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||[[चित्र:Lala-Lajpat-Rai.jpg|right|100px|लाला लाजपत राय]]'लाला लाजपत राय' को [[भारत]] के | ||[[चित्र:Lala-Lajpat-Rai.jpg|right|100px|लाला लाजपत राय]]'लाला लाजपत राय' को [[भारत]] के महान् क्रांतिकारियों में गिना जाता है। आजीवन ब्रिटिश राजशक्ति का सामना करते हुए अपने प्राणों की परवाह न करने वाले [[लाला लाजपत राय]] 'पंजाब केसरी' भी कहे जाते हैं। ये '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' के 'गरम दल' के प्रमुख नेता तथा पूरे [[पंजाब]] के प्रतिनिधि थे। लालाजी को 'पंजाब के शेर' की उपाधि भी मिली थी। उन्होंने देशभर में स्वदेशी वस्तुएँ अपनाने के लिए अभियान चलाया। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने जब [[1905]]] में '[[बंगाल का विभाजन]]' कर दिया तो लालाजी ने [[सुरेंद्रनाथ बैनर्जी]] और [[विपिनचंद्र पाल]] जैसे आंदोलनकारियों से हाथ मिला लिया और अंग्रेज़ों के इस फैसले का जमकर विरोध किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लाला लाजपत राय]] | ||
{[[बुद्ध]] का अंकन किसके सिक्कों पर हुआ है? | {[[बुद्ध]] का अंकन किसके सिक्कों पर हुआ है? | ||
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+[[अबुलकलाम आज़ाद]] | +[[अबुलकलाम आज़ाद]] | ||
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||[[चित्र:Abul-Kalam-Azad.gif|150px|right|अबुलकलाम आज़ाद]]'अबुलकलाम आज़ाद' एक [[मुस्लिम]] विद्वान थे, जिन्होंने [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में भाग लिया। वह वरिष्ठ राजनीतिक नेता थे। उन्होंने [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता का समर्थन किया और सांप्रदायिकता पर आधारित देश के विभाजन का विरोध किया। 17 वर्ष की अल्प आयु में ही [[अबुलकलाम आज़ाद]] इस्लामी दुनिया के धर्मविज्ञान में शिक्षित हो गये थे। काहिरा के 'अल अज़हर विश्वविद्यालय' में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की, जो उनके गम्भीर और गहन ज्ञान का आधार बनी। [[परिवार]] के [[कोलकाता]] में बसने पर उन्होंने 'लिसान-उल-सिद' नामक पत्रिका प्रारम्भ की। उन पर [[उर्दू]] के दो | ||[[चित्र:Abul-Kalam-Azad.gif|150px|right|अबुलकलाम आज़ाद]]'अबुलकलाम आज़ाद' एक [[मुस्लिम]] विद्वान थे, जिन्होंने [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] में भाग लिया। वह वरिष्ठ राजनीतिक नेता थे। उन्होंने [[हिन्दू]]-[[मुस्लिम]] एकता का समर्थन किया और सांप्रदायिकता पर आधारित देश के विभाजन का विरोध किया। 17 वर्ष की अल्प आयु में ही [[अबुलकलाम आज़ाद]] इस्लामी दुनिया के धर्मविज्ञान में शिक्षित हो गये थे। काहिरा के 'अल अज़हर विश्वविद्यालय' में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की, जो उनके गम्भीर और गहन ज्ञान का आधार बनी। [[परिवार]] के [[कोलकाता]] में बसने पर उन्होंने 'लिसान-उल-सिद' नामक पत्रिका प्रारम्भ की। उन पर [[उर्दू]] के दो महान् आलोचकों 'मौलाना शिबली नाओमनी' और 'अल्ताफ हुसैन हाली' का बहुत प्रभाव था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अबुलकलाम आज़ाद]] | ||
{[[एलोरा]] स्थित [[कैलाश मन्दिर, एलोरा|कैलाश मन्दिर]] का निर्माण किसने करवाया था? | {[[एलोरा]] स्थित [[कैलाश मन्दिर, एलोरा|कैलाश मन्दिर]] का निर्माण किसने करवाया था? | ||
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+[[चौधरी देवी लाल]] | +[[चौधरी देवी लाल]] | ||
-[[बंसीलाल]] | -[[बंसीलाल]] | ||
