस्ट्रियल इंडिया’, ‘भोलेभाले’, ‘साधना’, ‘सौभाग्य’, ‘दर्शन’, ‘चूड़ियां’, ‘स्टेशन मास्टर’ और ‘पुलिस’ जैसी फ़िल्मों में उन्होंने कुछ गीत भी गाए थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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