"बाज़ बहादुर": अवतरणों में अंतर

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'''बाज़ बहादुर''' [[मालवा]] का शासक था, जो [[अकबर]] के सेनापति [[अदहम ख़ाँ]] और पीरमुहम्मद से 1561-62 ई. में पराजित हो गया।  
'''बाज़ बहादुर''' [[मालवा]] का शासक था, जो [[अकबर]] के सेनापति [[अदहम ख़ाँ]] और पीरमुहम्मद से 1561-62 ई. में पराजित हो गया।  
*बाज़ बहादुर ने शीघ्र ही मालवा पुन: प्राप्त कर लिया और [[मुग़ल|मुग़लों]] के साथ कुछ समय तक लड़ाई जारी रखी, किन्तु अन्त में पुन: पराजित हुआ और मालवा से भगा दिया गया।  
*बाज़ बहादुर ने शीघ्र ही मालवा पुन: प्राप्त कर लिया और [[मुग़ल|मुग़लों]] के साथ कुछ समय तक लड़ाई जारी रखी, किन्तु अन्त में पुन: पराजित हुआ और मालवा से भगा दिया गया।  
*उसके कुछ समय के लिए [[मेवाड़]] के राणा के यहाँ शरण प्राप्त हुई। किन्तु [[फ़रवरी]] 1568 ई. में [[चित्तौड़]] के पतन के पश्चात उसने बादशाह अकबर को आत्म समर्पण कर दिया।  
*उसके कुछ समय के लिए [[मेवाड़]] के राणा के यहाँ शरण प्राप्त हुई। किन्तु [[फ़रवरी]] 1568 ई. में [[चित्तौड़]] के पतन के पश्चात् उसने बादशाह अकबर को आत्म समर्पण कर दिया।  
*रानी रूपमती के साथ जुड़े हुए उसके प्रेम सम्बन्ध ने [[कहानी]] का रूप ले लिया है।  
*रानी रूपमती के साथ जुड़े हुए उसके प्रेम सम्बन्ध ने [[कहानी]] का रूप ले लिया है।  
*वह सुरुचि पूर्ण व्यक्ति था और उसने मालवा की राजधानी [[मांडू]] में कुछ अच्छी इमारतें बनवाईं।  
*वह सुरुचि पूर्ण व्यक्ति था और उसने मालवा की राजधानी [[मांडू]] में कुछ अच्छी इमारतें बनवाईं।  

07:44, 23 जून 2017 के समय का अवतरण

बाज़ बहादुर मालवा का शासक था, जो अकबर के सेनापति अदहम ख़ाँ और पीरमुहम्मद से 1561-62 ई. में पराजित हो गया।

  • बाज़ बहादुर ने शीघ्र ही मालवा पुन: प्राप्त कर लिया और मुग़लों के साथ कुछ समय तक लड़ाई जारी रखी, किन्तु अन्त में पुन: पराजित हुआ और मालवा से भगा दिया गया।
  • उसके कुछ समय के लिए मेवाड़ के राणा के यहाँ शरण प्राप्त हुई। किन्तु फ़रवरी 1568 ई. में चित्तौड़ के पतन के पश्चात् उसने बादशाह अकबर को आत्म समर्पण कर दिया।
  • रानी रूपमती के साथ जुड़े हुए उसके प्रेम सम्बन्ध ने कहानी का रूप ले लिया है।
  • वह सुरुचि पूर्ण व्यक्ति था और उसने मालवा की राजधानी मांडू में कुछ अच्छी इमारतें बनवाईं।
  • इसके बाद में बादशाह अकबर की सेवा में गायक के रूप में उसने बड़ी ख्याति अर्जित की।


इन्हें भी देखें: रानी रूपमती-बाज़ बहादुर

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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