||[[चित्र:Devilal.jpg|150px|right|चौधरी देवी लाल]]'चौधरी देवी लाल' [[भारत]] के पूर्व उप-प्रधानमंत्री एवं भारतीय राजनीति के पुरोधा, किसानों के मसीहा, | ||[[चित्र:Devilal.jpg|150px|right|चौधरी देवी लाल]]'चौधरी देवी लाल' [[भारत]] के पूर्व उप-प्रधानमंत्री एवं भारतीय राजनीति के पुरोधा, किसानों के मसीहा, महान् स्वतंत्रता सेनानी, हरियाणा के जन्मदाता, राष्ट्रीय राजनीति के भीष्म-पितामह, करोड़ों भारतीयों के जननायक थे। आज भी [[चौधरी देवी लाल]] का महज नाम-मात्र लेने से ही हज़ारों की संख्या में बुजुर्ग एवं नौजवान उद्वेलित हो उठते हैं। उन्होंने आजीवन किसान, मुजारों, मज़दूरों, ग़रीब एवं सर्वहारा वर्ग के लोगों के लिए लड़ाई लड़ी और कभी भी पराजित नहीं हुए। उन्हें लोग "भारतीय राजनीति के अपराजित नायक" के रूप में जानते हैं। उन्होंने भारतीय राजनीतिज्ञों के सामने अपना जो चरित्र रखा, वह वर्तमान दौर में बहुत प्रासंगिक है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चौधरी देवी लाल]] | ||
{प्रसिद्ध पुस्तक '[[अग्नि की उड़ान -अब्दुल कलाम|विंग्स ऑफ़ फायर]]' के लेखक कौन थे? | {प्रसिद्ध पुस्तक '[[अग्नि की उड़ान -अब्दुल कलाम|विंग्स ऑफ़ फायर]]' के लेखक कौन थे? | ||
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-[[अशोक कुमार]] | -[[अशोक कुमार]] | ||
-[[पृथ्वीराज कपूर]] | -[[पृथ्वीराज कपूर]] | ||
||[[चित्र:Satyajit-Ray.jpg|150px|right|सत्यजित राय]]'सत्यजित राय' बीसवीं [[शताब्दी]] की महानतम फ़िल्मी हस्तियों में से एक थे, जिन्होंने यथार्थवादी धारा की फ़िल्मों को नई दिशा देने के अलावा [[साहित्य]], [[चित्रकला]] जैसी अन्य विधाओं में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। [[सत्यजित राय]] प्रमुख रूप से फ़िल्मों में निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन लेखक और साहित्यकार के रूप में भी उन्होंने उल्लेखनीय ख्याति अर्जित की। "विश्व सिनेमा के पितामह" माने जाने वाले | ||[[चित्र:Satyajit-Ray.jpg|150px|right|सत्यजित राय]]'सत्यजित राय' बीसवीं [[शताब्दी]] की महानतम फ़िल्मी हस्तियों में से एक थे, जिन्होंने यथार्थवादी धारा की फ़िल्मों को नई दिशा देने के अलावा [[साहित्य]], [[चित्रकला]] जैसी अन्य विधाओं में भी अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। [[सत्यजित राय]] प्रमुख रूप से फ़िल्मों में निर्देशक के रूप में जाने जाते हैं, लेकिन लेखक और साहित्यकार के रूप में भी उन्होंने उल्लेखनीय ख्याति अर्जित की। "विश्व सिनेमा के पितामह" माने जाने वाले महान् निर्देशक अकीरा कुरोसावा ने राय के लिए कहा था कि- "सत्यजित के बिना सिनेमा जगत् वैसा ही है जैसे सूरज-चाँद के बिना आसमान"। सत्यजित राय फ़िल्म निर्माण से संबंधित कई काम ख़ुद ही करते थे। इनमें निर्देशन, छायांकन, पटकथा, पार्श्व संगीत, कला निर्देशन, संपादन आदि शामिल हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सत्यजित राय]] | ||
{[[भारत]] के राष्ट्रीय गीत '[[वन्दे मातरम्]]' को किसने स्वरबद्ध किया? | {[[भारत]] के राष्ट्रीय गीत '[[वन्दे मातरम्]]' को किसने स्वरबद्ध किया? | ||
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||[[चित्र:Jagdish-Chandra-Bose.jpg|150px|right|जगदीश चंद्र बोस]]'जगदीश चंद्र बोस' [[भारत]] के प्रसिद्ध भौतिकविद तथा पादप क्रिया वैज्ञानिक थे। उन्होंने कई | ||[[चित्र:Jagdish-Chandra-Bose.jpg|150px|right|जगदीश चंद्र बोस]]'जगदीश चंद्र बोस' [[भारत]] के प्रसिद्ध भौतिकविद तथा पादप क्रिया वैज्ञानिक थे। उन्होंने कई महान् [[ग्रंथ]] भी लिखे। आजकल प्रचलित बहुत सारे माइक्रोवेव उपकरण जैसे- वेव गाईड, ध्रुवक, परावैद्युत लैंस, विद्युत चुम्बकीय विकिरण के लिये अर्धचालक संसूचक, इन सभी उपकरणों का उन्नींसवी सदी के अंतिम दशक में [[जगदीश चंद्र बोस]] ने अविष्कार किया और उपयोग किया था। '[[1917]]' में जगदीश चंद्र बोस को '''नाइट''' की उपाधि प्रदान की गई तथा शीघ्र ही [[भौतिक विज्ञान|भौतिक]] तथा जीव विज्ञान के लिए 'रॉयल सोसायटी लंदन' के फैलो चुन लिए गए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जगदीश चंद्र बोस]] | ||
{'''उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड''' किस नदी को कहा जाता है? | {'''उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड''' किस नदी को कहा जाता है? |
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